पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी बेहद कमजोर हो गए हैं. एक वर्ष के अंदर माओवादियों को अपने दो सबसे सुरक्षित ठिकाना को छोड़ कर भागना पड़ा है. बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के इलाके को माओवादी खाली कर भाग चुके हैं. जबकि इनके टॉप लीडर मारे गए हैं या पकड़े गए हैं. टॉप कमांडरों के मारे जाने बाद सेकेंड लाइन के माओवादी जो बचे हुए हैं वह पैसे और हथियार को बटोरने की फिराक में है. इसका खुलासा हाल में ही आत्मसमर्पण करने वाले और गिरफ्तार होने वाले टॉप माओवादियों ने किया है.
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दरअसल, झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा माओवादियों की आर्थिक राजधानी थी जबकि बूढ़ापहाड़ का इलाका ट्रेनिंग कैम्प. गिरफ्तार माओवादियों ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि छकरबंधा के इलाके में टॉप माओवादी संदीप यादव पैसे और हथियार को छुपा कर रखता था. इसकी जानकारी गौतम पासवान, चार्लीस, विनय यादव, नितेश यादव, सुनील विवेक को थी. गौतम पासवान और चार्लीस मुठभेड़ में मारे गए हैं जबकि विनय यादव गिरफ्तार हो चुका है. गिरफ्तार माओवादी अरविंद मुखिया ने झारखंड बिहार के सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि नितेश यादव, संजय गोदराम और सुनील विवेक के दस्ते में 8 से 10 माओवादी बचे हुए हैं. यह मांओवादी पैसे को लेकर भागना चाहते हैं. इनमें से कई आत्मसमर्पण करने की फिराक में भी है.
छकरबंधा के इलाके में लेवी पर कब्जा करना चाहता है नितेश यादव: झारखंड बिहार सीमा पर फिलहाल माओवादियों के दस्ते को टॉप कमांडर नितेश यादव लीड कर रहा है. नितेश यादव इलाके से मिलने वाली सारी लेवी पर कब्जा करना चाहता है. सुरक्षा एजेंसी और पुलिस अधिकारियों के अनुसार झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों को मिलने वाली लेवी बेहद कम हो गई है. मानसून से पहले बचे हुए माओवादी कमांडर बड़ी लेवी वसूलने की फिराक में थे लेकिन वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए. मांओवादियों ने जंगल में जिन पैसों और हथियारों को छुपाया है, उसे निकालने की कोशिश में हैं.