पलामू: बड़े-बड़े मंदिरों और धर्मस्थलों में आपने बलि प्रथा की कई कहानियां सुनी होंगी लेकिन पलामू में शिक्षा के मंदिर में पशु की बलि दी जाती है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदनीनगर से 62 किलोमीटर दूर स्थित लहर बंजारी मिडिल स्कूल के कैंपस में ही गमहेल बाबा और डीहवार बाबा का मंदिर है. यहां क्लासरूम में डीहवार बाबा स्थापित हैं. बाबा की पूजा करने के लिए अलग से रास्ता बनाया गया है. स्कूल के प्रिंसिपल विनोद कुमार बताते हैं कि पर्व-त्योहार या शादी के दिनों में अक्सर ढोल नगाड़े के साथ लोग यहां पहुंचते हैं और पशु की बलि देते हैं. इससे बच्चे डर जाते हैं और कई बार क्लास छोड़कर भाग जाते हैं.
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मंदिर की जगह स्कूल के लिए आवंटित हो गया जमीन
शिक्षकों ने बताया कि स्कूल बनने से पहले यहां मंदिर था. इसी जगह स्कूल के लिए जमीन आवंटित कर दिया गया. स्कूल का निर्माण तो हुआ लेकिन डीहवार बाबा जहां स्थापित हैं उन्हें वहीं रहने दिया गया. जिस जगह डीहवार बाबा स्थापित हैं वहां पर भी एक क्लासरूम बनाया गया है. कार्यक्रम के चलते अगल-बगल के क्लासरूम में भी पढ़ाई प्रभावित होती है.
वर्षों से चल रही प्रथा
शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में 8वीं तक क्लास संचालित होता है और यहां 400 से अधिक बच्चे बढ़ते हैं. यहां सिर्फ 6 कमरे हैं. बलि की वजह से बच्चों की पढ़ाई तो बाधित होती ही है. इसके अलावा कम कमरे होने की कारण भी दिक्कत होती है. बारिश के दिनों में भी कमरे में पानी टपकता है. शिक्षा के मंदिर में वर्षों से चल रही यह बलि प्रथा आस्था से अधिक अंधविश्वास लगती है. ऐसे में प्रशासन को यह पहल करने की जरूरत है कि लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर को किसी दूसरे जगह शिफ्ट किया जाए.