पलामूः नक्सल संगठन झारखंड और बिहार में अंतिम सांसे गिन रहे हैं. इनके ठिकानों और आर्थिक संरचना को पुलिस ने तबाह कर दिया है। कोविड 19 काल में नक्सल संगठनों को लेवी मिलना बंद हो गया था, अब सुखाड़ ने नक्सल संगठनों के अर्थतंत्र को प्रभावित किया है.
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करोड़ों की मिलती है लेवीः झारखंड के पलामू, लातेहार, चतरा और बिहार के गया के इलाके में नक्सल संगठनों को करोड़ों की लेवी मिलती है. अफीम की खेती से नक्सल संगठन माओवादी, झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP), तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी (TSPC), जेपीसी, पीएलएफआई को लेवी मिलती है. बिहार के इलाके में गिरफ्तार टॉप माओवादी अभय और मुराद ने झारखंड और बिहार की सुरक्षा एजेंसियों को बताया था कि पोस्ता (अफीम) की खेती से एक जोन में 10 करोड़ से अधिक की लेवी वसूली जाती है. इससे कई गुणा अधिक बीड़ी पता से लेवी मिलती है. नक्सल संगठनों के प्रभाव के हिसाब से लेवी मिलती है. माओवादी से अधिक TSPC संगठन को लेवी मिलती है.अफीम की खेती वाले इलाके में TSPC का प्रभाव सबसे अधिक है.
सुख गई पोस्ता की खेती, पुलिस और सुरक्षाबलों का बढ़ा है प्रभावः पोस्ता (अफीम) की खेती पर सुखाड़ की मार हुई है. नक्सल अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने देखा है कि पोस्ता की खेती सुख गई गई. पोस्ता की अधिकतर खेती घने जंगलों में नदी और जलश्रोत के अगल बगल की गई थी. नदियों में पानी नहीं रहने के कारण यह सुख गई है. पलामू, चतरा सीमा पार अभियान के क्रम में कई जगह पोस्ता की खेती को चिन्हित किया गया था, अधिकतर खेती सुख गई है.
झारखंड में चतरा, पलामू और लातेहार के इलाके में 2005-06 में पोस्ता की खेती की शुरुआत हुई थी. सीमावर्ती इलाके में 2010 के आस पास तक 20 से 25 हजार एकड़ में खेती होती थी. पुलिस और सुरक्षाबलों की कार्रवाई के बाद अब यह आंकड़ा तीन हजार एकड़ के आस पास पंहुच गया है. पलामू रेंज के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पोस्ता की खेती गैर कानूनी है. पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, ग्रामीणों को भी जागरूक किया गया है. नक्सलियों को इससे मिलने वाली लेवी को भी रोका जा रहा है.
पलामू रेंज में बेहद कम हुई है बारिश, पूरा इलाका घोषित हो चुका सुखाड़ क्षेत्रः पलामू रेंज में 2022 के मानसून के दौरान बेहद ही कम बारिश हुई है. पलामू के सभी प्रखंड को सरकार ने सुखाड़ क्षेत्र घोषित कर दिया है. पलामू प्रमंडल में 2022 में 152 की जगह 36 मिलीमीटर, जुलाई में 334 की जगह 101 मिलीमीटर, अगस्त महीने में 388 की जगह 130 मिलीमीटर, सितंबर महीने में 206 की जगह 160 मिली मीटर, अक्टूबर महीने में मात्र 37 मिलीमीटर बारिश हुई है. जिस कारण कई जलस्रोत सूख गए हैं और कई सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं. पलामू प्रमंडल से सोन, कोयल, अमानत, तहले, औरंगा, बटाने, मलय, सदाबह, दुर्गावती, कनहर समेत एक दर्जन छोटी-बड़ी नदियां गुजरती हैं. सोन और कनहर को छोड़ दिया जाए तो लगभग सारी नदियां सूख चूकी हैं.