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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से बदलेगी रेलवे के सीआईसी सेक्शन की तस्वीर, थर्ड लाइन के साथ बनाया जा रहा लोंग हॉल स्टेशन

रेलवे के सीआईसी सेक्शन के कई स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है. इससे ट्रेनों की रफ्तार तो बढ़ेगी ही साथ ही इससे सुरक्षा में भी बढ़ोतरी होगी.

electronic interlocking system in CIC section of railway
electronic interlocking system in CIC section of railway
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Published : Aug 8, 2023, 7:42 AM IST

Updated : Aug 8, 2023, 7:51 AM IST

अरविंद सिन्हा, पूर्व ट्रैफिक इंस्पेक्टर, रेलवे

पलामूः इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम रेलवे के सीआईसी सेक्शन की तस्वीर को बदल देगा. धनबाद रेल डिवीजन के अंदर सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर (सीआईसी) सेक्शन आता है. इसी सेक्शन पर रेलवे के थर्ड लाइन का भी निर्माण किया जा रहा है. पूरे सेक्शन को ट्रेनों के परिचालन के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है जो पूरी तरह से डिजिटल है.

ये भी पढ़ेंः अमृत भारत योजना: नक्सल इलाके के रेलवे स्टेशनों का होगा कायाकल्प, छह अगस्त को PM MODI आम लोगों से करेंगे ऑनलाइन बात

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से ट्रेनों की गति तो बढ़ेगी ही, साथ ही साथ यह काफी सुरक्षित भी रहेगी. रेलवे सुरक्षा के दृष्टिकोण से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को बहुत ही महत्वपूर्ण मानती है. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ-साथ सीआईसी सेक्शन में लोंग हॉल रेलवे स्टेशन भी बनाया जा रहा है. सीआईसी सेक्शन में बरकाकाना, बारवाडीह के अलावा कुछ ही स्टेशनों पर लोंग हॉल ट्रेनों के ठहराव की सुविधा थी. इसके अलावा कई और रेलवे स्टेशन पर लोंग हॉल की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है.

दरसअल दो से तीन मालगाड़ी एक में जुड़ कर चलती है, जिसके ठहरने के व्यवस्था कुछ ही रेलवे स्टेशनों पर मौजूद थी, जिसे बढ़ाया जा रहा है. रेलवे के सीआईसी सेक्शन में प्रतिदिन औसतन 90 से 95 मालगाड़ी गुजरती है. सिस्टम के डेवलप हो जाने से प्रतिदिन 120 से 125 मालगाड़ी गुजर सकती है. रेलवे के पूर्व ट्रैफिक इंस्पेक्टर अरविंद सिन्हा बताते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम रेलवे के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके फेल होने की संभावना बेहद ही कम होती है. यह ट्रेनों के परिचालन की गति को तो बढ़ाएगा साथ ही साथ सुरक्षित भी होगा. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से कई स्टेशनों को जोड़ा जा रहा है.

अरविंद सिन्हा, पूर्व ट्रैफिक इंस्पेक्टर, रेलवे

पलामूः इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम रेलवे के सीआईसी सेक्शन की तस्वीर को बदल देगा. धनबाद रेल डिवीजन के अंदर सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर (सीआईसी) सेक्शन आता है. इसी सेक्शन पर रेलवे के थर्ड लाइन का भी निर्माण किया जा रहा है. पूरे सेक्शन को ट्रेनों के परिचालन के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है जो पूरी तरह से डिजिटल है.

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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से ट्रेनों की गति तो बढ़ेगी ही, साथ ही साथ यह काफी सुरक्षित भी रहेगी. रेलवे सुरक्षा के दृष्टिकोण से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को बहुत ही महत्वपूर्ण मानती है. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ-साथ सीआईसी सेक्शन में लोंग हॉल रेलवे स्टेशन भी बनाया जा रहा है. सीआईसी सेक्शन में बरकाकाना, बारवाडीह के अलावा कुछ ही स्टेशनों पर लोंग हॉल ट्रेनों के ठहराव की सुविधा थी. इसके अलावा कई और रेलवे स्टेशन पर लोंग हॉल की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है.

दरसअल दो से तीन मालगाड़ी एक में जुड़ कर चलती है, जिसके ठहरने के व्यवस्था कुछ ही रेलवे स्टेशनों पर मौजूद थी, जिसे बढ़ाया जा रहा है. रेलवे के सीआईसी सेक्शन में प्रतिदिन औसतन 90 से 95 मालगाड़ी गुजरती है. सिस्टम के डेवलप हो जाने से प्रतिदिन 120 से 125 मालगाड़ी गुजर सकती है. रेलवे के पूर्व ट्रैफिक इंस्पेक्टर अरविंद सिन्हा बताते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम रेलवे के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके फेल होने की संभावना बेहद ही कम होती है. यह ट्रेनों के परिचालन की गति को तो बढ़ाएगा साथ ही साथ सुरक्षित भी होगा. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से कई स्टेशनों को जोड़ा जा रहा है.

Last Updated : Aug 8, 2023, 7:51 AM IST
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