पलामू: कभी नक्सली हिंसा के लिए कुख्यात रहा मेदिनीनगर के पिपरा का बरदाग गांव आज अवैध माइनिंग के कारण दहशत में है. खौफ इस कदर है कि ग्रामीण हर दिन गुजरने पर जिंदगी बच जाने के लिए भगवान का शुक्र मनाते हैं. दरअसल इन ग्रामीणों को अवैध माइनिंग के कारण गिरने वाले पत्थरों का भय है. नक्सलियों से डटकर मुकाबला करने वाले ग्रामीण अब माइनिंग माफियाओं के डर से सहमे हुए हैं.
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अवैध माइनिंग से दरक रही घर की दीवार
पलामू के पिपरा प्रखंड के बरदाग पंचायत के गोसाईडीह दलित बहुल गांव है. यहां से कुछ दूरी पर ही स्टोन माइंस है जिसके अंदर कई स्टोन क्रशर लगे हुए हैं. ग्रामीणों के मुताबिक माइंस में विस्फोट किए जाने से पहले उनको सूचना नहीं दी जाती है. नतीजा ये होता है कि विस्फोट के बाद घरों में पहुंचने वाले बड़े पत्थरों से उनके और परिजनों की जान आए दिन खतरे में रहती है. उनके मुताबिक विस्फोट से अब तक कई घर नष्ट हो गए और कई मवेशियों की भी मौत हो चुकी है.
विस्फोट से हिलते हैं घर की दीवार
गांव के सत्येंद्र राम बताते हैं कि विस्फोट के बाद पूरे गांव में धूल भर जाता है. गांव हिलने लगता है. सभी लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भागते हैं. गांव के भीम यादव बताते हैं कि सभी ग्रामीण डर के साये में जी रहे हैं कि कभी भी उनके साथ कुछ बड़ा हादसा हो सकता है. बारूद की महक और डरावने आवाज से घर के बच्चे डरे हुए रहते हैं.
कम हो रहा है भू गर्भ जल स्तर
ग्रामीणों के मुताबिक अवैध माइनिंग के कारण पूरे इलाके के भूजल स्तर पर बुरा असर पड़ा है. यही कारण है कि यहां के लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. गोसाईडीह के वार्ड आयुक्त मोती भूइयां बताते हैं कि सरकार या तो माइंस बंद करे या उन्हें कहीं और शिफ्ट कर दे. गांव के लोग भी माइंस को दूसरी जगह पर ले जाने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन इसका असर होता नहीं दिख रहा है.
नियमों को ताक पर रखकर माइनिंग
अवैध माइनिंग को लेकर जांच के लिए पहुंची विधानसभा समिति भी ये मान चुकी है कि यहां नियमों को ताक पर रखकर माइनिंग हो रही है. अवैध माइनिंग को लेकर विधानसभा समिति ने DMO (District Mining Officer) से 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी है.