पलामू: जपला सीमेंट फैक्ट्री पिछले 27 सालों से बंद पड़ा है. पिछले कई चुनावों में यह चुनावी मुद्दा भी रहा है. साल 2014 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने जपला सीमेंट फैक्ट्री खुलवाने का वादा किया था, लेकिन आजतक यह सिर्फ वादा बनकर ही रह गया है.
पिछले 27 सालों से बंद है जपला सीमेंट फैक्ट्री
पलामू का एकमात्र वृहत सीमेंट उद्योग जपला सीमेंट फैक्ट्री की किस्मत करीब 27 साल के बाद भी नहीं बदली. 28 मई 1992 को बंद हुए इस फैक्ट्री के मजदूर इंतजार की घड़ी में दुनिया भी छोड़ गए और जो जीवित हैं वो भी गरीबी के साए में जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं. लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में जपला सीमेंट फैक्ट्री खुलवाने का मुद्दा सभी दल के नेता उठाते रहे हैं और चुनाव खत्म होते ही सब अपनी राजनीति में व्यस्त हो जाते हैं. 27 वर्षों से कई एमपी-एमएलए ने यह दावा जरूर किया कि लोकसभा और विधानसभा में आवाज उठाई है, लेकिन आवाज कहां दबकर रह जाती है यह कोई बताने को तैयार नहीं होता है.
पीएम भी कर चुके हैं वादा
2014 लोकसभा के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जब पलामू के मेदिनीनगर पहुंचे थे, तो उन्होंने भी लोगों से वादा किया था कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो जपला सीमेंट फैक्ट्री को फिर से पुनर्जिवित किया जाएगा. इस चुनाव अभियान के दौरान अमित शाह ने भी हुसैनाबाद में चुनाव प्रचार के दौरान इस वादे को दोहराया था. यहां तक कि 2014 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जपला सीमेंट फैक्ट्री को शुरू करने का वादा किया था, लेकिन किसी ने आजतक इस वादे पर कोई अमल नहीं किया और मजदूरों के लिए समस्या बढ़ती रही.
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फैक्ट्री से जुड़े अधिकांश मजदूरों की हो चुकी है मौत
जपला सीमेंट फैक्ट्री के मजदूर संगठन के लोग झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से पिछले 5 सालों में 5 बार मिलकर जपला सीमेंट फैक्ट्री के लिए किए गए वादों को याद दिलाया है, लेकिन मुख्यमंत्री ने हरबार सिर्फ आश्वासन ही देने का काम किया है. सरकार ने जब इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया तो साल 2018 में पटना उच्च न्यायालय ने जपला सीमेंट फैक्ट्री को कबाड़ के भाव में उद्योगपतियों के हाथों नीलाम करवा दिया. अब हाल ये है कि इस फैक्ट्री से जुड़े अधिकांश मजदूरों की मौत हो चुकी है और जो बचे भी हैं वो किसी तरह अपना जीवन बसर कर रहे हैं. इस फैक्ट्री से जुड़े एक मजदूर ने बताया कि वह पान की दुकान और रिक्शा चलाकर अपने परिवार की जिंदगी चला रहे हैं.
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फैक्ट्री के सैकड़ों एकड़ जमीन है खाली पड़ी है
बता दें कि अगर सरकार चाहे तो जपला सीमेंट फैक्ट्री की खाली पड़े सैकड़ों एकड़ भूमि में नया उद्योग भी लगा सकती है. स्थानीय लोगों का मानना है कि सोन नदी के तट पर सैकड़ों एकड़ खाली पड़े जमीन पर सरकार चाहे तो उद्योग लगाकर हजारों लोगों को रोजगार दे सकती है. यहां प्रचुर मात्रा में पानी, आवागमन के लिए रेल और सड़क मार्ग समेत सभी तरह की व्यवस्था उपलब्ध है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकी क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके और राज्य का विकास हो सके. वहीं, स्थानीय लोगों ने एक बार फिर राज्य और केंद्र सरकार से जपला सीमेंट उद्योग की भूमि पर नए उद्योग लगाने की मांग की है. विधानसभा चुनाव को लेकर क्षेत्र में नेताओं ने दौरा भी शुरू कर दिया है, लेकिन वे भी इन मुद्दों पर बोलने से बच रहे हैं.