पलामूः यह देश के सूखा प्रभावित जिला में से एक है, यहां के किसान सिंचाई के लिए प्राकृतिक तौर पर नदियों और बारिश पर निर्भर हैं. पलामू से होकर गुजरने वाली सोन और कोयल नदी यहां के किसानों के लिए लाइफ लाइन है. लेकिन अब यह दोनों नदियां जमीन के लिए काल बन साबित हो रही हैं और प्रतिवर्ष दर्जनों एकड़ जमीन को खुद में समा ले रही हैं. कई इलाकों में दोनों नदियों के कटाव और बाढ़ के कारण जमीन बंजर हो गई है.
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पलामू में कोयल और सोन नदी से जमीन का कटाव हो रहा है. जिला में कोयल नदी से मेदिनीनगर, रेहला, उंटारी, मोहम्मदगंज का इलाका प्रभावित है. जबकि सोन नदी से हैदरनगर और हुसैनाबाद का इलाका प्रभावित हो रहा है. 2008 में हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र में नदियों से हो रहे कटाव को लेकर सर्वे किया गया था. उस दौरान कई इलाकों में पत्थर से तटबंध बनाया गया. लेकिन उसके बाद से बचाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.
हुसैनाबाद और हैदरनगर के करीब 30 किलोमीटर के इलाके से सोन नदी गुजरती है. प्रतिवर्ष 4 से 5 मीटर जमीन को नदी खुद में समा ले रही है. कटाव को लेकर किसान बड़े पैमाने पर आंदोलन कर चुके हैं. लेकिन उनके आंदोलन की आवाज की कोई सुनवाई नहीं हुई. हैदरनगर के रामप्रवेश सिंह, वीरेंद्र कुमार और राजकुमार सिंह ने बताया कटाव से वो परेशान हैं, सरकार को कुछ पहल करने की जरूरत है. क्योंकि इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
किसान कर चुके हैं इच्छा मृत्यु की मांगः सोन और कोयल नदी से कटाव से किसान परेशान होकर बड़ा आंदोलन कर चुके हैं. 2013-14 के दौर में उंटारी रोड के किसानों ने इच्छा मृत्यु तक की मांग की थी. उस दौरान अधिकारियों और नेताओं के आश्वासन के बाद आंदोलन खत्म हुआ लेकिन आज तक किसानों की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कटाव और हुसैनाबाद अनुमंडल के इलाके में उत्पन्न समस्या को लेकर प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी बताते हैं कि मामले में सिंचाई विभाग से बातचित की जाएगी.