पलामूः जंक फूड खाने के दुष्परिणाम मनुष्य को तो भुगतने ही पड़ रहे हैं, अब इसका असर जानवरों पर भी नजर आने लगा है. झारखंड में जंक फूड से बंदरों के व्यवहार में बदलाव आता नजर आ रहा है. यहां के बंदर जंक फूड से चटोर और हिंसक हो रहे हैं और इसके लिए बेतला नेशनल पार्क के पास आबादी वाले इलाके में इनकी आवाजाही बढ़ गई है.
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गाड़ियों के पीछे भागते नजर आते हैं बंदर
पलामू टाइगर रिजर्व यानी PTR के बेतला नेशनल पार्क इलाके में हजारों की संख्या में बंदर हैं. इस इलाके में घूमने आने वाले पर्यटक यहां अक्सर चिप्स, नमकीन जैसे जंक फूड बंदरों को खिलाते हैं. इसकी वजह से PTR इलाके के बंदरों के व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि यहां के जंक फूड खाने से बंदर हिंसक होते जा रहे हैं. पार्क के इलाके से गुजरने वाली गाड़ियों के पीछे भी बंदर भागते नजर आते हैं.
क्या है माजरा
दरअसल पलामू टाइगर रिजर्व में जानवरों को कुछ खिलाने की मनाही है. इसके लिए जगह-जगह बोर्ड पर चेतावनी लिखी गई है. लेकिन पर्यटक इसको दरकिनार कर देते हैं और अक्सर साथ लाने वाला जंक फूड बंदर और अन्य जानवरों को खिला देते हैं. यह जंक फूड खाने का दुष्परिणाम अब दिखाई देने लगा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदरों को जंक फूड की लत लग गई है और वे जंक फूड की तलाश में आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. वहीं आबादी वाले इलाकों में ये उत्पात मचा रहे हैं.
गांवों में फसलों को पहुंचा रहे नुकसान
स्थानीय लोगों ने बताया कि बंदर और लंगूर से आबादी वाले इलाके में नुकसान का आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में 10 गुना अधिक बढ़ गया है. इन्होंने 2015-16 में बेतला और उसके आसपास के इलाके में 50 ग्रामीणों के घर और फसल को नुकसान पहुंचाया. इसके आंकड़े दस्तावेजों में दर्ज हैं. लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 500 से भी अधिक हो गया है. लोगों का कहना है कि बेतला नेशनल पार्क से बंदर निकलकर अब कई किलोमीटर दूर तक पहुंच गए हैं.
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जंक फूड के लिए गांवों की ओर बढ़ा आना-जाना
पर्यावरणविद और पीटीआर के अफसरों का कहना है कि जंक फूड नहीं मिलने की वजह से ही बंदर और लंगूरों का झुंड गांवों की तरफ बढ़ रहा है. यहां ये फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. स्थानीय ग्रामीण सनी शुक्ला का कहना है कि जानवरों को नमकीन और जंक फूड देना सही नहीं है, आम तौर पर यह सब उन्हें नुकसान पहुंचाता है. वहीं स्थानीय नीरज कुमार बताते हैं कि बंदरों को जंक और फास्ट फूड देना सही नहीं है.
पीटीआर प्रबंधन चिंतित
बंदरों के बदले व्यवहार और जंक फूड की लत के कारण पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन भी चिंतित है. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने कई जगह अपील और चेतावनी जारी करते हुए बेतला नेशनल पार्क इलाके में इससे संबंधित बोर्ड लगवाया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष का कहना है कि नेशनल पार्क और उसके आसपास के इलाके में पर्यटकों को जंक फूड जानवरों को देने पर रोक है. अब मामले में कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. पार्क इलाके में गार्ड को तैनात किया गया है ताकि पर्यटक किसी भी बंदर को जंक या फास्ट फूड न दें.
क्या है जंक फूड
आम तौर पर चिप्स कैंडी जैसे अल्पाहार को जंक फूड कहा जाता है. इनमें अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट, शर्करा और वसा होती है. इसमें अधिकतर तलकर बनाए जाने वाले व्यंजन शामिल होते हैं. इनमें पिज्जा, बर्गर, चिप्स, चॉकलेट, पेटीज आदि शामिल होते हैं. इसमें पोषक तत्व न के बराबर होते हैं. इंसानों के लिए जंक फूड खाने से नुकसान यह होता है कि इससे मोटापा बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है.