पलामू: आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में हुई थी. नीति आयोग के दिशा निर्देश पर देश के पिछड़े जिलों को इस कार्यक्रम से जोड़ा गया. पहले चरण में झारखंड के 19 जिलों के साथ साथ देश के 117 जिलों का चयन किया गया, जिसमें पलामू में शामिल था. करीब पांच वर्षों के बाद आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. झारखंड के 119 प्रखंडों का चयन नीति आयोग ने इस कार्यक्रम के लिया किया है. पलामू के हरिहरगंज प्रखंड को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा गया.
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आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम के तहत हरिहरगंज को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चयन किया गया है. पलामू के उपविकास आयुक्त रवि आनंद ने बताया कि पहले चरण में हरिहरगंज में इसकी शुरुआत की जा रही है. दूसरे चरण में इस कार्यक्रम को पांच से छह प्रखंडो में लागू किया जाएगा. जिला प्रशासन ने कार्यक्रम के लिए एक रोडमैप तैयार किया है.
क्या है आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम और कैसे होता है इसका चयन: आकांक्षी जिला कार्यक्रम की तरह ही आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम के तहत चयनित क्षेत्र में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास और बुनियादी ढांचा के बिंदु पर नीति आयोग योजना का चयन करती है. इसके तहत केंद्र सरकार की तरफ से विशेष अनुदान भी दिया जाता है. सभी जिलों के विभिन्न बिंदुओं पर प्रतिस्पर्धा आकलन किया जाता है. इस आकलन में बेहतर करने वाले को केंद्र को सरकार 20 करोड़ रुपये तक की विशेष अनुदान राशि देती है, ताकि संबंधित जिला इस राशि का उपयोग इलाके में नई-नई योजनाओं को शुरुआत में कर सके. नीति आयोग संबंधित बिंदुओं का आंकड़ा इकट्ठा करती है और पिछड़े जिलों का चयन करती है.
नीति आयोग की डेल्टा रैंकिंग में साहिबगंज पहले जबकि पलामू दूसरे स्थान पर: आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत नीति आयोग की डेल्टा रैंकिंग में साहिबगंज एक नंबर पर है, जबकि पलामू दूसरे नंबर पर है. नीति आयोग दोनों जिलों को बेहतर प्रदर्शन के लिए विशेष अनुदान राशि भी देगी. डेल्टा रैंकिंग में बेहतर करने के बाद पलामू को पहले भी विशेष अनुदान की राशि मिल चुकी है. आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत ही पलामू के इलाके में कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई नए प्रयोग हुए हैं. नीति आयोग की पहल पर पलामू में स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत हुई थी, जिसने इलाके में बड़ा बदलाव लाया है. नीति आयोग से मिली राशि के बाद पलामू स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में सहियाओं के लिए मेडिकल किट उपलब्ध करवाया था और उन्हें फर्स्ट एड की ट्रेनिंग भी दी थी.