पलामू: पलामू प्रमंडल का इलाका प्रत्येक दूसरे वर्ष सुखाड़ से जूझता है. इलाके की जमीन दशकों से प्यासी है. जमीन की प्यास को बुझाने के लिए कई परियोजना शुरू हुई. कई परियोजना दशकों से पूरी होने के इंतजार में है. पलामू प्रमंडल में प्यास को बुझाने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने की पहल की जा रही है.
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पलामू से बीजेपी सांसद ने कहा कि औरंगा, सोन, कोयल ऑफ अमानत नदी को आपस मे जोड़ा जाएगा. इन नदियों से पलामू प्रमंडल के जलशयों तक पानी पहुंचाई जाएगी. पहले चरण में गढ़वा के इलाके में जलाशयों को सोन नदी से जोड़ा जा रहा है. जिसका कार्य लगभग 60 प्रतिशत पूरा हो गया है. दूसरे चरण में पलामू में सोन, कोयल, औरंगा और अमानत नदी को आपस में जोड़ा जाना है. इस परियोजना की लागत लगभग 900 करोड़ रुपए होगी.
उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत सोन, कोयल, औरंगा और अमानत नदी से पाइप लाइन के माध्यम से जलाशय तक पानी को पंहुचाया जाएगा. शुरुआत में यह योजना बनी थी कि सोन से कोयल और औरंगा नदी को जोड़ा जाएगा. लेकिन बाद में इस परियोजना को बढ़ाते हुए जलाशयों को भी जोड़ा जाएगा. पलामू के सांसद विष्णुदयाल राम ने बताया कि मामले में सारे दस्तावेजी कार्य पूरे हो गए हैं. केंद्रीय कैबिनेट में इसे मंजूरी मिलने वाली है. परियोजना के पूरा होने के बाद पलामू के एक बड़े इलाके सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी.
मात्र 12 प्रतिशत पर ही सिंचाई की सुविधा है उपलब्ध: पलामू के इलाके में करीब 173353 एकड़ जमीन कृषि योग्य है जबकि 1.63 लाख हेक्टेयर जमीन वन भूमि का इलाका है. 24750 हेक्टेयर जमीन बंजर मानी जाती है. परियोजनाओं के पूरा हो जाने से 70 हजार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी. बंजर जमीन वाले इलाके में भी सिंचाई की सुविधा मिलेगी. आंकड़ों के अनुसार पलामू में 12 से 15 प्रतिशत जमीन पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. पलामू के इलाके में खेती वर्षा पर निर्भर है. सोन, कोयल, औरंगा, अमानत नदी से पलामू के 400 से भी अधिक जलाशयों को जोड़ा जाएगा जो गर्मी के दिनों में सूख जाते हैं. कई इलाकों में शहरी और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना को भी पानी दिया जाएगा.