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नफा या नुकसान! महुआ चुनने के लिए लगाई गई चिंगारी और दहक उठा जंगल

पलामू के जंगलों में महुआ चुनने के लिए ग्रामीण आग लगाते हैं. इस आग की चिंगारी पूरी तरह जंगल को अपनी चपेट में ले लेती है. पलामू टाइगर रिजर्व के क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. हालांकि सजगता बरतने की वजह से नुकसान कम हुआ है. पढ़ें रिपोर्ट.

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Published : Apr 11, 2021, 3:43 PM IST

Updated : Apr 11, 2021, 7:24 PM IST

fire in forest
जंगल में आग

पलामू: मार्च के दूसरे सप्ताह से ही पलामू प्रमंडल में लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है. मार्च के अंतिम दिनों में ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. लगातार तापमान 40 के आस-पास बना हुआ है. जंगल के पेड़ पत्ते सुख गए हैं, आग की एक छोटी से चिंगारी कहर बरपा रही है. मार्च के अंतिम सप्ताह के बाद लगातार पलामू के विभिन्न जंगलों और गांव में आग लगने की खबर सामने आ रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के आबादी वाले क्षेत्रों में कई जगह आग लगी लेकिन नुकसान का आंकड़ा बेहद कम रहा. पलामू के पांकी, तरहसी, हुसैनाबाद, सतबरवा के इलाकों में आग से काफी नुकसान हुआ है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-कोडरमा में महुआ फूल चुनने गए लोगों ने जंगल में लगाई आग, कई पेड़ जलकर खाक

महुआ चुनने के लिए ग्रामीण लगाते हैं आग

पलामू और पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मार्च और अप्रैल महीने में महिलाएं महुआ के फूल चुनती हैं, इसका बड़ा बाजार है. ग्रामीण महुआ चुनने से पहले पेड़ों के अगल-बगल सफाई करते हैं सफाई करने के दौरान ग्रामीण आग लगा देते हैं. यही आग धीरे-धीरे जंगलों में फैल जाती है. पलामू वन विभाग लगातार ग्रामीणों को जागरूक कर रही है कि वे आग नही लगाएं इसके बावजूद लगातार आगजनी की घटनाएं हो रही हैं. पलामू डीएफओ राहुल कुमार बताते हैं कि ग्रमीणों को जागरूक किया गया है. आग को लेकर अलर्ट भी जारी किए गए हैं और कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए हैं. पलामू के पांकी, पड़वा समेत कई जगह आग अभी भी लगी हुई है. 20 मार्च से 09 अप्रैल तक पलामू में 23 जगहों से आगजनी की खबरें आई हैं.

ये भी पढ़ें-तुंबिया के जंगल में लगी आग, महुआ के लिए आग लगाए जाने की आशंका

सजगता से पलामू टाइगर रिजर्व में नुकसान कम

पलामू टाइगर रिजर्व 1052 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस बार पीटीआर के अधिकारियों की सजगता से नुकसान बेहद ही कम हुआ है. हालांकि, इस दौरान 6 से अधिक जगहों पर आजगनी को रिकॉर्ड किया गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि ग्रामीणों की लापरवाही से आग लगती है. इस बार अलर्ट किया गया था इसलिए नुकसान बेहद कम हुआ. इस मौसम में सब कुछ सूख जाता है जिस कारण आग फैलने की संभावना अधिक होती है.

पलामू: मार्च के दूसरे सप्ताह से ही पलामू प्रमंडल में लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है. मार्च के अंतिम दिनों में ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. लगातार तापमान 40 के आस-पास बना हुआ है. जंगल के पेड़ पत्ते सुख गए हैं, आग की एक छोटी से चिंगारी कहर बरपा रही है. मार्च के अंतिम सप्ताह के बाद लगातार पलामू के विभिन्न जंगलों और गांव में आग लगने की खबर सामने आ रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के आबादी वाले क्षेत्रों में कई जगह आग लगी लेकिन नुकसान का आंकड़ा बेहद कम रहा. पलामू के पांकी, तरहसी, हुसैनाबाद, सतबरवा के इलाकों में आग से काफी नुकसान हुआ है.

देखें पूरी खबर

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महुआ चुनने के लिए ग्रामीण लगाते हैं आग

पलामू और पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मार्च और अप्रैल महीने में महिलाएं महुआ के फूल चुनती हैं, इसका बड़ा बाजार है. ग्रामीण महुआ चुनने से पहले पेड़ों के अगल-बगल सफाई करते हैं सफाई करने के दौरान ग्रामीण आग लगा देते हैं. यही आग धीरे-धीरे जंगलों में फैल जाती है. पलामू वन विभाग लगातार ग्रामीणों को जागरूक कर रही है कि वे आग नही लगाएं इसके बावजूद लगातार आगजनी की घटनाएं हो रही हैं. पलामू डीएफओ राहुल कुमार बताते हैं कि ग्रमीणों को जागरूक किया गया है. आग को लेकर अलर्ट भी जारी किए गए हैं और कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए हैं. पलामू के पांकी, पड़वा समेत कई जगह आग अभी भी लगी हुई है. 20 मार्च से 09 अप्रैल तक पलामू में 23 जगहों से आगजनी की खबरें आई हैं.

ये भी पढ़ें-तुंबिया के जंगल में लगी आग, महुआ के लिए आग लगाए जाने की आशंका

सजगता से पलामू टाइगर रिजर्व में नुकसान कम

पलामू टाइगर रिजर्व 1052 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस बार पीटीआर के अधिकारियों की सजगता से नुकसान बेहद ही कम हुआ है. हालांकि, इस दौरान 6 से अधिक जगहों पर आजगनी को रिकॉर्ड किया गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि ग्रामीणों की लापरवाही से आग लगती है. इस बार अलर्ट किया गया था इसलिए नुकसान बेहद कम हुआ. इस मौसम में सब कुछ सूख जाता है जिस कारण आग फैलने की संभावना अधिक होती है.

Last Updated : Apr 11, 2021, 7:24 PM IST
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