पलामूः कोविड 19 काल के बाद झारखंड-बिहार सीमा पर एक बार फिर से वन माफिया सक्रिय हो गए हैं. इलाके में नक्सल संगठनों की पकड़ कमजोर हो गई. जिसके बाद वन माफिया सक्रिय हुए हैं. वन माफिया ग्रामीणों को लालच दे कर दिन में लकड़ी कटवाते हैं और रात में उसकी तस्करी करते हैं. 2019-20 में झारखंड बिहार सीमा पर वन माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई थी, उसके बाद कुछ दिनों तक तस्करी नही हुई. हाल के दिनों में एक बार फिर वन माफिया सक्रिय हो गए हैं. पलामू, चतरा से सटे बिहार के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है. वन तस्करों के बड़ा नेटवर्क बिहार के इलाके का है.
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कार्रवाई के लिए वन विभाग ने बनाई है स्पेशल टीम
वन माफियाओं के सक्रिय होने के बाद वन विभाग भी हरकत में आया है. पलामू डीएफओ अमरनाथ सिंह ने बताया कि वन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्पेशल टीम का गठन किया गया है. स्पेशल टीम के साथ साथ उड़नदस्ता टीम भी है. उन्होंने बताया कि सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम तुरंत कार्रवाई करती है. पलामू वन विभाग लागातार कार्रवाई कर रहा है.
नक्सल इलाका और इंटर स्टेट बॉर्डर का फायदा उठा रहे माफिया
वन माफिया नक्सल इलाका और इंटरस्टेट बॉर्डर का फायदा उठा रहे हैं. पलामू के मनातू, नौडीहा बाजार और छत्तरपुर के इलाके में वन माफिया सक्रिय हैं. मनातू के अतिनक्सल प्रभावित इलाका कुंडिलपुर, रंगेया, मंसूरिया, राजखेता जबकि नौडीहा बाजार के ललगड़ा, रायबार आदि इलाकों में वनों की कटाई हो रही है. इन क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव था, अब यह प्रभाव बेहद कम हो गया है. इसका फायदा तस्कर उठा रहे हैं. लकड़ियां काटकर बिहार के इलाके में भेज रहे हैं. झारखंड से सटे हुए बिहार के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में आरा मिल संचालित हैं.