पलामू: पीटीआर और उसके आस पास के इलाके में हाथियों की गिनती हो रही है. हाथियों की गिनती का पहला चरण 15 से 28 फरवरी तक चला. इस दौरान हाथियों के डंग और फुटप्रिंट को नेशनल वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट को भेजा गया है. अब इलाके में हाथियों की गिनती के दूसरे चरण की शुरुआत की गई है. दूसरे चरण में हाथियों के झुंड में मौजूद संख्या के बारे में पता किया जा रहा है.
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पलामू टाइगर रिजर्व के कुमार आशुतोष ने बताया कि पहले चरण का सैंपल नेशनल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को भेजा गया है. रिपोर्ट आने के बाद हाथियों के बारे में कई जानकारी मिलेगी. पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके में हाथियों की गिनती के लिए 300 से भी अधिक कर्मियों की तैनाती की गई है. हाथियों की गिनती पीटीआर के उपनिदेशक रैंक के अधिकारियों की निगरानी में किया जा रहा है.
पीटीआर और उसके आस पास के इलाके में कितने हाथी: अब तक की जानकारी के मुताबिक, पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके में 190 से 220 के करीब हाथी मौजूद हैं. हालांकि, सैंपल के रिपोर्ट आने के बाद हाथियों की सही संख्या की पुष्टि हो सकेगी. हाथियों की गिनती कोरोनाकाल के बाद पहली बार की जा रही है. गिनती के बाद पता चल पाएगा कि पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके में कोरोनाकाल में हाथियों की संख्या कितनी बढ़ी है. पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत पलामू, लातेहार और गढ़वा के जंगल एक दूसरे से सटे हुए हैं और इसका एक बड़ा भाग हाथी के कॉरिडोर के रूप में जाना जाता है. पूरा इलाका सतपुड़ा के जंगल के कॉरीडोर से जुड़ा हुआ है.
मयूरभंजी के साथ-साथ अन्य प्रजाति के हाथी हैं मौजूद: पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके में मयूरभंजी के साथ-साथ अन्य प्रजाति के भी हाथी मौजूद हैं. मयूरभंजी हाथी सिंहभूम, सरायकेला, बंगाल के पुरुलिया समेत कई इलाको में फैले हुए हैं. पलामू और उसके आसपास के इलाके में मयूरभंजी के साथ-साथ किसी जमाने में राजाओं द्वारा पाले गए हाथियों की प्रजाति है. आजादी से पहले और उस दौरान सरगुजा के महाराज ने बड़े पैमाने पर पालतू हाथी को जंगल में छोड़ा था. प्रजनन के बाद हाथियों की संख्या बढ़ी है.