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हथियार बनाने का देसी जुगाड़, लोहा के बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे आर्म्स बनाने वाले

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Published : Oct 26, 2022, 7:25 PM IST

झारखंड में अवैध हथियार का कारोबार (Illegal arms business in Jharkhand) फल फूल रहा है. पिछले कुछ दिनों से राज्य के कई हिस्सों से अवैध हथियार फैक्ट्री का उद्भेदन हुआ है. एक हफ्ते पहले पलामू में भी अवैध हथियार फैक्ट्री का खुलासा हुआ था. जांच के दौरान पता चला कि देसी जुगाड़ से अवैध हथियार बनाया जा रहा है.

Illegal weapon manufacturing in Jharkhand
Illegal weapon manufacturing in Jharkhand

पलामू: अवैध देसी हथियारों का कारोबार काफी बड़ा है और इसका नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ है. कई इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से हथियारों को तैयार किया जा रहा है. अब हथियार बनाने का देसी तरीका निकल कर सामने आया है. हथियार बनाने वाले अब लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे है ताकि वे पुलिस की पकड़ से दूर रहें. इसका खुलासा पलामू पुलिस की जांच में हुआ है.

ये भी पढ़ें- जम्मू कश्मीर से ट्रेनिंग लेकर पलामू में चला रहा था अवैध मिनी गन फैक्ट्री, सात आरोपियों की गिरफ्तार के साथ हथियारों का जखीरा बरामद

पलामू पुलिस ने एक सप्ताह पहले एक अवैध हथियार फैक्ट्री (Illegal arms factory) पकड़ी थी. हथियारों की फैक्ट्री से पुलिस ने बड़े पैमाने पर लोहे के बर्तन बरामद किए थे. मौके से तवा और कड़ाही को पुलिस ने जब्त किया था. अवैध रूप से हथियार बनाने वाले तवा और कड़ाही को काटकर देसी कट्टा और देसी रायफल बना रहे थे. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा (SP Chandan Kumar Sinha) ने बताया कि देसी हथियार बनाने के लिए पाइप व अन्य सामग्री की जरूरत पड़ती है, हथियार निर्माताओं को लग रहा है कि पाइप या अन्य सामग्री खरीद कर ले जाने के दौरान पुलिस को शक हो सकता है. इसी वजह से हथियार निर्माता लोहे के तवा एवं अन्य बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. एसपी ने बताया कि मामला सामने आने के बाद पुलिस अलर्ट पर है और बाजार पर नजर बनाए हुए है.

देखें स्पेशल स्टोरी
नक्सल के खिलाफ अभियान के कारण हथियार बनाने वालों ने बदला ट्रेंड: पिछले एक दशक में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की दबिश बढ़ी है और उनके सप्लाई तंत्र को भी कमजोर कर दिया गया है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान को लेकर सुरक्षा बलों की नजर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की एक-एक बाजार पर रहती है. नक्सलियों तक हथियार एवं अन्य सामग्री नहीं पहुंचे इसके लिए सुरक्षाबलों के मुखबिर काफी सक्रिय हैं. पुलिस के अधिकारियों के अनुसार पुलिस की सक्रियता के कारण हथियार निर्माताओं ने अपने ट्रेंड को बदल लिया है. हथियार बनाने के लिए तस्कर अब देसी बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. खासकर वैसे बर्तन जो प्रतिदिन इस्तेमाल में होते हैं. हथियार तस्कर बर्तनों को काटकर देसी कट्टा और राइफल तैयार कर रहे हैं. पलामू प्रमंडल में बड़े पैमाने पर पकड़े गए है हथियार: पलामू प्रमंडल के तीनों जिले पलामू, गढ़वा और लातेहार में पिछले एक वर्षो के दौरान पुलिस ने अपराधियों के पास से 200 हथियारों को रिकवर किया है. जिसमें से अकेले 136 का आंकड़ा देसी कट्टा का है. 2022 में जनवरी से अब तक तीनों जिलों में 110 से अधिक लोगों की हत्या हुई है, जिसमें 30 प्रतिशत से भी अधिक हत्याओं में देसी कट्टा का इस्तेमाल हुआ है. पुलिस ने एक दशक में 2250 से भी अधिक हथियारों को बरामद किया. उत्तरप्रदेश के सीतापुर में हथियारों के एक देसी मॉडल पकड़ी गई थी, उत्तरप्रदेश पुलिस ने उस दौरान खुलासा किया था कि हथियार बनाने वाले कबाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. पलामू पुलिस की जांच में एक अलग मॉडल पकड़ा गया है जिसमें देसी बर्तनों का इस्तेमाल की बात सामने आई है.

