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जानिए माओवादियों ने छकरबंधा में कोबरा जवानों को कैसे बनाया था निशाना, 2016 में कोबरा के 10 जवान हुए थे शहीद

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Published : Oct 8, 2022, 10:59 PM IST

देश के गृह मंत्री अमित शाह और सीआरपीएफ डीजी ने ट्वीट कर छकरबंधा को नक्सल मुक्त बनने की ओर बताया है. इससे छकरबंधा की वह घटना फिर लोगों की जेहन में आ गई है, जिसमें नक्सलियों ने कोबरा जवानों को निशाना बनाया था (Maoists attack on Cobra jawans in Chhakarbandha).

Know how Maoists attack on Cobra jawans in Chhakarbandha
माओवादियों ने छकरबंधा में कोबरा जवानों को कैसे बनाया था निशाना

पलामूः झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा का इलाका पिछले दो महीने से चर्चा में है. पहले यह इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब यह इलाका माओवादियों से मुक्त होने की राह पर है. हाल ही में देश के गृह मंत्री अमित शाह और सीआरपीएफ डीजी ने ट्वीट कर छकरबंधा को नक्सल मुक्त होने की बात कही है. इससे छह साल पुरानी वह घटना फिर लोगों के जेहन में आ गई, जिसमें माओवादियों के हमले में दस जवान शहीद हो गए थे (Maoists attack on Cobra jawans in Chhakarbandha).

ये भी पढ़ें-बोकारो में ऐश पॉन्ड टूटने से प्रभावित क्षेत्र का विधायक ने किया दौरा, विधायक सरयू राय ने बोकारो स्टील प्रबंधन के रवैये पर उठाए सवाल

छकरबंधा के इलाके में माओवादियों का तीन दशकों से कब्जा था, इस इलाके में माओवादियों ने कई बड़े नक्सल हमलों को अंजाम दिया था. 18 जुलाई 2016 को माओवादियों ने छकरबंधा के इलाके में बड़ी साजिश रची थी और हमले को अंजाम दिया था. इस हमले में कोबरा के 10 जवान शहीद हो गए थे जबकि आधा दर्जन के करीब जख्मी हुए थे. इस दौरान तीन माओवादी भी मारे गए थे. माओवादियों ने यह हमला गया के बांकेबाजार के डुमरीनाला के पास अंजाम दिया था.

हमले से 15 दिन पहले रची गई थी साजिशः घटना के कुछ दिनों बाद टॉप माओवादी कमांडर अभय यादव उर्फ गोविंद पकड़ा गया था. गोविंद यादव से सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ कर करीब 34 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें इस हमले का भी जिक्र किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में माओवादियों के टॉप कमांडर संदीप यादव ने इस हमले की योजना तैयार की थी.

संदीप यादव ने हमले से 15 दिन पहले माओवादियों के टॉप कमांडर के साथ बैठक की थी और हथियार लूटने की योजना तैयार की थी. हमले से चार दिन पहले नागेन्द्र यादव उर्फ विनोद ने डुमरीनाला और उसके आसपास के इलाकों में सीरीज में लैंड माइंस लगाई. लैंड माइंस विस्फोट की जिम्मेदारी माओवादी रंजीत और राजबली भुईयां को दी गई थी, हमने से पहले नागेंद्र यादव उर्फ विनोद में लैंडमाइंस का जायजा लिया था.

हमले के लिए माओवादियों ने बनाई थी छह अलग अलग टीमः सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि माओवादियों ने इस हमले के लिए छह अलग-अलग टीम बनाई थी. पहली टीम का नेतृत्व टॉप कमांडर कुंदन यादव कर रहा था, दूसरी टीम का नितेश यादव , तीसरी टीम का नवीन यादव, चौथी टीम का विनोद यादव , पांचवीं टीम का नेतृत्व अभिजीत यादव कर रहा था, जबकि छठी टीम वॉकी टॉकी साथ के साथ पहाड़ पर मौजूद थी. सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि घटनास्थल से करीब दो किलोमीटर दूर टॉप माओवादी कमांडर संदीप यादव पूरे हमले की मॉनिटरिंग कर रहा था.

