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Landmines in Budhapahar: झारखंड पुलिस की 'लक्ष्मण रेखा', पार करने पर जा सकती है जान

बूढ़ापहाड़ अब सुरक्षाबलों के कब्जे में है. माओवादियों के कब्जे से मुक्त हो चुका है. भले ही बूढ़ापहाड़ पर पहले जैसे हालात नहीं रहे, लेकिन खतरा अभी तक पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. अभी भी कदम-कदम पर मौत बिछी हुई है. नक्सलियों के लगाए लैंडमाइंस परेशानी के सबब बने हुए हैं.

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Published : Jan 30, 2023, 5:29 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पलामूः लाइन के बाहर नही जाएं, आईईडी की चपेट में आ सकते हैं, यह बात लिखी है बूढ़ापहाड़ के इलाके में बने पुलिस कैंपों के बाहर. यह लाइन इस बात का सबूत है कि इलाके में अभी खतरा टला नहीं है, बल्कि पूरा इलाका बारूद की ढेर पर बसा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः साल 2022 की सबसे बड़ी सफलता 'ऑपरेशन ऑक्टोपस', बूढ़ापहाड़ में 1990 से बने माओवादियों के गढ़ को किया ध्वस्त

खतरा अभी टला नहींः बता दें कि बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है, लेकिन लैंडमाइंस अभी भी चुनौती बनी हुई है. बूढ़ापहाड़ पर बने सुरक्षाबलों के कैंपों से बाहर महज पांच मीटर की दूरी पर एक बोर्ड टांगा गया है. इस बोर्ड पर लिख दिया गया है कि 'इस लाइन के बाहर नही जाएं आईईडी का खतरा है'. इस बोर्ड से पहले एक कंटीले तारों की सुरक्षाबलों ने घेराबंदी तैयार की है. इलाके में सुरक्षाबल ग्रामीणों से भी सावधानी पूर्वक चलने का आग्रह करते हैं.

तीन हजार से अधिक लैंडमाइंस बरामदः झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर बसे बूढ़ापहाड़ का पूरा इलाका 52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. सुरक्षाबल पिछले एक दशक से इलाके में अपने कब्जे के लिए माओवादियो के खिलाफ अभियान चला रहे थे. नवंबर 2022 में सुरक्षाबलों का बूढ़ापहाड़ पर कब्जा हुआ है. सुरक्षाबल अब तक इलाके से तीन हजार से अधिक आईईडी को बरामद कर चुके हैं.

बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों का चलता था ट्रेनिंग कैंपः बूढ़ापहाड़ माओवादियों का यूनिफाइड कमांड हुआ करता था. इस इलाके से माओवादी उत्तरी छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में अपनी पूरी गतिविधि का संचालन करते थे. माओवादी बूढ़ापहाड़ में ही अपने कैडर को तैयार करते थे और उन्हें ट्रेनिंग देकर झारखंड बिहार के कई इलाकों में भेजा करते थे. बूढ़ापहाड़ के इलाके में माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य सेंट्रल कमेटी सदस्य समेत कई कमांडर को तैयार करते थे.

आईईडी के चपेट में आने से अब तक 59 जवान हुए हैं शहीदः बूढ़ापहाड़ और उसके आसपास के इलाके में पिछले कुछ वर्षों में आईईडी की चपेट में आने से 59 जवान शहीद हुए हैं. जबकि 42 ग्रामीण भी मारे गए हैं. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा का कहना है कि बूढ़ापहाड़ के इलाके में आईईडी को निकालना अभी भी चुनौती बनी हुई है. बूढ़ापहाड़ अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को नुकसान उठाना भी पड़ा. माओवादियों ने बूढ़ापहाड़ के जाने वाले सभी रास्तों में प्रेशर डिवाइस, ट्रिप बम लगा रखा है. सुरक्षाबल पूरे इलाके को सेनेटाइज कर रहे हैं और आईईडी निकालने का प्रयास कर रहे हैं.

बूढ़ापहाड़ के इलाके में किस प्रकार की लगी है आईईडीः पुलिस और सुरक्षाबलों के अनुसार बूढ़ापहाड़ के इलाके में क्लेमोर माइंस, प्रेशर आईईडी, ट्रिप बम, सिलेंडर लैंडमाइंस, केन लैंडमाइंस, दिशा संचालित आईईडी लगाए गए हैं. बूढ़ापहाड़ का पूरा इलाका पहाड़ों पर मौजूद है. पहाड़ों की श्रृंखला पर चढ़ने के लिए पैदल ही एक जरिया है. पहाड़ों पर 1600 से 4000 मीटर तक चढ़ाई है. बूढ़ापहाड़ अभियान के क्रम में सुरक्षाबलों को भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद हुआ है. ये सारे हथियार और गोला-बारूद माओवादियों ने बहुत पहले से इलाके में छुपा कर रखा हुआ था. सुरक्षाबलों को इलाके से अभी भी आधुनिक हथियार आईईडी और अन्य सामग्री को बरामद करना बड़ी चुनौती है. सुरक्षा एजेंसी और पुलिस के अनुसार इलाके में अभी भी माओवादियों के भारी मात्रा में बंकर मौजूद हैं. जहां पुलिस के लिए पहुंचना चुनौती है. सारे बंकरों के अगल-बगल आधुनिक आईईडी लगाए गए हैं. माओवादी इलाके को छोड़कर भाग गए हैं लेकिन उनके द्वारा लगाए गए आईईडी और अन्य डिवाइस अभी भी मौजूद हैं.

