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तेलंगाना की चेरियाल पेंटिंग का है 400 साल पुराना इतिहास, नेतरहाट में अपनी कला का प्रदर्शन करने पहुंची चौथी पीढ़ी - First National Tribal Folk Art Painting Camp

नेतरहाट में प्रथम राष्ट्रीय आदिवासी लोककला पेंटिंग शिविर का आयोजन किया गया है. जिसमें तेलंगाना के चेरियाल पेंटिंग के चित्रकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करने पहुंचे हैं.

First National Tribal Folk Art Painting Camp organized in Netarhat
तेलंगाना की चेरियाल पेंटिंग
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Published : Feb 15, 2020, 12:40 PM IST

पलामू: नेतरहाट में प्रथम राष्ट्रीय आदिवासी लोककला पेंटिंग शिविर में तेलंगाना की टीम पंहुची है. यह टीम तेलंगाना के चेरियाल पेंटिंग को पहचान दिलाने के उद्देश्य से झारखंड पहुंची है. इस टीम में पेंटर साई किरण, श्रवण कुमार और मधु पंहुचे हुए हैं. तीनों हैदराबाद के रहने वाले हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-मुशायरा 2020 का आयोजन, देश के जाने माने शायरों का दिखा जलवा

तेलंगाना की चेरियाल पेंटिंग का 400 वर्ष पुराना इतिहास है. चेरियाल पेंटिंग से जुड़ी यह चौथी पीढ़ी है. टीम के सांई किरण ने बताया कि उनके महान परदादा ने चेरियाल पेंटिंग की शुरुआत की थी और वो इस पेंटिंग से जुड़ी चौथी पीढ़ी है. यह पीढ़ी इस पेंटिंग को आगे लेकर जाने का काम कर रही है.

तेलंगाना के पेंटर झारखंड में नेतरहाट के वादियों में खुश हैं. उनका कहना है कि इस तरह के आयोजन से कई कलाओं को प्रोत्साहन मिलता हैं. वे उत्साह के साथ भाग लेने पंहुचे है. प्रथम आदिवासी लोककला पेंटिंग शिविर का समापन 15 फरवरी को होगा. 10 फरवरी को ही तेलंगाना की टीम झारखंड पंहुची थी. टीम ने पांच दिनों में चेरियाल पेंटिंग को तैयार किया है.

पलामू: नेतरहाट में प्रथम राष्ट्रीय आदिवासी लोककला पेंटिंग शिविर में तेलंगाना की टीम पंहुची है. यह टीम तेलंगाना के चेरियाल पेंटिंग को पहचान दिलाने के उद्देश्य से झारखंड पहुंची है. इस टीम में पेंटर साई किरण, श्रवण कुमार और मधु पंहुचे हुए हैं. तीनों हैदराबाद के रहने वाले हैं.

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तेलंगाना की चेरियाल पेंटिंग का 400 वर्ष पुराना इतिहास है. चेरियाल पेंटिंग से जुड़ी यह चौथी पीढ़ी है. टीम के सांई किरण ने बताया कि उनके महान परदादा ने चेरियाल पेंटिंग की शुरुआत की थी और वो इस पेंटिंग से जुड़ी चौथी पीढ़ी है. यह पीढ़ी इस पेंटिंग को आगे लेकर जाने का काम कर रही है.

तेलंगाना के पेंटर झारखंड में नेतरहाट के वादियों में खुश हैं. उनका कहना है कि इस तरह के आयोजन से कई कलाओं को प्रोत्साहन मिलता हैं. वे उत्साह के साथ भाग लेने पंहुचे है. प्रथम आदिवासी लोककला पेंटिंग शिविर का समापन 15 फरवरी को होगा. 10 फरवरी को ही तेलंगाना की टीम झारखंड पंहुची थी. टीम ने पांच दिनों में चेरियाल पेंटिंग को तैयार किया है.

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