पलामू: डिजिटल हो रहे इंडिया में सोशल मीडिया का असर सिर्फ देश के विकास को लेकर ही नहीं हो रहा है बल्कि इसका असर अब अपना अलग विस्तार कर रहा है. डिजिटल क्रांति के दौर में नक्सली संगठन सोशल मीडिया के माध्यम से अब लेवी वसूलने का तरीका तैयार कर रहे हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से रंगदारी मांगने का क्या तरीका होगा और कैसे धमकी देनी है नक्सली संगठन इसकी ट्रेनिंग ले रहे हैं.
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पलामू प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है. नक्सल संगठन के कमांडरों ने सोशल मीडिया एक्सपर्ट से ट्रेनिंग भी लिया है. पलामू पुलिस के हाथ एक वीडियो लगी है, जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है. पलामू पुलिस ने कुछ दिनों पहले तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के एरिया कमांडर बसंत उर्फ बच्चन को गिरफ्तार किया था. बच्चन के मोबाइल से पुलिस ने एक वीडियो बरामद किया था, जिसे अपलोड कर धमकी दिया जाना था. हालांकि बच्चन उस वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं कर पाया था.
तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी के एरिया कमांडर बसंत उर्फ बच्चन ने पुलिस को बताया था कि बिहार के इरफान नामक एक्सपर्ट ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर ट्रेनिंग दिया था. इरफान को ट्रेनिंग के लिए टीएसपीसी संगठन में एक मोटी रकम भी दिया था. इरफान बिहार के गया के इलाके का रहने वाला है. उसकी योजना थी कि वीडियो के माध्यम ने ठेकेदार और विभिन्न कारोबारी से रंगदारी और लेवी वसूलने की. संगठन यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर के भी इस्तेमाल करने की योजना तैयार किया है.
TSPC खुद को करना चाहता है सोशल मीडिया फ्रेंडली, बढ़ी है पुलिस की दबिश प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी सोशल मीडिया फ्रेंडली बनना चाहता है. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर जानकारी मिली है. टीएसपीसी हाईटेक नहीं हुआ करता था लेकिन एक नया जानकारी मिली है कि वह सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर रणनीति बना रहा है. एसपी ने बताया कि पुलिस पूरे मामले को लेकर सख्त और टीएसपीसी के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा. पलामू के इलाके में टीएसपीसी की कमर टूट गई, झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाके से यह संगठन का सफाया हो गया है.
2006-07 में बना था TSPC आज जूझ रहा कैडर समस्या से तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी का गठन 2006-07 में चतरा के इलाके में हुआ था. टीएसपीसी का प्रभाव चतरा पलामू, लातेहार, गढ़वा, हजारीबाग रामगढ़ और रांची के इलाके में था. 2006-07 में यह संगठन माओवादियों से अलग होकर बना था. पुलिस के लगातार अभियान के बाद टीएसपीसी का प्रभाव चतरा पलामू और लातेहार के सीमावर्ती इलाके में सिर्फ रह गया है. पिछले चार वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो 165 से भी अधिक टीएसपीसी के कमांडर गिरफ्तार हुए है. टेरर फंडिंग के मामले में टीएसपीसी के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज किया गया है.