पलामूः तकनीक का इस्तेमाल हर चीज को आसान कर देती है, लेकिन यही तकनीक मुसीबत का कारण भी बन सकती है. कुछ यही हुआ है नक्सल संगठनों के लिए. मोबाइल फोन के इस्तेमाल के कारण जब नक्सलियों का सुरक्षाबलों पर शिकंजा कसने लगा तो उन्होंने आपस में बातचीत करने का तरीका बदल लिया और सुरक्षा बलों से बचने के लिए चिट्ठी और खिलौने वाले वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल करने लगे. हालांकि इससे सुरक्षाबलों की चुनौती बढ़ गई है.
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बता दें कि मोबाइल वर्तमान में एक दूसरे से संपर्क के लिए बेहतर साधन है,लेकिन इसी के इस्तेमाल के कारण पिछले तीन वर्षों में 55 से अधिक नक्सली गिरफ्तार हुए हैं. इससे बचने के लिए नक्सल संगठनों ने मोबाइल के इस्तेमाल को बेहद कर कम कर दिया है. नक्सल संगठन अब इसकी जगह लांग रेंज वॉकी टॉकी का इस्तेमाल करने लगे हैं. यह वॉकी टॉकी बाजार में आसानी से उपलब्ध है और इसकी खरीद बिक्री पर कोई रोक नहीं है. पलामू के रामगढ़ थाना क्षेत्र के कोकाडू में सर्च अभियान के दौरान पुलिस को चार वॉकी टॉकी मिले थे. इस वॉकी टॉकी का इस्तेमाल झारखंड जनमुक्ति परिषद नामक संगठन कर रहा था. पलामू अभियान एसपी बीके मिश्रा के अनुसार यह वॉकी टॉकी बाजार में आसानी से उपलब्ध है जिस कारण नक्सली संगठन इसे आसानी से खरीदे रहे हैं. सभी पर नजर बनाए हुए हैं और योजना तैयार की जा रही है.
मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते नक्सली मोबाइल इस्तेमाल को लेकर नक्सल संगठन भाकपा माओवादी सबसे अधिक सख्त है. झारखंड बिहार सीमा पर सक्रिय टॉप माओवादी मतला ने कुछ महीने पहले बिहार के इलाके में आत्मसमर्पण किया था, उसने पुलिस को कई चौंकाने वाली जानकारी दी थी. मतला ने पुलिस को बताया था कि माओवादी दस्ता जहां पर होता है वहां से दो से तीन किलोमीटर दूरी पर मोबाइल का इस्तेमाल किया जाता है. दस्तों के पास आइकॉम सेट है, दस्तों के पास 20 से 25 की संख्या में हाई रेंज वॉकी टॉकी मौजूद हैं, जिसमें 2600 से अधिक चैनल हैं. माओवादी दस्ता अपनों से संपर्क करने के लिए अब कुरियर का भी इस्तेमाल कर रहा है. दस्ता कुरियर के माध्यम से अपने साथियों से संपर्क कर रहा है. नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि नक्सली मोबाइल की जगह पुराने तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं लोग पत्र लिख रहे हैं या पर्ची का इस्तेमाल कर रहे हैं.
हैदराबाद में तैयार हुआ वॉकी टॉकी का इस्तेमाल कर रहे माओवादी
बिहार में आत्मसमर्पण किए हुए नक्सली मतला ने पुलिस को बताया है कि माओवादी दस्ते के पास सुरक्षाबलों की तरह वायरलेस सेट है. यह सेट हैदराबाद से आया हुआ है. इसी सेट के माध्यम से झारखंड बिहार सीमा पर माओवादी सुरक्षाबलों की गतिविधियों को सुनते हैं. इस तरह का सेट माओवादियों के पास सबसे पहले 2019 में पहुंचा था. टॉप माओवादी संदीप यादव ने इसे मंगवाया था, माओवादियों वाके पास एक एचएफ सेट है जिसका इस्तेमाल अपने मुख्य ठिकाने पर करते हैं.