पलामू: झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों के पास पांच एके 56 मौजूद है, जबकि सीमावर्ती क्षेत्र में 14 से 15 कमांडर बचे हैं. सभी माओवादी कमांडर तीन से चार अलग-अलग ग्रुप में बंटे हुए हैं. इसका खुलासा गिरफ्तार माओवादी कमांडर नंदकिशोर यादव उर्फ ननकुरिया ने किया है. चतरा के लावालौंग मुठभेड़ में माओवादियों के पांच कमांडर मारे गए थे, जबकि नंदकिशोर उर्फ ननकुरिया जख्मी हो गया था.
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ननकुरिया को पलामू पुलिस ने गिरफ्तार कर उसका इलाज रांची के रिम्स में करवाया. स्वस्थ होने के बाद पलामू पुलिस ने ननकुरिया को तीन दिनों के रिमांड पर लिया था. नंदकिशोर उर्फ ननकुरिया ने पलामू पुलिस के सामने कई बड़े खुलासे किए हैं. उसने बताया कि झारखंड बिहार सीमावर्ती क्षेत्रों में माओवादियों के टॉप कमांडर बुधराम लोहरा, अरविंद भुइयां, अमरजीत यादव, संतोष भुइयां और बबन भुइयां के पास एके 56 है, जबकि चतरा मुठभेड़ से पहले माओवादियो के पास 23 कमांडर थे, जिसमें चार मारे जबकि पांच ने आत्मसमर्पण किया है.
पूरे चतरा में मनोहर गंझू अकेले वसूलता है लेवी, मनोहर को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी: नंदकिशोर ननकुरिया ने पलामू पुलिस के अधिकारियों को बताया कि चतरा के इलाके से अकेले मनोहर गंझू माओवादियों के लिए लेवी वसूलता है. लेवी वसूलने बाद वही माओवादियों के टॉप कमांडर को पैसा पहुंचाता था. पूरे चतरा से माओवादी सालाना छह करोड़ रुपये से भी अधिक के लेवी वसूलते हैं. माओवादियों के लिए इलाके में सुदर्शन यादव, सलीम यादव, अरविंद भुइयां, संतोष भुइयां, रंजीत गंझू भी लेवी वसूलते हैं. नंदकिशोर ने पुलिस को बताया है कि गौतम पासवान और चार्लीस के मारे जाने के बाद मनोहर गंझू को माओवादी अपना नया कमांडर बना सकते हैं. मध्य जोन की जिम्मेदारी मनोहर गंझू को दी जा सकती है.