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फोटो लेने के चक्कर में जान से खिलवाड़! हर साल पलामू के बूढ़ा घाघ और सुग्गा फॉल में जान गंवा देते हैं कई लोग

प्रकृति की खूबसूरती का दीदार करने और उसके साथ बिताये पल को यादों में समेटने के लिए लोग मोबाइल और कैमरा लेकर पर्यटक स्थलों का भ्रमण करते हैं. लेकिन कभी-कभी थोड़ी सी लापरवाही उनकी जान जोखिम में डाल देती है. पलामू के बूढ़ा घाघ और सुग्गा फॉल भी इसका उदाहरण है. यहां फोटो लेने के चक्कर में हर साल कई लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं.

People losing their lives trying to take selfie at Budha Ghagh and Sugga falls in Palamu
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Published : Jul 21, 2023, 1:01 PM IST

Updated : Jul 21, 2023, 1:23 PM IST

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पलामूः झारखंड को प्रकृति ने खूबसूरती से नवाजा है. मानसून के आगमन के साथ ही कई इलाकों में प्रकृति की खूबसूरती देखने लायक होती है. प्रकृति की इस खूबसूरती का मजा लेने के चक्कर में कई लोगों की जान भी जा रही है.

इसे भी पढ़ें- Watch Video: सेल्फी लेने गए राहगीरों को जंगली हाथियों के झुंड ने खदेड़ा

पलामू टाइगर रिजर्व के बूढ़ा घाघ जिसे लोध फॉल के नाम से भी जाना जाता है. सुग्गा फॉल और मिरचईया फॉल में मानसून के आगमन के बाद प्रकृति पूरे शबाब पर है. तीनों फॉल में पानी की धारा तेजी से गिर रही है. लेकिन इसके मजे लेने के चक्कर में लोगों की जान भी जा रही है. मंगलवार को सुग्गा फॉल में मेदिनीनगर के युवकों की मौत डूबने से हो गई. दोनों युवक फॉल में नहाने के क्रम में गहरे पानी मे डूब गए और उनकी मौत हो गई.

प्रत्येक वर्ष इन जलप्रपात में डूबने से आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत होती हैं. अगर पिछले पांच वर्षों का आंकड़े पर नजर डालें तो इन फॉल में डूबने से 33 लोगों की मौत हुई है. ऐसे यहां जागरुकता के लिए हर जगह पर चेतावनी भरे बोर्ड लिखे गए हैं. इसके बावजूद लोग छोटी सी भूल या अतिउत्साह में मौत का शिकार हो रहे हैं. बूढ़ा घाघ झारखंड का सबसे बड़ा और ऊंचा वाटर फॉल है. तीनों जलप्रपात की जिम्मेवारी स्थानीय इको डेवलपमेंट समिति की है. पर्यटकों के लिए इको डेवलपमेंट समिति ही सुविधा उपलब्ध करवाती है.

पर्यटकों को सुरक्षित रखने पर ध्यान नहींः बूढ़ा घाघ और सुग्गा फॉल के साथ साथ मिरचईया जलप्रपात में पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं बढ़ाई गयी हैं. प्रबंधन के द्वारा पर्यटकों के लिए सुविधा के लिए लकड़ी के पुल भी बनाए गए हैं. जिससे लोगों को पानी में नहीं उतरना पड़े, इसके बावजूद लोग पानी में उतर जाते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि पर्यटकों को सुविधा बढ़ाई गयी है, गजीबो के साथ-साथ लकड़ी के पुल बनाया गया है जो काफी आकर्षक है. इन इलाकों में पर्यटकों से लगातार सावधान रहने की अपील की जाती है. पर्यटन गतिविधि पर निगरानी इको डेवलपमेंट कमिटी के पास मौजूद है.

