पलामूः जिले के देवरी स्थित सोन नदी के तट पर मकर संक्रांति के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है. जिसमें पलामू के अलावा रोहतास क्षेत्र के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. मेला में आने वाले लोग सोन नदी में डुबकी लगाकर तट पर स्थित शिवालय में पूजा-अर्चना भी करते हैं.
1916 के पहले से मेला का हो रहा आयोजनः देवरी निवासी नर्वदेश्वर सिंह ने बताया कि इस मेला का इतिहास किसी को पता नहीं है. उन्होंने बताया कि जपला सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना 1916 में हुई है, जबकि देवरी के सोन नदी के तट पर मकर संक्रांति मेला उससे भी पहले से लगता आ रहा है. उन्होंने बताया कि 90 के दशक तक इस मेले की रौनक देखने लायक होती थी. जपला सीमेंट कारखाना बंद होने के साथ ही मेला की रौनक भी कम हो गई है. उन्होंने बताया कि इलाके से दो किलोमीटर की दूरी पर सोनपुरवा में भी कुछ वर्षों से मकर संक्रांति मेला का आयोजन किया जा रहा है. इस कारण भी लोगों की संख्या बंट गई.
1926 में सोन नदी के तट पर बनाया गया था शिवालयः देवरी के सोन नदी के तट स्थित शिवालय की स्थापना 1926 में की गई थी. शिवालय पर शिलालेख में यह स्पष्ट उल्लेखित है. मंदिर की स्थापना कांग्रेस पार्टी के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब हुसैनाबाद के बड़े जमींदार बैरिस्टर सैयद हसन इमाम के मैनेजर रामदेनी सिंह ने शिवालय का निर्माण कराया था.
मेला में फेमस है रोहतास की लाठी और हुसैनाबाद की जलेबीः चुकी देवरी सोन नदी के दूसरी ओर रोहतास जिला है. वहां की लाठी किसानों को खूब भाती है. मेला में रोहतास की लाठी की खूब बिक्री होती है. अधिकांश लोग मेला से एक या दो लाठी के साथ लकड़ी से बने खेती के औजार खरीदकर ले जाते हैं. वहीं मेला घूमने आने वाले लोग हुसैनाबाद की जलेबी का भी लुत्फ जरूर उठाते हैं.
ये भी पढ़ें-
कोयल, औरंगा और सोन नदी से पलामू के जलाशयों की प्यास बुझाने की योजना तैयार, 900 करोड़ रुपए होंगे खर्च