पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के बंद के पहले दिन बुधवार को पलामू के सीमावर्ती इलाके में आंशिक असर देखा गया. पलामू के हरिहरगंज, पिपरा और नौडीहा बाजार के इलाके में कुछ दुकानें बंद रहीं, जबकि वाहनों का परिचालन सामान्य रहा.
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माओवादियों ने बिहार के गया इलाके में अपने चार साथियों के मारे जाने के विरोध में बिहार-झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में बंद की घोषणा की थी. माओवादियों इस बंद का पलामू में खास असर नहीं रहा, वाहनों का परिचालन सामान्य रहा. हालांकि पलामू के हरिहरगंज, पिपरा और नौडीहा बाजार के इलाके में कुछ दुकानें बंद रहीं.
तीन साल बाद नक्सलियों ने बुलाया था बंद
माओवादियों ने अंतिम बार मार्च 2018 में बंद बुलाया था. करीब तीन वर्षों के बाद माओवादियो ने बंद की घोषणा की थी. बंद को को देखते हुए पलामू पुलिस ने अलर्ट जारी किया था. सभी संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी, जबकि सरकारी भवन और रेलवे ने सुरक्षा को बढ़ा दिया था. नक्सल इलाके में थाने को मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद मूवमेंट करने को कहा गया था. बंद को देखते हुए झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाका में पुलिस ने एंटी नक्सल अभियान भी चलाया.
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क्या था पूरा मामला
इससे पहले 16 मार्च को गया के डुमरिया में सीआरपीएफ और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई थी. इसमें माओवादियों के जोनल कमांडर टुनटुन सिंह, सबजोनल कमांडर शिवपूजन, सीता भूईयां और उदय पासवान मारे गए थे. शिवपूजन और सीता झारखंड में भी इनामी था. भाकपा माओवादियों ने चार कमांडरों की मौत के बदले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का ऐलान करते हुए माओवादियों ने 24 और 25 मार्च को दक्षिणी बिहार और पश्चिमी झारखंड में बंद बुलाया था.