पूरा इलाका रहा है नक्सल प्रभावित क्षेत्रः जिन इलाकों में ये तीनों जलप्रपात मौजूद है, वह इलाका अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. तीनों फॉल माओवादियों के बूढ़ा पहाड़ कॉरिडोर से जुड़े हुए हैं. नक्सलियों के प्रभाव के कारण इलाके में पर्यटकों की सुविधा के लिए निर्माण कार्य नहीं हो रहे थे लेकिन अब निर्माण कार्य भी शुरू हो गए हैं. इसके अलावा किसी विपरित परिस्थिति से निपटने के लिए स्थानीय ग्रामीण गोताखोरों की टीम मदद के लिए रहती है. स्थानीय गोताखोर पानी में गहरे डूब रहे लोगों को बचाने की कोशिश करते हैं या उन्हें पानी से निकालते हैं.

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पलामूः झारखंड को प्रकृति ने खूबसूरती से नवाजा है. मानसून के आगमन के साथ ही कई इलाकों में प्रकृति की खूबसूरती देखने लायक होती है. प्रकृति की इस खूबसूरती का मजा लेने के चक्कर में कई लोगों की जान भी जा रही है.

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पलामू टाइगर रिजर्व के बूढ़ा घाघ जिसे लोध फॉल के नाम से भी जाना जाता है. सुग्गा फॉल और मिरचईया फॉल में मानसून के आगमन के बाद प्रकृति पूरे शबाब पर है. तीनों फॉल में पानी की धारा तेजी से गिर रही है. लेकिन इसके मजे लेने के चक्कर में लोगों की जान भी जा रही है. मंगलवार को सुग्गा फॉल में मेदिनीनगर के युवकों की मौत डूबने से हो गई. दोनों युवक फॉल में नहाने के क्रम में गहरे पानी मे डूब गए और उनकी मौत हो गई.

प्रत्येक वर्ष इन जलप्रपात में डूबने से आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत होती हैं. अगर पिछले पांच वर्षों का आंकड़े पर नजर डालें तो इन फॉल में डूबने से 33 लोगों की मौत हुई है. ऐसे यहां जागरुकता के लिए हर जगह पर चेतावनी भरे बोर्ड लिखे गए हैं. इसके बावजूद लोग छोटी सी भूल या अतिउत्साह में मौत का शिकार हो रहे हैं. बूढ़ा घाघ झारखंड का सबसे बड़ा और ऊंचा वाटर फॉल है. तीनों जलप्रपात की जिम्मेवारी स्थानीय इको डेवलपमेंट समिति की है. पर्यटकों के लिए इको डेवलपमेंट समिति ही सुविधा उपलब्ध करवाती है.

पर्यटकों को सुरक्षित रखने पर ध्यान नहींः बूढ़ा घाघ और सुग्गा फॉल के साथ साथ मिरचईया जलप्रपात में पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं बढ़ाई गयी हैं. प्रबंधन के द्वारा पर्यटकों के लिए सुविधा के लिए लकड़ी के पुल भी बनाए गए हैं. जिससे लोगों को पानी में नहीं उतरना पड़े, इसके बावजूद लोग पानी में उतर जाते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि पर्यटकों को सुविधा बढ़ाई गयी है, गजीबो के साथ-साथ लकड़ी के पुल बनाया गया है जो काफी आकर्षक है. इन इलाकों में पर्यटकों से लगातार सावधान रहने की अपील की जाती है. पर्यटन गतिविधि पर निगरानी इको डेवलपमेंट कमिटी के पास मौजूद है.

पूरा इलाका रहा है नक्सल प्रभावित क्षेत्रः जिन इलाकों में ये तीनों जलप्रपात मौजूद है, वह इलाका अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. तीनों फॉल माओवादियों के बूढ़ा पहाड़ कॉरिडोर से जुड़े हुए हैं. नक्सलियों के प्रभाव के कारण इलाके में पर्यटकों की सुविधा के लिए निर्माण कार्य नहीं हो रहे थे लेकिन अब निर्माण कार्य भी शुरू हो गए हैं. इसके अलावा किसी विपरित परिस्थिति से निपटने के लिए स्थानीय ग्रामीण गोताखोरों की टीम मदद के लिए रहती है. स्थानीय गोताखोर पानी में गहरे डूब रहे लोगों को बचाने की कोशिश करते हैं या उन्हें पानी से निकालते हैं.

Last Updated : Jul 21, 2023, 1:23 PM IST
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