पलामू: अवैध देसी हथियारों का कारोबार काफी बड़ा है और इसका नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ है. कई इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से हथियारों को तैयार किया जा रहा है. अब हथियार बनाने का देसी तरीका निकल कर सामने आया है. हथियार बनाने वाले अब लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे है ताकि वे पुलिस की पकड़ से दूर रहें. इसका खुलासा पलामू पुलिस की जांच में हुआ है.

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पलामू पुलिस ने एक सप्ताह पहले एक अवैध हथियार फैक्ट्री (Illegal arms factory) पकड़ी थी. हथियारों की फैक्ट्री से पुलिस ने बड़े पैमाने पर लोहे के बर्तन बरामद किए थे. मौके से तवा और कड़ाही को पुलिस ने जब्त किया था. अवैध रूप से हथियार बनाने वाले तवा और कड़ाही को काटकर देसी कट्टा और देसी रायफल बना रहे थे. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा (SP Chandan Kumar Sinha) ने बताया कि देसी हथियार बनाने के लिए पाइप व अन्य सामग्री की जरूरत पड़ती है, हथियार निर्माताओं को लग रहा है कि पाइप या अन्य सामग्री खरीद कर ले जाने के दौरान पुलिस को शक हो सकता है. इसी वजह से हथियार निर्माता लोहे के तवा एवं अन्य बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. एसपी ने बताया कि मामला सामने आने के बाद पुलिस अलर्ट पर है और बाजार पर नजर बनाए हुए है.

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नक्सल के खिलाफ अभियान के कारण हथियार बनाने वालों ने बदला ट्रेंड: पिछले एक दशक में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की दबिश बढ़ी है और उनके सप्लाई तंत्र को भी कमजोर कर दिया गया है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान को लेकर सुरक्षा बलों की नजर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की एक-एक बाजार पर रहती है. नक्सलियों तक हथियार एवं अन्य सामग्री नहीं पहुंचे इसके लिए सुरक्षाबलों के मुखबिर काफी सक्रिय हैं. पुलिस के अधिकारियों के अनुसार पुलिस की सक्रियता के कारण हथियार निर्माताओं ने अपने ट्रेंड को बदल लिया है. हथियार बनाने के लिए तस्कर अब देसी बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. खासकर वैसे बर्तन जो प्रतिदिन इस्तेमाल में होते हैं. हथियार तस्कर बर्तनों को काटकर देसी कट्टा और राइफल तैयार कर रहे हैं. पलामू प्रमंडल में बड़े पैमाने पर पकड़े गए है हथियार: पलामू प्रमंडल के तीनों जिले पलामू, गढ़वा और लातेहार में पिछले एक वर्षो के दौरान पुलिस ने अपराधियों के पास से 200 हथियारों को रिकवर किया है. जिसमें से अकेले 136 का आंकड़ा देसी कट्टा का है. 2022 में जनवरी से अब तक तीनों जिलों में 110 से अधिक लोगों की हत्या हुई है, जिसमें 30 प्रतिशत से भी अधिक हत्याओं में देसी कट्टा का इस्तेमाल हुआ है. पुलिस ने एक दशक में 2250 से भी अधिक हथियारों को बरामद किया. उत्तरप्रदेश के सीतापुर में हथियारों के एक देसी मॉडल पकड़ी गई थी, उत्तरप्रदेश पुलिस ने उस दौरान खुलासा किया था कि हथियार बनाने वाले कबाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. पलामू पुलिस की जांच में एक अलग मॉडल पकड़ा गया है जिसमें देसी बर्तनों का इस्तेमाल की बात सामने आई है.
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