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Naxalites in Jharkhand: गिरफ्तार और आत्मसमर्पण के बाद माओवादी बदल देते हैं हथियारों का ठिकाना, जानिए क्या है पूरी सच्चाई

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Published : Jul 1, 2023, 9:53 PM IST

पलामू में माओवादी अब इलाका छोड़कर भागने लगे हैं. नक्सलियों के खिलाफ अभियान के कारण माओवादी हथियार के ठिकाने को बदल रहे हैं. एक खुलासा ये भी हुआ है कि टॉप कमांडर्स की गिरफ्तार या सरेंडर करने के बाद वो ऐसा करते हैं. लेकिन डंप किये हथियार के ठिकाने की जानकारी सिर्फ खास कमांडरों को होती है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, पूरी सच्चाई.

Maoists changing location of weapons after operation against Naxalites in Palamu
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देखें स्पेशल रिपोर्ट

पलामूः माओवादियों के टॉप कमांडर्स के पकड़े जाने या आत्मसमर्पण के बाद माओवादी हथियार के ठिकाने को बदल देते हैं. इतना ही नहीं माओवादी एक एक जानकारी को भी बदल देते हैं. यही वजह है कि नक्सलियों के पकड़े जाने के बाद भी पुलिस और सुरक्षा बलों को सर्च ऑपरेशन में आधुनिक हथियार बेहद कम ही मिलते हैं. माओवादी अपनी रणनीति के तहत ऐसा करते हैं.

इसे भी पढ़ें- Naxalites In Kolhan: स्पाइक होल्स के सहारे नक्सली कोल्हान में लड़ रहे अंतिम लड़ाई, जानिए क्या है स्पाइक होल्स और सुरक्षाबलों को इससे कितना खतरा है

माओवादियों के हथियार और विस्फोटक की जानकारी स्टेट एरिया सदस्य, रीजनल कमांडर और उससे उपर के कमांडरों के पास होती है. जैसे ही हथियार के ठिकाने को जानने वाला कमांडर लंबी अवधि के लिए दस्ते से बाहर रहने, गिरफ्तार होने या आत्मसमर्पण के बाद सारे डंप के स्थान को ही बदल दिया जाता है और दूसरी जगह छुपा दिया जाता है. पिछले एक वर्ष से सुरक्षा बल झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा के इलाके में अभियान चला रहे हैं. दोनों इलाकों में सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है लेकिन माओवादी जिन हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं वो बरामद नहीं हुआ है.

एक पूर्व माओवादी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि माओवादियों की यह पुरानी परंपरा है, हथियार ही नहीं, पैसे और सामग्री के ठिकानों को बदला जाता है. हथियारों के डंप के दौरान कैडर को अलग रखा जाता है सिर्फ कुछ कमांडर्स ही मौजूद रहते हैं. जिस जगह पर हथियार रखा किया जाता है वहां कुछ निशान छोड़ दिए जाते है और एक नक्शा बनाया जाता है और पूरी प्रक्रिया का दस्तावेज तैयार किया जाता है. कुछ खास खास कमांडर अपने पास जानकारी रखने वाले कोई एक भी कमांडर पकड़ा जाता है या आत्मसमर्पण करता है तो हर चीज बदल दी जाती है.

पुलिस से लूट गए 500 हथियार में 250 के करीब हुआ बरामदः पिछले दो दशक में नक्सलियों ने पुलिस, सुरक्षाबल और आम लोगों से 500 से हथियारों को छीना है. पिछले पांच साल में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का मजबूत अभियान चला है, जिसमें 250 से अधिक हथियार बरामद हुए हैं. पुलिस या सुरक्षा बलों के पास से लूटे गए एक्स 95, एके 47, एलएमजी जैसे कई आधुनिक हथियार नहीं मिले हैं. बूढ़ा पहाड़ और छकरबंधा के इलाके में माओवादियो के खिलाफ एक वर्ष से अभियान चलाया जा रहा है. दोनों स्थानों पर सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है. सुरक्षाबलों को 5000 से अधिक लैंड माइंस, 6000 के करीब गोली और 150 के करीब हथियार मिले हैं.

गिरफ्तार होने वाले और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के कन्फेशन में इन दोनों इलाकों के बारे में सैकड़ों हथियारों के बारे में जानकारी अभी तक सुरक्षा बलों के हाथ नहीं लगी है. नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र कुमार गुप्ता बताते हैं कि कई कमांडर जानकारी को अपने तक छुपा लेते हैं ताकि जेल से निकलने के बाद हथियारों को वापस दे सकें. उन्होंने कहा कि हथियारों के बारे में जानकारी कुछ खास कमांडर्स के पास ही रहती है. माओवादी अपने हथियार को जंगल या कुछ खास समर्थकों के यहां छुपा देते हैं.

