पलामू: जिले में बुधवार को इदारा ए शरिया जागृति आंदोलन एवं समाज सुधार सम्मेलन का आयोजन हुआ. यह सम्मेलन डाल्टनगंज के राहत नगर स्थित ईदगाह मैदान में किया गया. पलामू कमेटी की ओर से अतिथियों का स्वागत किया गया. ऐतिहासिक सम्मेलन में इदारा ए शरिया की ओर से जिले के प्रत्येक पंचायत व गांव से आए विद्वानों, इमामों, मस्जिदों के संरक्षकों, मदरसों के जिम्मेदारों, समुदाय के विशिष्ट व्यक्तियों और संगठनों के प्रमुखों का आभार व्यक्त किया गया.
कार्यक्रम का संचालन मौलाना कुतुबुद्दीन रजवी ने किया. कार्यक्रम में पलामू के गांव गांव से बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग शामिल हुए. इस मौके पर पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि अपने हक व अधिकारों के लिए जागरुकता और एकता जरूरी है. उन्होंने कहा कि अपने अधिकारों के लिए गांव से राज्य स्तर पर कमेटियों के निर्देशों के मुताबिक लगने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इदारा ए शरिया पटना की मुहिम से एक एक अल्पसंख्यक को जुड़कर अपने हक व अधिकार के लिए संघर्ष करने की जरूरत है. उन्होंने मुसलमानों को भी दहेज समेत अन्य कुरीतियों को छोड़ने की हिदायत दी.
कार्यक्रम को अन्य उलेमाओं ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में केंद्र व राज्य सरकार से निम्नलिखित मांग संकल्प पारित हुआ. केंद्र सरकार से मांगों में पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम) के मान सम्मान के संरक्षण हेतु अधिनियम बनाकर लागू करने, मुसलमानों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए हरिजन एक्ट की तरह मुस्लिम सेफ्टी एक्ट बनाया जाए और देश में बढ़ती सांप्रदायिक नफरत को खत्म किया जाए.
वहीं झारखंड की सरकार से मांग की गई कि जनसंख्या के अनुपात में रोजगार एवं सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित की जाए, अल्पसंख्यकों की अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जिलावार स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए, स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों को अविलंब भरा जाए, कैबिनेट ने 592 मदरसों को मंजूरी दी, अभी तक वित्त पोषित नहीं किया गया है, सहायता प्रदान नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए और वेतन शीघ्र जारी करने, अलग राज्य बने 23 वर्ष बीत गए मगर अभी तक मदरसा बोर्ड गठन नहीं होना काबिल ए गौर है, मदरसा बोर्ड का गठन जल्द किया जाए, सुत्री वक्फ बोर्ड व दुूसरे अल्पसंख्यक बोर्ड का गठन किया जाए, राज्य स्तर के सरकारी परीक्षाओं में उर्दू भाषा को शामिल किया जाए, अल्पसंख्यक छात्रों के लिए झारखंड सेवा आयोग, मेडिकल नीट एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग की व्यवस्था की जाए, हैंडलूम अर्थव्यवस्था में सुधार किया जाना, मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए रोजगार एवं अन्य ऋण उसी प्रकार आसान किए जाएं जैसे अन्य वर्गों को दिए जाते हैं.
कार्यक्रम में मुस्लिम समाज के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए, जिसमें दहेज को रोकना, शादी में फिजूलखर्ची से बचना, शादी व अन्य आयोजनों में डीजे बजाने व डांस से दूर रहना, रोजा, नमाज अदा करना तथा शरियत का पालन करना, नैतिकता व प्रेम को बढ़ावा देना, धार्मिक व आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देना, छोटी छोटी अर्थव्यवस्था की ओर भी ध्यान देना, समाज में धर्मत्याग की बढ़ती प्रवृत्ति खत्म करना, मस्जिदों और मदरसों के इमामों एवं शिक्षकों और उनसे जुड़े अन्य लोगों के वेतन में हर साल उचित दर से वृद्धि करना, जो मस्जिदें और खानकाहें पंजीकृत नहीं हैं उन्हें और स्कूल, मदरसों का आधिकारिक स्तर पर संबद्ध नहीं हुआ है, उनको इदारा ए शरिया से संलग्न करें ताकि उन्हें भविष्य के खतरों से बचाया जा सके.
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