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आयुष डॉक्टर के सहारे चल रहा छतरपुर अनुमंडल अस्पताल, ऑपरेशन के बाद फर्श पर रखे जाते हैं मरीज

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Published : Jan 19, 2021, 1:50 AM IST

Updated : Jan 20, 2021, 1:51 PM IST

पलामू के छतरपुर अनुमंडल अस्पताल के ओपीडी में आयुष डॉक्टर बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं. लोगो की जान बचाने और उनके स्वस्थ्य जीवन के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन ग्राउंड जीरो पर हालात कुछ और ही है. जान बचाने वाले जान से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं.

Chhatarpur subdivision hospital running with help of Ayush doctor
छतरपुर अनुमंडल अस्पताल की हालत

पलामू: लोगो की जान बचाने और उनके स्वस्थ्य जीवन के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन ग्राउंड जीरो पर हालात कुछ और ही है. जान बचाने वाले जान से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी कड़ी में ईटीवी भारत पलामू में स्वाथ्य व्यवस्था को लेकर एक कड़ी लेकर आया है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब 48 किलोमीटर दूर छत्तरपुर अनुमंडलीय अस्पताल की हालात दयनीय है. रात आठ बजे के बाद इस अस्पताल से डॉक्टर गायब हो जाते हैं.

देखें पूरी खबर
चिकित्सक ने बताई कई समस्याएंछतरपुर अनुमंडल अस्पताल के ओपीडी में आयुष डॉक्टर बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं. जब ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो की हालात का जायजा ले रही थी तो इसकी भनक छतरपुर के चिकित्सा प्रभारी को लग गई और वह मौके पर पहुंच गए. इस दौरान उन्होंने साफ तौर से इंकार कर दिया कि ओपीडी में आयुष डॉक्टर बैठते हैं. उन्होंने बताया कि वह खुद ओपीडी में बैठकर रात में मरीजों का इलाज करते हैं. छतरपुर अनुमंडलीय अस्पताल महत्वपूर्ण है. नेशनल हाईवे के किनारे मौजूद होने के कारण अक्सर दुर्घटना के मामले आते रहते हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में कई तरह के संसाधनों की कमी है और चाहरदीवारी नहीं होने कारण असामाजिक तत्व भी अंदर आ जाते हैं.

ये भी पढ़ें-धनबादः कार्यकर्ता सम्मेलन में मरांडी ने गिनाईं हेमंत सरकार की नाकामियां, कहा-बढ़ गईं लूट-हत्या की वारदात

ऑपरेशन के बाद मरीजों को लिटाया गया फर्श पर
अनुमंडल अस्पताल में बंध्याकरण का ऑपरेशन के बाद मरीजों को फर्श पर लिटाया गया था, जबकि मरीज फर्श पर घंटों बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. कोई मरीज एक घंटे से तो कोई मरीज तीन घंटे से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. मामले में चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि अस्पताल में बेड की संख्या 30 है और ऑपरेशन के लिए मरीज दबाव डाल रहे हैं, जिस कारण भीड़ लगी हुई है.

पलामू: लोगो की जान बचाने और उनके स्वस्थ्य जीवन के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन ग्राउंड जीरो पर हालात कुछ और ही है. जान बचाने वाले जान से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी कड़ी में ईटीवी भारत पलामू में स्वाथ्य व्यवस्था को लेकर एक कड़ी लेकर आया है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब 48 किलोमीटर दूर छत्तरपुर अनुमंडलीय अस्पताल की हालात दयनीय है. रात आठ बजे के बाद इस अस्पताल से डॉक्टर गायब हो जाते हैं.

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चिकित्सक ने बताई कई समस्याएंछतरपुर अनुमंडल अस्पताल के ओपीडी में आयुष डॉक्टर बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं. जब ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो की हालात का जायजा ले रही थी तो इसकी भनक छतरपुर के चिकित्सा प्रभारी को लग गई और वह मौके पर पहुंच गए. इस दौरान उन्होंने साफ तौर से इंकार कर दिया कि ओपीडी में आयुष डॉक्टर बैठते हैं. उन्होंने बताया कि वह खुद ओपीडी में बैठकर रात में मरीजों का इलाज करते हैं. छतरपुर अनुमंडलीय अस्पताल महत्वपूर्ण है. नेशनल हाईवे के किनारे मौजूद होने के कारण अक्सर दुर्घटना के मामले आते रहते हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में कई तरह के संसाधनों की कमी है और चाहरदीवारी नहीं होने कारण असामाजिक तत्व भी अंदर आ जाते हैं.

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ऑपरेशन के बाद मरीजों को लिटाया गया फर्श पर
अनुमंडल अस्पताल में बंध्याकरण का ऑपरेशन के बाद मरीजों को फर्श पर लिटाया गया था, जबकि मरीज फर्श पर घंटों बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. कोई मरीज एक घंटे से तो कोई मरीज तीन घंटे से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. मामले में चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि अस्पताल में बेड की संख्या 30 है और ऑपरेशन के लिए मरीज दबाव डाल रहे हैं, जिस कारण भीड़ लगी हुई है.

Last Updated : Jan 20, 2021, 1:51 PM IST

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