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नक्सलियों को हराया, सिस्टम से हारे: तीन साल में पूरा नहीं हुआ बटाने नदी पर बन रहा पुल, बरसात में बढ़ जाती हैं मुश्किलें

पलामू के हरिहरगंज इलाके में बटाने नदी पर पुल नहीं रहने से 25 हजार की आबादी बरसात में हर साल मुख्यधारा से अलग होने को विवश है. इस नदी पर बन रहे पुल निर्माण की धीमी गति ने यहां के लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी है.

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नक्सलियों का हराया, सिस्टम से हारे
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Published : Jul 18, 2021, 3:12 PM IST

पलामू: जिले के हरिहरगंज क्षेत्र में एक समय था जब नक्सलियों की तूती बोलती थी, उनके फरमान पर हरिहरगंज में सबकुछ थम जाता था. अब समय बदल गया है. नक्सलियों के फरमान का अब इलाके में असर नहीं होता. कह सकते हैं कि नक्सलियों के खौफ पर लोगों ने विजय पा लिया है. नक्सलियों को हराने के बाद अब यहां के लोग अपने ही सरकारी तंत्र या सिस्टम से लड़ रहे हैं. झारखंड की राजधानी रांची से करीब 270 किलोमीटर दूर पलामू के इस इलाके में कई विकास योजनाएं सालों से अधूरी पड़ी हैं. ऐसी ही एक योजना है बटाने नदी पर बन रहा पुल. तीन सालों से इस पुल का निर्माण पूरा नहीं होने से ग्रामीण काफी मुश्किलों का सामना करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- पलामू के पुल में खेला हैः बनते हैं पर टिकते नहीं, 10 साल में 12 पुल टूट गए या फिर बह गए

जिला मुख्यालय से टूट जाता है संपर्क

हरिहरगंज थाना क्षेत्र के डेमा, चहका, तुरी, लंगुराही जैसे एक दर्जन से अधिक गांव ऐसे हैं जो बरसात के दिनों में पूरी तरह शहर से कट जाते हैं. गांव के लोगों को शहर आने के लिए बटाने नदी को पार करना होता है. बरसात में नदीं में तेज धार और पानी बढ़ जाने के कारण ग्रामीणों को शहर पहुंचने के लिए कई किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना होता है. मुश्किलें उस समय और बढ़ जाती है जब किसी बीमार व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की जरूरत होती है. इस हालात में कई लोग या तो दम तोड़ देते हैं या फिर किसी तरह खटिया पर लादकर मरीजों को लंबी दूरी तय कर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. गांव के युवक संदीप यादव बताते हैं कि तीन साल पहले बटाने नदी पर पुल निर्माण का काम शुरू हुआ था लेकिन तीन साल में तीन पिलर का ही निर्माण हुआ है. ऐसे में इस पुल के पूरा होने में लंबा वक्त लगने की आशंका है.

देखिए पूरी खबर

पुल निर्माण में देरी क्यों?

तुरी में बटाने नदी पर पुल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाया जा रहा था, 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान पुल निर्माण स्थल पर नक्सलियों के हमले के बाद इसका काम बंद है. माओवादियों ने हमला कर इस प्रोजेक्ट में लगे कई मशीनों को आग के हवाले कर दिया था. जिसके बाद कुछ माओवादियों को पकड़कर जेल भी भेज दिया गया है. इधर ग्रामीण विकास विभाग के सब डिविजनल इंजीनियर रामनाथ प्रसाद बताते हैं कि तकनीकी कारणों के कारण कुछ साल पहले बटाने नदी पर बन रहा पुल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से अलग हो गया था. लेकिन केंद्रीय मंत्रालय ने फिर से इस पुल के निर्माण कार्य की मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया कि बरसात के कारण निर्माण कार्य बंद है जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है.

पलामू: जिले के हरिहरगंज क्षेत्र में एक समय था जब नक्सलियों की तूती बोलती थी, उनके फरमान पर हरिहरगंज में सबकुछ थम जाता था. अब समय बदल गया है. नक्सलियों के फरमान का अब इलाके में असर नहीं होता. कह सकते हैं कि नक्सलियों के खौफ पर लोगों ने विजय पा लिया है. नक्सलियों को हराने के बाद अब यहां के लोग अपने ही सरकारी तंत्र या सिस्टम से लड़ रहे हैं. झारखंड की राजधानी रांची से करीब 270 किलोमीटर दूर पलामू के इस इलाके में कई विकास योजनाएं सालों से अधूरी पड़ी हैं. ऐसी ही एक योजना है बटाने नदी पर बन रहा पुल. तीन सालों से इस पुल का निर्माण पूरा नहीं होने से ग्रामीण काफी मुश्किलों का सामना करने को मजबूर हैं.

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जिला मुख्यालय से टूट जाता है संपर्क

हरिहरगंज थाना क्षेत्र के डेमा, चहका, तुरी, लंगुराही जैसे एक दर्जन से अधिक गांव ऐसे हैं जो बरसात के दिनों में पूरी तरह शहर से कट जाते हैं. गांव के लोगों को शहर आने के लिए बटाने नदी को पार करना होता है. बरसात में नदीं में तेज धार और पानी बढ़ जाने के कारण ग्रामीणों को शहर पहुंचने के लिए कई किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना होता है. मुश्किलें उस समय और बढ़ जाती है जब किसी बीमार व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की जरूरत होती है. इस हालात में कई लोग या तो दम तोड़ देते हैं या फिर किसी तरह खटिया पर लादकर मरीजों को लंबी दूरी तय कर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. गांव के युवक संदीप यादव बताते हैं कि तीन साल पहले बटाने नदी पर पुल निर्माण का काम शुरू हुआ था लेकिन तीन साल में तीन पिलर का ही निर्माण हुआ है. ऐसे में इस पुल के पूरा होने में लंबा वक्त लगने की आशंका है.

देखिए पूरी खबर

पुल निर्माण में देरी क्यों?

तुरी में बटाने नदी पर पुल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाया जा रहा था, 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान पुल निर्माण स्थल पर नक्सलियों के हमले के बाद इसका काम बंद है. माओवादियों ने हमला कर इस प्रोजेक्ट में लगे कई मशीनों को आग के हवाले कर दिया था. जिसके बाद कुछ माओवादियों को पकड़कर जेल भी भेज दिया गया है. इधर ग्रामीण विकास विभाग के सब डिविजनल इंजीनियर रामनाथ प्रसाद बताते हैं कि तकनीकी कारणों के कारण कुछ साल पहले बटाने नदी पर बन रहा पुल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से अलग हो गया था. लेकिन केंद्रीय मंत्रालय ने फिर से इस पुल के निर्माण कार्य की मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया कि बरसात के कारण निर्माण कार्य बंद है जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है.

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