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थर्ड लाइन से कैसे दो हिस्सों में बंट जाएगा पलामू टाइगर रिजर्व, जानिए मामला क्यों पहुंचा है पीएम के पास - रेलवे फ्रेट कॉरिडोर

पलामू टाइगर रिजर्व से रेलवे का थर्ड लाइन गुजरने का मामला पीएम के पास पहुंचा है. सीएम की अध्यक्षता वाली बोर्ड ने इसको लेकर अनुशंसित नहीं किया. इसके साथ ही पलामू टाइगर रिजर्व ने रेलवे के थर्ड लाइन को डाइवर्ट करने का प्रस्ताव दिया है. रेलवे फ्रेट कॉरिडोर परियोजना (Railway Freight Corridor Project) के तहत यहां से मालगाड़ी गुजारने का प्रस्ताव है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, थर्ड लाइन का पीटीआर पर क्या असर होगा?

Palamu Tiger Reserve proposes to divert third line of railways
पीटीआर
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Published : Jun 2, 2022, 6:19 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 7:57 PM IST

पलामूः पीटीआर से होकर गुजरने वाले रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के थर्ड लाइन का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पंहुच गया है. पीएम की अध्यक्षता वाली वाइल्ड लाइफ बोर्ड मामले में फैसला लेगी. सोननगर से पतरातू तक रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर (थर्ड लाइन) का निर्माण किया जा रहा है. फ्रेट कॉरिडोर के तहत 11 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पलामू टाइगर रिजर्व (third line of railways in PTR) के कोर एरिया से होकर गुजरेगी.

इसे भी पढ़ें- रेलवे की थर्ड लाइन बांट देगी वन्य जीवों का घर, इंसानों को झेलना पड़ सकता है गजानन का कोप

पीटीआर ने पूरे मामले में रेलवे बोर्ड को रेल लाइन डाइवर्ट करने का आग्रह किया है. रेलवे विकास निगम ने फरवरी 2021 में ऑनलाइन आवेदन देकर थर्ड लाइन को पीटीआर से गुजरने के बाद एनओसी मांगा था. पूरे मामले में सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें रेलवे बोर्ड के आवेदन पर साफ तौर पर नॉट रिकमेंड लिख दिया गया है. पीटीआर उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि थर्ड लाइन से पीटीआर को काफी नुकसान होने वाला है. दर्जनों ट्रेन गुजरेगी जिस कारण वन्य प्राणियों को नुकसान होगा. स्टेट वाइल्ड लाइफ ने रेलवे के इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी है. उन्होंने बताया कि पूरे मामले में एक संयुक्त सर्वे टीम बनाई गई थी, जिसने आज तक सर्वे ही नहीं किया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
थर्ड लाइन को डाइवर्ट करने को लेकर उठाई गयी आवाजः पलामू के टाइगर रिजर्व से होकर गुजरने वाले रेलवे के फ्रेट कोरिडोर को लेकर कई स्तर पर आवाज उठाई गयी है. पीटीआर प्रबंधन का प्रस्ताव है कि थर्ड लाइन को पूरी तरह से डाइवर्ट कर टाइगर प्रोजेक्ट के बाहरी इलाके से गुजारी जाए. थर्ड लाइन और पीटीआर को लेकर लगातार आवाज उठाने वाले सूर्या सोनल ने कहा है कि यह बेहद ही गंभीर मामला है. राज्य सरकार को नॉट रिकमेंड की जगह इस प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए था. नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. महाराष्ट्र की तर्ज पर सरकार को इस मामले में फैसला लेना चाहिए था. पूरे मामले में उन्होंने हाई कोर्ट में अपील दायर की है.
दो हिस्सों में बंट जाएगा पीटीआरः पीटीआर के कोर एरिया से रेलवे का सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर (सीआईसी) सेक्शन गुजरता है. प्रतिदिन इस लाइन से 100 से अधिक माल गाड़ियां गुजरती हैं. पीटीआर के कोर एरिया में रेलवे की स्पीड लिमिट भी है, 25 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से किसी भी ट्रेन को गुजरने की इजाजत नहीं दी गयी है. थर्ड लाइन गुजरने के बाद बाद ये एरिया दो हिस्सों में बट जाएगा.

पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि जंगल के बीच से थर्ड लाइन के गुजरने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बेहद गंभीर मामला है. वन्य जीव के घरों को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है. वन्यजीवों के परिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करने पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता सतीश कुमार ने कहा कि थर्ड लाइन झारखंड से खनिज संपदाओं को ढोने के लिए बनाया जा रहा है. लेकिन यहां के वन्य जीवों और पर्यावरण को बचाने पर किसी का ध्यान नहीं है.

इसे भी पढ़ें- 'रेलवे के डीएफसी बना रही है थर्ड लाइन, झारखंड के इन जिलों को मिलेगा फायदा'



थर्ड लाइन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारीः पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से थर्ड लाइन करीब 11 किलोमीटर गुजारनी है. पीटीआर प्रबंधन ने छिपादोहर रेलवे स्टेशन के पास से रेल लाइन को डाइवर्ट करने का आग्रह किया है जो केड होते हुए हेहेगड़ा तक जाएगी. यह दूरी करीब 14 किलोमीटर की होगी. इस पूरे मामले में विवाद के निपटारे के लिए रेलवे विकास निगम पीटीआर प्रबंधन की एक संयुक्त टीम बनाई गई थी.

