पलामू: आपराधिक संगठन डिजिटल युग में हाई टेक हो गए हैं. अपने कामों को लेकर ये सोशल मीडिया का प्रयोग करने लगे हैं. इसी के माध्यम से प्रतिद्वंदी संगठनों को धूल चटाने का काम कर रहे हैं. अब वर्चस्व की लड़ाई हो या फिर किसी को रास्ते से हटाना हो, ये संगठन सोशल पर भी सक्रिय रहते हैं.
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सोशल मीडिया पर उगल रहे आग: इसका ताजा उदाहरण पलामू जिले में देखने को मिल रहा है. जिसमें आपराधिक गिरोह एक दूसरे के खिलाफ सोशल मीडिया पर आग उगल रहे हैं. कई बातों को लिख रहे है. पलामू में एक सप्ताह पहले कुख्यात टनटन उपाध्याय की गला काट कर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड के बाद सुजीत सिन्हा गिरोह के तरफ से दीपक सिंह नाम के अपराधी ने सोशल मीडिया पर बयान जारी किया था. हत्या के पीछे प्रदीप तिवारी उर्फ महाकाल का हाथ बताया गया था.
सुजीत के परिजनों को दी थी धमकी: सुजीत सिन्हा के तरफ से दीपक सिंह ने प्रदीप तिवारी उर्फ महाकाल और उसके परिजनों को धमकी दी थी. दो दिनों के बाद प्रदीप तिवारी उर्फ महाकाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए सुजीत सिन्हा और उसके परिजनों को धमकी दी थी. इस दौरान प्रदीप तिवारी ने सुजीत सिन्हा के रायपुर और पटना लिंक के बारे में भी लिखा था.
नए लड़कों को जोड़ने के लिए प्रयोग: हाल के दिनों में आपराधिक संगठन अपनी बातों को रखने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा गिरोह से नए लड़कों को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग करता है. प्रदीप तिवारी उर्फ महाकाल सुजीत सिन्हा गिरोह के लिए काम करता था, लेकिन आपसी मतभेद के बाद वह सुजीत सिन्हा से अलग हो गया है. अलग होने के बाद दोनों के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है.
फेसबुक व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल: अपराधिक गिरोह एक दूसरे के खिलाफ फेसबुक व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक तरह से सोशल मीडिया के माध्यम से आपराधिक गिरोहों के बीच कोल्ड वार चल रहा है. इधर पूरे मामले को लेकर पलामू पुलिस हाई अलर्ट पर है. सोशल मीडिया पर पुलिस ने निगरानी बढ़ा दी है.
पलामू एसपी चंदन कुमार ने क्या कहा: पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि सोशल मीडिया के पोस्ट के माध्यम से पुलिस के अनुसंधान को प्रभावित करने की कोशिश है. कई मामलों में गैंगवार नहीं होती है, बल्कि निजी खुन्नस होती है. इस तरह के पोस्ट से पुलिस का अनुसंधान प्रभावित नहीं होने वाला है. अपराधियों खिलाफ दर्ज मुकदमा का अनुसंधान तथ्यों के आधार पर चलता रहेगा.