पलामू: जिले में प्रतिदिन तीन लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे है. मानसिक बीमारी का ही कारण है कि पलामू में आत्महत्याएं तेजी से बढ़ती जा रही है. लोगों के मानसिक रूप से बीमार होने की संख्या बढ़ती जा रही है, जो काफी डरावनी है.
5 महीनों में हुई मानसिक रोगियों की संख्या में बढोतरी
पलामू के अलावा गढ़वा और लातेहार में भी लोग बीमार हो रहे हैं. पलामू में पिछले छह महीने में मानसिक रूप से बीमार 495 नए मरीज मिले हैं. 10 अक्टूबर को पूरा विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस मना रहा हैं. पलामू में अब तक 15 हजार से अधिक मानसिक रोगी चिन्हित हुए हैं. पलामू जिला के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र जो मेडिकल कॉलेज परिसर में है, वहां 15 हजार से अधिक मानसिक रोगियों का इलाज चल रहा है. 2019-20 में पलामू में सिर्फ 816 मरीज मिले थे, लेकिन पिछले 5 महीनों में इसकी संख्या में बढोतरी हुई है.
छात्र भी हो रहे हैं मानसिक बीमारी के शिकार
पलामू में चिंता और अवसाद के कारण भी आत्महत्या करने वालों की संख्या अधिक है. लॉकडाउन के दौरान 60 के करीब लोगों ने आत्महत्या किया था. पलामू मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टर सुनील सुनील कुमार बताते हैं कि मानसिक रोगियों की दिन-प्रतिदिन संख्या बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सिर्फ पलामू ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के इलाकों में भी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. उन्होंने बताया कि चिंता और अवसाद के अधिकतर मरीज उनके पास पहुंच रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि छात्रों का ग्रुप भी मानसिक रूप से बीमार हो रहा है. लॉकडाउन के कारण भी काफी लोग बीमार हो गए हैं. डॉक्टर सुनील का कहना है कि शुरुआती तौर पर मरीज ठीक हो सकते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग गलत कदम उठा लेते हैं.
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मानसिक बीमारी को छिपाने का प्रयास
पलामू में लंबे समय तक मानसिक रोगियों के बीच काम करने वाले हसमत रब्बानी और स्वर लता रंजन ने बताया कि शुरुआत में कई लोग मानसिक बीमारी को छिपाने का प्रयास करते थे. उन्होंने बताया कि जब वो मानसिक रोगियों के बीच काम करना शुरू किए थे उस समय उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन उनकी मेहनत का नतीजा है कि आज पलामू में मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है, जहां हजारों लोगों का इलाज हो रहा है. उनका कहना है कि मानसिक संतुलन खोने के साथ-साथ लोग अंधविश्वास का भी शिकार हो रहे हैं, जो खतरनाक है.
पढ़ाई में फेल होने का डर
नौकरी और पढ़ाई की चिंता भी लोगों को मांसिक रूप से बीमार बना रही है. लोगों को अपनी नौकरी जाने, व्यवसाय में नुकशान होने और पढ़ाई में फेल होने का डर सता रहा है. इतना ही नहीं लोग अकेलेपन का भी शिकार हो कर अपनी मन की बात किसी को बता नहीं पा रहे हैं. हसमत रब्बानी ने बताया कि लोगों को तनाव से बचने के लिए योगा करना चाहिए. अपने नजदीकी लोगों से बातचीत करना चाहिए. अपने दिल की बात दोस्तों और परिवार वालों से शेयर करना चाहिए, ताकि मन के अंदर का भड़ास बाहर निकल पाए. मानसिक रोगियों के लिए काम करने वाली समाज सेविका स्वर्ण लता रंजन बताती हैं कि लोगों का सोच ऊंचा है और लोग सोच बदल रहे हैं. यही कारण है कि लोग मानसिक रोग का शिकार हो रहे हैं.