पलामूः आदमखोर तेंदुआ को मारने की डेडलाइन खत्म भी हो गई है. पिछले एक पखवाड़े से मानव जीवन के लिए खतरा बने तेंदुआ का लोकेशन भी नहीं मिल पा रहा है. वन विभाग की टीम गढ़वा, भंडरिया, रंका, चिनिया और रमकंडा के जंगलों में तेंदुआ को खोज रही है. लेकिन तेंदुआ के मौजूदगी का कोई सबूत नहीं मिल रहा है. पिछले एक पखवाड़े से तेंदुआ ने इलाके में कोई शिकार भी नहीं किया है.
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तेंदुआ को पकड़ने के लिए गढ़वा में कैंप करने वाले हैदराबाद के मशहूर शूटर नवाब सफत अली खान और संजय टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट वापस हो गए है. नवाब सफत अली खान तीन जनवरी से गढ़वा के इलाके में कैंप कर रहे थे. जबकि संजय टाइगर रिजर्व एक्सपर्ट एक पखवाड़े पहले इलाके में पहुंचे थे. गढ़वा जिला में वन विभाग की टीम ने तेंदुआ को मानव जीवन के लिए खतरा बताया था. जिसके बाद पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने तेंदुआ को शर्तों के साथ मारने की अनुमति दी थी.
तेंदुआ को मारने की डेडलाइन 31 जनवरी तय की गई थी. शर्तो में कहा गया था कि तेंदुआ को पहले ट्रैंकुलाइज किया जाएगा. ट्रैंकुलाइज के दौरान परिस्थिति विपरीत होने पर तेंदुआ को मारा जाएगा. तेंदुआ को पकड़ने या मारने के लिए इलाके में 50 से अधिक ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए थे.
28 दिसंबर 2022 के बाद से तेंदुआ ने किसी भी मानव जीवन को निशाना नहीं बनाया है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ का लोकेशन नहीं मिल पा रहा है, ना ही उसके बारे में जानकारी मिल पा रही है. तेंदुआ किस इलाके में गया है इसके भी सबूत नहीं मिल पा रहे हैं. फिलहाल विभाग तेंदुआ को मारने के लिए फिर से प्रस्ताव तैयार नहीं करेगा.
तेंदुआ ने एक पखवाड़े से प्रभावित इलाके में कोई भी शिकार नहीं किया है. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल स्थिति सामान्य है, दोनों एक्सपर्ट की टीम वापस हो गई है. जरूरत के अनुसार दोनों एक्सपोर्ट टीम को वापस बुलाया जाएगा. गढ़वा जिला के में तेंदुआ ने तीन बच्चों को मार डाला था. तेंदुआ ने सबसे पहले 13 दिसंबर को भंडरिया कि इलाके में एक बच्चे को मार डाला था. उसके एक पखवाड़े के अंदर तेंदुआ ने तीन बच्चों का शिकार किया था. तेंदुआ को पकड़ने के लिए पिछले 50 दिनों से वन विभाग के अभियान की रफ्तार धीमी पड़ गई है.