पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ग्रामीणों से मोबाइल को छीन रहे हैं. ग्रामीणों से छीने हुए मोबाइल से ही माओवादी धमकी दे रहे या अपना कम्युनिकेशन कर रहे हैं. हाल के दिनों में इससे जुड़ी हुई कई जानकारी मिली है. दरअसल एक व्यक्ति ने पुलिस से शिकायत की थी कि उसे एक नंबर से माओवादियों के नाम पर धमकी मिल रही है.
पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि जिस नंबर का माओवादियों ने इस्तेमाल किया है उसे कुछ दिन पहले ग्रामीण से छीना गया था. माओवादियों ने पलामू के पांडू, बिश्रामपुर, नावाबाजार के इलाके से ग्रामीणों के मोबाइल को छीना है. इलाके से एक दर्जन से अधिक ग्रामीणों से मोबाइल को छीना गया था. माओवादियों के डर से ग्रामीणों ने इसकी शिकायत पुलिस से नहीं की थी. जांच के बाद ग्रामीणों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी है.
क्यों छीन रहे है माओवादी मोबाइल: दरअसल हाल के दिनों में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को झारखंड बिहार में कई बड़े झटके लगे हैं. दोनों राज्यों में माओवादी अंतिम सांसें गिन रहे हैं. माओवादियों ने खुद के बचाव के लिए कम्युनिकेशन के तरीकों को भी बदला है और मोबाइल का इस्तेमाल बेहद ही काम कर दिया है. इसी कड़ी में माओवादी ग्रामीणों से लूटे गए मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि इसकी जानकारी पुलिस एवं सुरक्षाबलों को नहीं मिल सके.
तीन से चार वर्ष पुराने नंबर को कर रहे एक्टिवेट: पुलिस की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि माओवादी 3 से 4 वर्ष पुराने नंबरों को फिर से एक्टिवेट कर रहे हैं. कई बंद नंबरों को फिर से चालू किया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार माओवादियों ने कम्युनिकेशन के लिए पुराने तरीकों पर ही भरोसा जताया. चिट्ठी लिख रहे हैं और लूटे गए मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं.
पुलिस ने इलाके में बढ़ाई है निगरानी: मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने संबंधित इलाकों में निगरानी को बढ़ा दिया है. ग्रामीणों से पुलिस अपील भी कर रही है इस तरह की घटना होने पर वह जानकारी को साझा करें. पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि मामले में जांच की जा रही है पुलिस टीम को लगाया गया है. समाज में अशांति फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है और पुलिस का अभियान जारी है.
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