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पलामूः लाइन के बाहर नही जाएं, आईईडी की चपेट में आ सकते हैं, यह बात लिखी है बूढ़ापहाड़ के इलाके में बने पुलिस कैंपों के बाहर. यह लाइन इस बात का सबूत है कि इलाके में अभी खतरा टला नहीं है, बल्कि पूरा इलाका बारूद की ढेर पर बसा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः साल 2022 की सबसे बड़ी सफलता 'ऑपरेशन ऑक्टोपस', बूढ़ापहाड़ में 1990 से बने माओवादियों के गढ़ को किया ध्वस्त

खतरा अभी टला नहींः बता दें कि बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है, लेकिन लैंडमाइंस अभी भी चुनौती बनी हुई है. बूढ़ापहाड़ पर बने सुरक्षाबलों के कैंपों से बाहर महज पांच मीटर की दूरी पर एक बोर्ड टांगा गया है. इस बोर्ड पर लिख दिया गया है कि 'इस लाइन के बाहर नही जाएं आईईडी का खतरा है'. इस बोर्ड से पहले एक कंटीले तारों की सुरक्षाबलों ने घेराबंदी तैयार की है. इलाके में सुरक्षाबल ग्रामीणों से भी सावधानी पूर्वक चलने का आग्रह करते हैं.

तीन हजार से अधिक लैंडमाइंस बरामदः झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर बसे बूढ़ापहाड़ का पूरा इलाका 52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. सुरक्षाबल पिछले एक दशक से इलाके में अपने कब्जे के लिए माओवादियो के खिलाफ अभियान चला रहे थे. नवंबर 2022 में सुरक्षाबलों का बूढ़ापहाड़ पर कब्जा हुआ है. सुरक्षाबल अब तक इलाके से तीन हजार से अधिक आईईडी को बरामद कर चुके हैं.

बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों का चलता था ट्रेनिंग कैंपः बूढ़ापहाड़ माओवादियों का यूनिफाइड कमांड हुआ करता था. इस इलाके से माओवादी उत्तरी छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में अपनी पूरी गतिविधि का संचालन करते थे. माओवादी बूढ़ापहाड़ में ही अपने कैडर को तैयार करते थे और उन्हें ट्रेनिंग देकर झारखंड बिहार के कई इलाकों में भेजा करते थे. बूढ़ापहाड़ के इलाके में माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य सेंट्रल कमेटी सदस्य समेत कई कमांडर को तैयार करते थे.

आईईडी के चपेट में आने से अब तक 59 जवान हुए हैं शहीदः बूढ़ापहाड़ और उसके आसपास के इलाके में पिछले कुछ वर्षों में आईईडी की चपेट में आने से 59 जवान शहीद हुए हैं. जबकि 42 ग्रामीण भी मारे गए हैं. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा का कहना है कि बूढ़ापहाड़ के इलाके में आईईडी को निकालना अभी भी चुनौती बनी हुई है. बूढ़ापहाड़ अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को नुकसान उठाना भी पड़ा. माओवादियों ने बूढ़ापहाड़ के जाने वाले सभी रास्तों में प्रेशर डिवाइस, ट्रिप बम लगा रखा है. सुरक्षाबल पूरे इलाके को सेनेटाइज कर रहे हैं और आईईडी निकालने का प्रयास कर रहे हैं.

बूढ़ापहाड़ के इलाके में किस प्रकार की लगी है आईईडीः पुलिस और सुरक्षाबलों के अनुसार बूढ़ापहाड़ के इलाके में क्लेमोर माइंस, प्रेशर आईईडी, ट्रिप बम, सिलेंडर लैंडमाइंस, केन लैंडमाइंस, दिशा संचालित आईईडी लगाए गए हैं. बूढ़ापहाड़ का पूरा इलाका पहाड़ों पर मौजूद है. पहाड़ों की श्रृंखला पर चढ़ने के लिए पैदल ही एक जरिया है. पहाड़ों पर 1600 से 4000 मीटर तक चढ़ाई है. बूढ़ापहाड़ अभियान के क्रम में सुरक्षाबलों को भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद हुआ है. ये सारे हथियार और गोला-बारूद माओवादियों ने बहुत पहले से इलाके में छुपा कर रखा हुआ था. सुरक्षाबलों को इलाके से अभी भी आधुनिक हथियार आईईडी और अन्य सामग्री को बरामद करना बड़ी चुनौती है. सुरक्षा एजेंसी और पुलिस के अनुसार इलाके में अभी भी माओवादियों के भारी मात्रा में बंकर मौजूद हैं. जहां पुलिस के लिए पहुंचना चुनौती है. सारे बंकरों के अगल-बगल आधुनिक आईईडी लगाए गए हैं. माओवादी इलाके को छोड़कर भाग गए हैं लेकिन उनके द्वारा लगाए गए आईईडी और अन्य डिवाइस अभी भी मौजूद हैं.

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