हथियारों के डंप वाले स्थान के आसपास लैंड माइंस का खतराः विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों माओवादियों के हथियारों के डंप के अगल-बगल लैंड माइंस का खतरा बताया है. सुरक्षाबल बुढ़ा पहाड़ और छकरबंधा के इलाके को सेनेटाइज कर रहे हैं. सेनेटाइज कर पहले इलाके को सुरक्षित किया जा रहा है. पलामू रेंज आईजी राजकुमार लकड़ा बताते हैं कि इस दिशा में लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है और हथियारों को भी बरामद किया जाएगा. सुरक्षा बल धीरे धीरे इलाके के सभी चीजों को ठीक कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Naxal in Palamu: नक्सलियों के पास नहीं बचे हैं लड़ाके, कमांडर्स को मिलाकर तैयार कर रहे दस्ता

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पलामूः माओवादियों के टॉप कमांडर्स के पकड़े जाने या आत्मसमर्पण के बाद माओवादी हथियार के ठिकाने को बदल देते हैं. इतना ही नहीं माओवादी एक एक जानकारी को भी बदल देते हैं. यही वजह है कि नक्सलियों के पकड़े जाने के बाद भी पुलिस और सुरक्षा बलों को सर्च ऑपरेशन में आधुनिक हथियार बेहद कम ही मिलते हैं. माओवादी अपनी रणनीति के तहत ऐसा करते हैं.

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माओवादियों के हथियार और विस्फोटक की जानकारी स्टेट एरिया सदस्य, रीजनल कमांडर और उससे उपर के कमांडरों के पास होती है. जैसे ही हथियार के ठिकाने को जानने वाला कमांडर लंबी अवधि के लिए दस्ते से बाहर रहने, गिरफ्तार होने या आत्मसमर्पण के बाद सारे डंप के स्थान को ही बदल दिया जाता है और दूसरी जगह छुपा दिया जाता है. पिछले एक वर्ष से सुरक्षा बल झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा के इलाके में अभियान चला रहे हैं. दोनों इलाकों में सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है लेकिन माओवादी जिन हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं वो बरामद नहीं हुआ है.

एक पूर्व माओवादी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि माओवादियों की यह पुरानी परंपरा है, हथियार ही नहीं, पैसे और सामग्री के ठिकानों को बदला जाता है. हथियारों के डंप के दौरान कैडर को अलग रखा जाता है सिर्फ कुछ कमांडर्स ही मौजूद रहते हैं. जिस जगह पर हथियार रखा किया जाता है वहां कुछ निशान छोड़ दिए जाते है और एक नक्शा बनाया जाता है और पूरी प्रक्रिया का दस्तावेज तैयार किया जाता है. कुछ खास खास कमांडर अपने पास जानकारी रखने वाले कोई एक भी कमांडर पकड़ा जाता है या आत्मसमर्पण करता है तो हर चीज बदल दी जाती है.

पुलिस से लूट गए 500 हथियार में 250 के करीब हुआ बरामदः पिछले दो दशक में नक्सलियों ने पुलिस, सुरक्षाबल और आम लोगों से 500 से हथियारों को छीना है. पिछले पांच साल में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का मजबूत अभियान चला है, जिसमें 250 से अधिक हथियार बरामद हुए हैं. पुलिस या सुरक्षा बलों के पास से लूटे गए एक्स 95, एके 47, एलएमजी जैसे कई आधुनिक हथियार नहीं मिले हैं. बूढ़ा पहाड़ और छकरबंधा के इलाके में माओवादियो के खिलाफ एक वर्ष से अभियान चलाया जा रहा है. दोनों स्थानों पर सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है. सुरक्षाबलों को 5000 से अधिक लैंड माइंस, 6000 के करीब गोली और 150 के करीब हथियार मिले हैं.

गिरफ्तार होने वाले और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के कन्फेशन में इन दोनों इलाकों के बारे में सैकड़ों हथियारों के बारे में जानकारी अभी तक सुरक्षा बलों के हाथ नहीं लगी है. नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र कुमार गुप्ता बताते हैं कि कई कमांडर जानकारी को अपने तक छुपा लेते हैं ताकि जेल से निकलने के बाद हथियारों को वापस दे सकें. उन्होंने कहा कि हथियारों के बारे में जानकारी कुछ खास कमांडर्स के पास ही रहती है. माओवादी अपने हथियार को जंगल या कुछ खास समर्थकों के यहां छुपा देते हैं.

हथियारों के डंप वाले स्थान के आसपास लैंड माइंस का खतराः विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों माओवादियों के हथियारों के डंप के अगल-बगल लैंड माइंस का खतरा बताया है. सुरक्षाबल बुढ़ा पहाड़ और छकरबंधा के इलाके को सेनेटाइज कर रहे हैं. सेनेटाइज कर पहले इलाके को सुरक्षित किया जा रहा है. पलामू रेंज आईजी राजकुमार लकड़ा बताते हैं कि इस दिशा में लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है और हथियारों को भी बरामद किया जाएगा. सुरक्षा बल धीरे धीरे इलाके के सभी चीजों को ठीक कर रहे हैं.

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