कैसे फंसे थे माओवादियों के साजिश में सुरक्षाबलः सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि माओवादियों का एक धड़ा औरंगाबाद सीमा पर सोनदाहा के जंगल में कैंप कर रहा है. इसी सूचना के आलोक में कोबरा सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था. अभियान के क्रम में जैसे ही सुरक्षाबल डुमरीनाला के पास पहुंचे थे माओवादियों ने सीरीज में लैंड माइंस विस्फोट किया था. सुरक्षाबलों ने बहादुरी दिखाते हुए मुठभेड़ में तीन माओवादियों को भी मार गिराया, माओवादियों ने इस घटना के लिए सुरक्षाबलों को तीन तरफ से घेर रखा था.

पलामूः झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा का इलाका पिछले दो महीने से चर्चा में है. पहले यह इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब यह इलाका माओवादियों से मुक्त होने की राह पर है. हाल ही में देश के गृह मंत्री अमित शाह और सीआरपीएफ डीजी ने ट्वीट कर छकरबंधा को नक्सल मुक्त होने की बात कही है. इससे छह साल पुरानी वह घटना फिर लोगों के जेहन में आ गई, जिसमें माओवादियों के हमले में दस जवान शहीद हो गए थे (Maoists attack on Cobra jawans in Chhakarbandha).

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छकरबंधा के इलाके में माओवादियों का तीन दशकों से कब्जा था, इस इलाके में माओवादियों ने कई बड़े नक्सल हमलों को अंजाम दिया था. 18 जुलाई 2016 को माओवादियों ने छकरबंधा के इलाके में बड़ी साजिश रची थी और हमले को अंजाम दिया था. इस हमले में कोबरा के 10 जवान शहीद हो गए थे जबकि आधा दर्जन के करीब जख्मी हुए थे. इस दौरान तीन माओवादी भी मारे गए थे. माओवादियों ने यह हमला गया के बांकेबाजार के डुमरीनाला के पास अंजाम दिया था.

हमले से 15 दिन पहले रची गई थी साजिशः घटना के कुछ दिनों बाद टॉप माओवादी कमांडर अभय यादव उर्फ गोविंद पकड़ा गया था. गोविंद यादव से सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ कर करीब 34 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें इस हमले का भी जिक्र किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में माओवादियों के टॉप कमांडर संदीप यादव ने इस हमले की योजना तैयार की थी.

संदीप यादव ने हमले से 15 दिन पहले माओवादियों के टॉप कमांडर के साथ बैठक की थी और हथियार लूटने की योजना तैयार की थी. हमले से चार दिन पहले नागेन्द्र यादव उर्फ विनोद ने डुमरीनाला और उसके आसपास के इलाकों में सीरीज में लैंड माइंस लगाई. लैंड माइंस विस्फोट की जिम्मेदारी माओवादी रंजीत और राजबली भुईयां को दी गई थी, हमने से पहले नागेंद्र यादव उर्फ विनोद में लैंडमाइंस का जायजा लिया था.

हमले के लिए माओवादियों ने बनाई थी छह अलग अलग टीमः सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि माओवादियों ने इस हमले के लिए छह अलग-अलग टीम बनाई थी. पहली टीम का नेतृत्व टॉप कमांडर कुंदन यादव कर रहा था, दूसरी टीम का नितेश यादव , तीसरी टीम का नवीन यादव, चौथी टीम का विनोद यादव , पांचवीं टीम का नेतृत्व अभिजीत यादव कर रहा था, जबकि छठी टीम वॉकी टॉकी साथ के साथ पहाड़ पर मौजूद थी. सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि घटनास्थल से करीब दो किलोमीटर दूर टॉप माओवादी कमांडर संदीप यादव पूरे हमले की मॉनिटरिंग कर रहा था.

कैसे फंसे थे माओवादियों के साजिश में सुरक्षाबलः सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि माओवादियों का एक धड़ा औरंगाबाद सीमा पर सोनदाहा के जंगल में कैंप कर रहा है. इसी सूचना के आलोक में कोबरा सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था. अभियान के क्रम में जैसे ही सुरक्षाबल डुमरीनाला के पास पहुंचे थे माओवादियों ने सीरीज में लैंड माइंस विस्फोट किया था. सुरक्षाबलों ने बहादुरी दिखाते हुए मुठभेड़ में तीन माओवादियों को भी मार गिराया, माओवादियों ने इस घटना के लिए सुरक्षाबलों को तीन तरफ से घेर रखा था.

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