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बचपन में चार मासूमों के सिर से उठ गया था मांता-पिता साया, अब संवरने लगी जिंदगी, आपसी सहयोग से एक की हुई शादी - झारखंड न्यूज

पांच साल पहले चार मासूमों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया था, तब से इन बच्चों की जिंदगी बाल गृह में कट रही थी. अब इन चार में एक की जिंदगी संवर गई है.

Marriage of orphan girl on initiative of society in Palamu
Marriage of orphan girl on initiative of society in Palamu
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Published : Mar 15, 2023, 2:02 PM IST

पलामू: बालिका गृह में बचपन गुजरने में बाद एक लड़की के जीवन में बड़ा बदलाव आया है. बालिका गृह से मुक्त होने के बाद लड़की की शादी हुई है. इस शादी में लड़की के भाई और समाज के कई लोगों ने भूमिका निभाई है. लड़की अपने चार भाई बहनों के साथ 2018-19 से ही बालिका गृह में रह रही थी. लड़की के दो भाई बाल गृह में रहते थे जबकि खुद एक बहन के साथ बालिका गृह में रहती थी. एक भाई और खुद बालिग होने के बाद दोनों को मुक्त किया गया है.

ये भी पढ़ें- Unique Love Story: विवाह से पहले लड़के के साथ हुआ हादसा, फिर भी दोनों परिवार के साथ लड़की रही डटी, मंदिर में हुई शादी

मुक्त होने के बाद भाई ने लड़की की शादी के लिए पहल की. भाई और बाल गृह, सीडब्ल्यूसी और बाल संरक्षण विंग के कर्मियों ने लड़की की शादी में सहयोग किया है. पलामू प्रमंडल मुख्यालय मेदिनीनगर के राम जानकी मंदिर में लड़की की शादी हुई है. लड़की की शादी पलामू के चैनपुर के रहने वाले रामाशंकर यादव नामक युवक के साथ हुई है. रामाशंकर यादव ने लड़की को अपनाया है और उससे शादी की है.

बचपन में चार मासूमों के सिर से उठ गया था माता पिता का साया: दरअसल, चार मासूमों के जीवन में काफी उतार-चढ़ाव रहे हैं. बचपन में ही चारों मासूमों के सिर से माता और पिता का साया उठ गया था. दो भाई बाल गृह जबकि दो बहन बालिका गृह में रह रहे थे. चारों मासूमों के अपने पिता का पैतृक घर और माता का पैतृक घर की जानकारी नहीं थी. दरअसल, बिहार के आरा के रहने वाले राजेंद्र यादव नामक व्यक्ति मजदूरी के लिए दिल्ली के इलाके में गया हुआ था. वहां पर उसने एक महिला के साथ प्रेम विवाह किया था. बाद में 2013-14 में महिला की मौत हो गई थी. महिला की मौत के बाद राजेंद्र यादव चारों बच्चों को लेकर गढ़वा के इलाके में किराए के मकान में रह रहा था.

2017-18 में राजेंद्र यादव की मौत हो गई थी. जिसके बाद चारों बच्चे अनाथ हो गए थे. राजेंद्र यादव ने बच्चों को कभी भी अपने पैतृक गांव और रिश्तेदारों के बारे में जानकारी नहीं दी थी. यहां तक कि राजेंद्र यादव ने बच्चों को ननिहाल के बारे में भी जानकारी नहीं दी थी. 2018-19 में गढ़वा सीडब्ल्यूसी ने चारों बच्चों का रेस्क्यू किया था. रेस्क्यू करने के बाद सभी को बाल गृह और बालिका गृह में रखा गया था. बाल गृह और बालिका गृह में सभी की पढ़ाई हुई.

पलामू: बालिका गृह में बचपन गुजरने में बाद एक लड़की के जीवन में बड़ा बदलाव आया है. बालिका गृह से मुक्त होने के बाद लड़की की शादी हुई है. इस शादी में लड़की के भाई और समाज के कई लोगों ने भूमिका निभाई है. लड़की अपने चार भाई बहनों के साथ 2018-19 से ही बालिका गृह में रह रही थी. लड़की के दो भाई बाल गृह में रहते थे जबकि खुद एक बहन के साथ बालिका गृह में रहती थी. एक भाई और खुद बालिग होने के बाद दोनों को मुक्त किया गया है.

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मुक्त होने के बाद भाई ने लड़की की शादी के लिए पहल की. भाई और बाल गृह, सीडब्ल्यूसी और बाल संरक्षण विंग के कर्मियों ने लड़की की शादी में सहयोग किया है. पलामू प्रमंडल मुख्यालय मेदिनीनगर के राम जानकी मंदिर में लड़की की शादी हुई है. लड़की की शादी पलामू के चैनपुर के रहने वाले रामाशंकर यादव नामक युवक के साथ हुई है. रामाशंकर यादव ने लड़की को अपनाया है और उससे शादी की है.

बचपन में चार मासूमों के सिर से उठ गया था माता पिता का साया: दरअसल, चार मासूमों के जीवन में काफी उतार-चढ़ाव रहे हैं. बचपन में ही चारों मासूमों के सिर से माता और पिता का साया उठ गया था. दो भाई बाल गृह जबकि दो बहन बालिका गृह में रह रहे थे. चारों मासूमों के अपने पिता का पैतृक घर और माता का पैतृक घर की जानकारी नहीं थी. दरअसल, बिहार के आरा के रहने वाले राजेंद्र यादव नामक व्यक्ति मजदूरी के लिए दिल्ली के इलाके में गया हुआ था. वहां पर उसने एक महिला के साथ प्रेम विवाह किया था. बाद में 2013-14 में महिला की मौत हो गई थी. महिला की मौत के बाद राजेंद्र यादव चारों बच्चों को लेकर गढ़वा के इलाके में किराए के मकान में रह रहा था.

2017-18 में राजेंद्र यादव की मौत हो गई थी. जिसके बाद चारों बच्चे अनाथ हो गए थे. राजेंद्र यादव ने बच्चों को कभी भी अपने पैतृक गांव और रिश्तेदारों के बारे में जानकारी नहीं दी थी. यहां तक कि राजेंद्र यादव ने बच्चों को ननिहाल के बारे में भी जानकारी नहीं दी थी. 2018-19 में गढ़वा सीडब्ल्यूसी ने चारों बच्चों का रेस्क्यू किया था. रेस्क्यू करने के बाद सभी को बाल गृह और बालिका गृह में रखा गया था. बाल गृह और बालिका गृह में सभी की पढ़ाई हुई.

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