यह टीम रेल लाइन डाइवर्ट करने को लेकर सर्वे करने वाली थी, टीम को 2021 में है अपनी रिपोर्ट सौंपने थी. लेकिन पूरे मामले में रेलवे विकास निगम का कोई भी अधिकारी ने टीम में साथ इलाके का सर्वे नहीं किया. पहली रेल लाइन इलाके में 1924 में बिछाई गई थी. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व 1971-72 में बना था. टाइगर रिजर्व बनने के बाद इलाके में इससे संबंधित कानून लागू हो गए थे.

पलामूः पीटीआर से होकर गुजरने वाले रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के थर्ड लाइन का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पंहुच गया है. पीएम की अध्यक्षता वाली वाइल्ड लाइफ बोर्ड मामले में फैसला लेगी. सोननगर से पतरातू तक रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर (थर्ड लाइन) का निर्माण किया जा रहा है. फ्रेट कॉरिडोर के तहत 11 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पलामू टाइगर रिजर्व (third line of railways in PTR) के कोर एरिया से होकर गुजरेगी.

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पीटीआर ने पूरे मामले में रेलवे बोर्ड को रेल लाइन डाइवर्ट करने का आग्रह किया है. रेलवे विकास निगम ने फरवरी 2021 में ऑनलाइन आवेदन देकर थर्ड लाइन को पीटीआर से गुजरने के बाद एनओसी मांगा था. पूरे मामले में सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें रेलवे बोर्ड के आवेदन पर साफ तौर पर नॉट रिकमेंड लिख दिया गया है. पीटीआर उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि थर्ड लाइन से पीटीआर को काफी नुकसान होने वाला है. दर्जनों ट्रेन गुजरेगी जिस कारण वन्य प्राणियों को नुकसान होगा. स्टेट वाइल्ड लाइफ ने रेलवे के इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी है. उन्होंने बताया कि पूरे मामले में एक संयुक्त सर्वे टीम बनाई गई थी, जिसने आज तक सर्वे ही नहीं किया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
थर्ड लाइन को डाइवर्ट करने को लेकर उठाई गयी आवाजः पलामू के टाइगर रिजर्व से होकर गुजरने वाले रेलवे के फ्रेट कोरिडोर को लेकर कई स्तर पर आवाज उठाई गयी है. पीटीआर प्रबंधन का प्रस्ताव है कि थर्ड लाइन को पूरी तरह से डाइवर्ट कर टाइगर प्रोजेक्ट के बाहरी इलाके से गुजारी जाए. थर्ड लाइन और पीटीआर को लेकर लगातार आवाज उठाने वाले सूर्या सोनल ने कहा है कि यह बेहद ही गंभीर मामला है. राज्य सरकार को नॉट रिकमेंड की जगह इस प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए था. नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. महाराष्ट्र की तर्ज पर सरकार को इस मामले में फैसला लेना चाहिए था. पूरे मामले में उन्होंने हाई कोर्ट में अपील दायर की है.
दो हिस्सों में बंट जाएगा पीटीआरः पीटीआर के कोर एरिया से रेलवे का सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर (सीआईसी) सेक्शन गुजरता है. प्रतिदिन इस लाइन से 100 से अधिक माल गाड़ियां गुजरती हैं. पीटीआर के कोर एरिया में रेलवे की स्पीड लिमिट भी है, 25 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से किसी भी ट्रेन को गुजरने की इजाजत नहीं दी गयी है. थर्ड लाइन गुजरने के बाद बाद ये एरिया दो हिस्सों में बट जाएगा.

पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि जंगल के बीच से थर्ड लाइन के गुजरने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बेहद गंभीर मामला है. वन्य जीव के घरों को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है. वन्यजीवों के परिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करने पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता सतीश कुमार ने कहा कि थर्ड लाइन झारखंड से खनिज संपदाओं को ढोने के लिए बनाया जा रहा है. लेकिन यहां के वन्य जीवों और पर्यावरण को बचाने पर किसी का ध्यान नहीं है.

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थर्ड लाइन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारीः पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से थर्ड लाइन करीब 11 किलोमीटर गुजारनी है. पीटीआर प्रबंधन ने छिपादोहर रेलवे स्टेशन के पास से रेल लाइन को डाइवर्ट करने का आग्रह किया है जो केड होते हुए हेहेगड़ा तक जाएगी. यह दूरी करीब 14 किलोमीटर की होगी. इस पूरे मामले में विवाद के निपटारे के लिए रेलवे विकास निगम पीटीआर प्रबंधन की एक संयुक्त टीम बनाई गई थी.

यह टीम रेल लाइन डाइवर्ट करने को लेकर सर्वे करने वाली थी, टीम को 2021 में है अपनी रिपोर्ट सौंपने थी. लेकिन पूरे मामले में रेलवे विकास निगम का कोई भी अधिकारी ने टीम में साथ इलाके का सर्वे नहीं किया. पहली रेल लाइन इलाके में 1924 में बिछाई गई थी. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व 1971-72 में बना था. टाइगर रिजर्व बनने के बाद इलाके में इससे संबंधित कानून लागू हो गए थे.

Last Updated : Jun 2, 2022, 7:57 PM IST
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