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'IIT- JEE की परीक्षा में बदलाव की जरूरत, लेकिन राज्य की स्थानीय नीति का रखा जाए ख्याल' - आईआईटी जेईई के परीक्षा पैटर्न

आईआईटी जेईई के परीक्षा पैटर्न को लेकर पलामू के अभिभावक सवाल उठाने लगे हैं. अभिभावक परीक्षा में बदलाव की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि एनआईआईटी की तर्ज पर आईआईटी जेईई की परीक्षा होनी चाहिए.

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Published : Jul 30, 2020, 3:29 PM IST

पलामू: सितंबर महीने में आईआईटी जेईई की परीक्षा होने वाली है. इस दौरान एनआईआईटी की भी परीक्षा होने वाली है. आईआईटी जेईई के परीक्षा पैटर्न को लेकर पलामू के अभिभावक सवाल उठाने लगे हैं. अभिभावक परीक्षा में बदलाव की मांग करने लगे हैं. अभिभावक एनआईआईटी की तर्ज पर आईआईटी जेईई की परीक्षा की मांग कर रहे हैं. लेकिन झारखंड जैसे छोटे राज्यों का ख्याल रखने की बात कही जा रही है. एक अभिभावक लवली गुप्ता ने कहा कि एनआईआईटी की तर्ज पर जेईई की भी परीक्षा हो, लेकिन झारखंड के संयुक्त परीक्षा भी जारी रहे, ताकि स्थानीय छात्रों को मौका मिल सके.

अभिभावकों की प्रतिक्रिया
सरकार सोच समझकर फैसला ले
वहीं, अभिभावक अनूप कुमार ने बताया कि सरकार को इस दिशा में सकारात्मक सोच से पहल करने की जरूरत है. परीक्षा में बदलाव की जरूरत है, लेकिन स्थानीय छात्रों को प्राथमिकता मिले. अभिभावक शर्मिला सुम्मी ने बताया कि गरीबों को राहत देने की जरूरत है. तीन तरह के पैटर्न से आर्थिक बोझ अधिक पड़ता है. एनआईआईटी की तरह ही एक ही परीक्षा हो. इसी तरह अभिभावक मंटू वर्मा ने बताया कि मामले में सोच समझकर सरकार फैसला ले.

ये भी पढ़ें- रांचीः नक्सल पोस्टरबाजी का आरोपी पुलिस कस्टडी से हुआ फरार, छापेमारी के लिए बाहर ले गई थी पुलिस

झारखंड में औसतन गरीब छात्र

वहीं, अभिभावक लवली गुप्ता ने भी कहा कि जेईई का एग्जाम की वन टाइम ही लिया जाना चाहिए. साथ ही जो परीक्षाएं होती चली आ रही हैं उसे भी बंद नहीं किया जाना चाहिए. झारखंड अभी भी पिछड़ा हुआ है, यहां पर औसतन गरीब छात्र हैं, इसलिए झारखंड कंबाइड एग्जाम होते रहना चाहिए.

पलामू: सितंबर महीने में आईआईटी जेईई की परीक्षा होने वाली है. इस दौरान एनआईआईटी की भी परीक्षा होने वाली है. आईआईटी जेईई के परीक्षा पैटर्न को लेकर पलामू के अभिभावक सवाल उठाने लगे हैं. अभिभावक परीक्षा में बदलाव की मांग करने लगे हैं. अभिभावक एनआईआईटी की तर्ज पर आईआईटी जेईई की परीक्षा की मांग कर रहे हैं. लेकिन झारखंड जैसे छोटे राज्यों का ख्याल रखने की बात कही जा रही है. एक अभिभावक लवली गुप्ता ने कहा कि एनआईआईटी की तर्ज पर जेईई की भी परीक्षा हो, लेकिन झारखंड के संयुक्त परीक्षा भी जारी रहे, ताकि स्थानीय छात्रों को मौका मिल सके.

अभिभावकों की प्रतिक्रिया
सरकार सोच समझकर फैसला ले
वहीं, अभिभावक अनूप कुमार ने बताया कि सरकार को इस दिशा में सकारात्मक सोच से पहल करने की जरूरत है. परीक्षा में बदलाव की जरूरत है, लेकिन स्थानीय छात्रों को प्राथमिकता मिले. अभिभावक शर्मिला सुम्मी ने बताया कि गरीबों को राहत देने की जरूरत है. तीन तरह के पैटर्न से आर्थिक बोझ अधिक पड़ता है. एनआईआईटी की तरह ही एक ही परीक्षा हो. इसी तरह अभिभावक मंटू वर्मा ने बताया कि मामले में सोच समझकर सरकार फैसला ले.

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झारखंड में औसतन गरीब छात्र

वहीं, अभिभावक लवली गुप्ता ने भी कहा कि जेईई का एग्जाम की वन टाइम ही लिया जाना चाहिए. साथ ही जो परीक्षाएं होती चली आ रही हैं उसे भी बंद नहीं किया जाना चाहिए. झारखंड अभी भी पिछड़ा हुआ है, यहां पर औसतन गरीब छात्र हैं, इसलिए झारखंड कंबाइड एग्जाम होते रहना चाहिए.

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