पलामू: जिले का मेदिनीनगर शहर 1862 में बसा, जबकि 1889 में नगर पालिका का गठन हुआ. 2017 में मेदिनीनगर नगर पालिका नगर निगम में अपग्रेड किया गया पर सुविधाएं अपग्रेड नहीं हो सकी. मेदिनीनगर के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब पानी मुद्दा न बना हो.
मेदिनीनगर कोयल, अमानत और गुरसूती नदी से घिरे शहर की आबादी की पेयजल संकट से जूझना प्रशासन पर गंभीर सवाल उठा रहा है . हाल यह है कि गर्मी के दिनों में अधिकांश इलाके ड्राई जोन हो जाते है. नगर निगम की आबादी 1.53 लाख के करीब है. लेकिन सिर्फ 3256 घरों के पास पानी का कनेक्शन है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने लोगों को पानी मिल रहा है.
'दीपक तले अंधेरा'
दीपक तले अंधेरा कहावत मेदिनीनगर नगर निगम के कान्दू मोहल्ले पर सटीक बैठती है. यह शहर का ऐसा इलाका है जहां से शहर के दूसरे इलाकों को पानी भेजा जाता है पर यहीं के बाशिंदे पानी के लिए तरसते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि कान्दू मोहल्ला में कोयल नदी के तट पर पम्पूकल मौजूद है, लेकिन मोहल्ले के अधिकांश इलाके में पाइप लाइन ही नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे शहर को यही से पानी जाता है, लेकिन वे ही प्यासे हैं. कान्दू मोहल्ला में करीब आठ हजार लोगों की आबादी है. वे पानी लाने के लिए चार बजे सुबह में ही दूसरे इलाके में जाते हैं. इसी तरह शहर के आबादगंज की 60 से 70 प्रतिशत आबादी को गर्मी में हर महीने पांच से आठ हजार रुपये पानी के लिए खर्च करना पड़ता है.
प्रस्तावित पेयजल योजना पूरी नहीं हुई
मेदिनीनगर नगर निगम जब 2017 में बना तो चैनपुर, शाहपुर, सिंगरा, रेडमा, सुदना, बैरिया और बारालोटा के कई इलाके जुड़े. लेकिन यह इलाका आज भी पेयजल की सुविधा से महरूम है. मेदिनीनगर शहरी आबादी को पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए फेज 2 जलापूर्ति योजना शुरू हुई थी. लेकिन 20 प्रतिशत काम करने के बाद आगे का काम नहीं किया. उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है. रेडमा के इलाके के वार्ड आयुक्त विवेक त्रिपाठी बताते हैं कि नगर निगम में वे शामिल जरूर हो गए लेकिन उन्हें सुविधा नहीं मिली. पेयजल के लिए वे जूझ रहे हैं.
इसे भी पढ़ें-अधर में रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण, अधूरी है जनता की मांग और उनके सपने
मेयर ने स्वच्छता विभाग पर डाली जिम्मेदारी
मेदिनीनगर नगर निगम की मेयर अरुणा शंकर बताती हैं कि पानी सप्लाई की जिम्मेदारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के पास है. नगर निगम की योजना है कि पानी की सप्लाई अपने हाथो में ले ले. उन्होंने बताया कि शहर में पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर योजना तैयार की जा रही है. वे बताती हैं कि 15वें वित्त के माध्यम से हर घर को पेयजल से जोड़ने की पहल की जा रही है.
90 प्रतिशत लोग नहीं भरते पानी का बिल
झारखण्ड के बड़े और पुराने शहरों में से एक है पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में 90 प्रतिशत लोग पानी का बिल नहीं भरते हैं, जबकि मासिक दर 135 रुपये महीना है. नगर निगम की मानें तो किसी प्रमाण पत्र, चुनाव के उम्मीदवार, प्रस्तावक ही मौकों पर बिल भरते हैं. निगम क्षेत्र में मात्र एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान के पास पानी का कनेक्शन है.