पलामू: होली में रंगों का बड़ा महत्व है और रंग हर्बल हो तो क्या कहना है. बदलते वक्त के साथ हर्बल रंगों की मांग बाजार में बढ़ी है. डॉक्टर से लेकर समाज के बुद्धिजीवी तक लोगों से होली के दौरान हर्बल रंगों का इस्तेमाल करने की अपील करते हैं. पलामू जैसे पिछड़े इलाके में भी हर्बल रंगों की मांग बढ़ी है. कोविड-19 काल के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर लोग होली के दौरान रंगों का इस्तेमाल करेंगे. पलामू में इस बार हर्बल होली की तैयारी है. बाजारों में बड़े पैमाने पर हर्बल रंग बिक रहे हैं. यह हर्बल रंग पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से बनाए गए है. इनसे शरीर को भी नुकसान नहीं पहुंचता.
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पलामू में हर्बल रंग से मनेगी होलीः पालक साग और अन्य तरह की हरी सब्जियों के साथ साथ पलाश के फूल से हर्बल रंग तैयार किया गया है. जी हां सही सुना. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन ने इसे दीदी प्रोडक्ट का नाम दिया है. दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत इसे बढ़ावा दिया गया है. होली से पहले बड़े पैमाने पर रंगों को तैयार किया गया है. बाजारों में स्टॉल लगाया गया है. हर्बल रंग को तैयार करने वाली स्वयं सहायता समूह से जुड़ी नीलम देवी और मंजू देवी बताती हैं कि इस हर्बल रंग को पालक और अन्य तरह के सब्जियों से तैयार किया गया है. वहीं बड़े पैमाने पर पलाश फूल का भी इस्तेमाल हुआ है. होली से 20 दिन पहले से उन्होंने रंग को तैयार करना शुरू कर दिया था. उनका रंग पूरी तरह से हर्बल है.
30 लाख से ऊपर हर्बल रंग का कारोबारः वहीं सावित्री कुमारी और ज्योति देवी ने बताया कि इस बार हर्बल रंग की काफी डिमांड है. इससे महिलाएं उत्साहित दिख रही हैं. हर्बल रंग दर्जनों महिलाओं के लिए बड़े आय का साधन बन रहा है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के साथ-साथ कई हिस्सों में स्टॉल लगाए गए हैं और हर्बल रंगों को बेचा जा रहा है. पलामू में होली के दौरान करीब 30 लाख रुपये के रंगों का कारोबार होता है. कोविड-19 काल से पहले पलामू में 15 से 20 लाख रुपये का हर्बल रंगों का कारोबार होता था. इस बार हर्बल रंग का कारोबार 30 लाख रुपये के ऊपर पहुंचने की उम्मीद है. पलामू में बड़े पैमाने पर बाहर से भी हर्बल रंग पहुंचते हैं. लेकिन इस बार स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर हर्बल रंगों का उत्पादन हुआ है.