पलामूः जिला में वर्चस्व को लेकर माओवादियों और टीएसपीसी में झड़प की दो बड़ी घटनाओं का जिक्र होने पर आज भी लोग खौफ से भर जाते हैं. माओवादी और TSPC के आपसी वर्चस्व की लड़ाई में दर्जनों लोगों की जान गई है. दोनों नक्सली संगठनों की आपसी लड़ाई में कई बड़ी घटना हुई हैं. लेकिन इनमें से मुख्य है साल 2011-12 और 2014 की घटना.
पलामू चतरा सीमा पर 2011-12 में माओवादियों के टॉप 10 कमांडर मारे गए थे जबकि 25 का TSPC ने अपहरण कर लिया था. इसके प्रतिशोध में 2014 में पलामू बिश्रामपुर के कौड़िया में माओवादियों ने TSPC के 15 सदस्यों की हत्या कर दी थी. दोनों संगठनों के आपसी वर्चस्व की लड़ाई पूरे झारखंड में चर्चित रहा है. हालांकि दोनों संगठन आज बेहद कमजोर हो गए हैं, दोनों का प्रभाव क्षेत्र भी धीरे धीरे कुछ इलाकों तक सिमट गया है. पुलिस ने कौड़िया घटना का 5 वर्षों तक अनुसंधान किया है और अंतिम चार्जशीट कोर्ट को सौंप दिया है. इस घटना से जुड़े हुए आधा दर्जन से अधिक माओवादी मारे गए जबकि एक दर्जन से अधिक सलाखों के पीछे हैं.
माओवादियों ने TPSC सदस्य को दौड़ा-दौड़ाकर मारी थी गोलीः 8 अगस्त 2014 को टीएसपीसी का एक दस्ता विश्रामपुर थाना क्षेत्र के छोटकी कोरिया में रामचंद्र साव और बलराम साव नामक व्यक्ति के घर में रुका हुआ था. इस इलाके से कुछ ही दूरी पर माओवादियों का एक बड़ा दस्ता भी रुका हुआ था. माओवादियों के दस्ते का नेतृत्व विशाल, नितेश, अभय, मनोहर गंझू, रमन, कालिका, गौतम, संजय यादव, अभिजीत यादव, अभय उर्फ गुरुजी, एनुल मियां, प्रमोद कर रहे थे. पुलिस की एफआईआर के अनुसार इस दौरान माओवादियों करीब 200 सदस्य मौजूद थे जबकि मौके पर 100 से अधिक टीएसपीसी के सदस्य भी रुके हुए थे. इस दौरान माओवादियों ने बड़ी चाल चलते हुए टीएसपीसी को भ्रमित किया, टीएसपीसी माओवादियों को घेरने निकली थी. इस दौरान टीएसपीसी के सदस्यों ने अपने 15 साथियों को छोटकी कौड़िया में ही छोड़ दिया था. माओवादियों ने टीएसपीसी दस्ता के सदस्यों की हत्या दी वहा मौजूद सभी 15 सदस्यों को गोली मारी थी, इसमें एक सदस्य को माओवादियों ने दौड़ा-दौड़ाकर गोली मारी थी.
किसी को नहीं लेने दिया था फोटोः इस घटना के बाद TSPC ने मौके पर पहुंचे मीडियाकर्मियों समेत अन्य लोगों को फोटो या वीडियो बनाने नहीं दिया था. तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के सदस्यों ने एक ट्रैक्टर में भरकर सभी 15 सदस्यों के शव को लेकर जंगल के इलाके में चले गए थे, जहां सभी का अंतिम संस्कार कर दिया. पुलिस को पूरे अनुसंधान के दौरान एक नक्सली का शव बरामद हुआ था बाकी के नक्सलियों के अवशेष बरामद किए हुए थे.
15 के खिलाफ FIR जबकि 200 अज्ञात प्राथमिकी दर्जः कौड़िया घटना को लेकर 24 नवंबर 2019 को माओवादियों के खिलाफ अंतिम चार्जशीट दाखिल किया गया है. बिश्रामपुर कांड संख्या 87/14 के तहत यादव विशाल, नितेश, अभय, मनोहर गंझू, रमन, कालिका, गौतम, संजय यादव, अभिजीत यादव, अभय उर्फ गुरुजी, एनुल मियां, प्रमोद यादव आजाद शीतल समेत 15 के खिलाफ नाजमद जबकि 200 अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 147/148/ 149/ 302/ 201/ 27 आर्म्स एक्ट/ 17 सीएलए एक्ट में एफआईआर दर्ज किया गया था. माओवादियों और टीएसपीसी में टकराव की इस घटना को लेकर आत्मसमर्पण करने वाले टॉप माओवादी कमांडर एनुल मियां उर्फ गोविंद के खिलाफ भी आरोप पत्र समर्पित किया गया है.