पलामू: मार्च के दूसरे सप्ताह से ही पलामू प्रमंडल में लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है. मार्च के अंतिम दिनों में ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. लगातार तापमान 40 के आस-पास बना हुआ है. जंगल के पेड़ पत्ते सुख गए हैं, आग की एक छोटी से चिंगारी कहर बरपा रही है. मार्च के अंतिम सप्ताह के बाद लगातार पलामू के विभिन्न जंगलों और गांव में आग लगने की खबर सामने आ रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के आबादी वाले क्षेत्रों में कई जगह आग लगी लेकिन नुकसान का आंकड़ा बेहद कम रहा. पलामू के पांकी, तरहसी, हुसैनाबाद, सतबरवा के इलाकों में आग से काफी नुकसान हुआ है.
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महुआ चुनने के लिए ग्रामीण लगाते हैं आग
पलामू और पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मार्च और अप्रैल महीने में महिलाएं महुआ के फूल चुनती हैं, इसका बड़ा बाजार है. ग्रामीण महुआ चुनने से पहले पेड़ों के अगल-बगल सफाई करते हैं सफाई करने के दौरान ग्रामीण आग लगा देते हैं. यही आग धीरे-धीरे जंगलों में फैल जाती है. पलामू वन विभाग लगातार ग्रामीणों को जागरूक कर रही है कि वे आग नही लगाएं इसके बावजूद लगातार आगजनी की घटनाएं हो रही हैं. पलामू डीएफओ राहुल कुमार बताते हैं कि ग्रमीणों को जागरूक किया गया है. आग को लेकर अलर्ट भी जारी किए गए हैं और कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए हैं. पलामू के पांकी, पड़वा समेत कई जगह आग अभी भी लगी हुई है. 20 मार्च से 09 अप्रैल तक पलामू में 23 जगहों से आगजनी की खबरें आई हैं.
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सजगता से पलामू टाइगर रिजर्व में नुकसान कम
पलामू टाइगर रिजर्व 1052 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस बार पीटीआर के अधिकारियों की सजगता से नुकसान बेहद ही कम हुआ है. हालांकि, इस दौरान 6 से अधिक जगहों पर आजगनी को रिकॉर्ड किया गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि ग्रामीणों की लापरवाही से आग लगती है. इस बार अलर्ट किया गया था इसलिए नुकसान बेहद कम हुआ. इस मौसम में सब कुछ सूख जाता है जिस कारण आग फैलने की संभावना अधिक होती है.