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कोरोना इफेक्टः पलामू में बैंड बजाने वाले भुखमरी की कगार पर, बेच रहे सब्जी

कोरोना ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया है. पलामू में शादियों में बैंड बजाने वालों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. काम न मिलने से ये लोग छोटा मोटा काम कर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं.

बैंड बजाने वाले भुखमरी की कगार पर
बैंड बजाने वाले भुखमरी की कगार पर
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Published : Jun 12, 2020, 1:43 PM IST

पलामूः कोरोनो संकट धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इस संकट ने कई की रोजी-रोटी को प्रभावित कर दिया है. कई परिवार ऐसे हैं जो भुखमरी की कगार पर पंहुच गए है. लॉकडाउन के बाद अनलॉक वन में कई छूट मिली हैं. शादियों के लिए कई गाइडलाइन जारी की गई है. लग्न भी हैं और प्रशासनिक मंजूरी के बाद शादियां भी हो रही हैं.

बैंड बजाने वाले भुखमरी की कगार पर

शादी में बैंड बजने के बाद माहौल बदल जाता है और लोग झूमने लगते हैं, लेकिन शादियों में खुशियां बाटने वाले आज गम में हैं. कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन ने बैंड बाजा वालों को भुखमरी की कगार पर ला दिया है. वे इतने मजबूर हो गए हैं कि झोला और सब्जी बेचना शुरू कर दिया है.

नहीं हो रही बुकिंग

लग्न की कमाई से पूरे वर्ष परिवार का पेट भरता था. कोरोनो संकट को लेकर शादियों में 50 से अधिक लोगों के भाग लेने की इजाजत नही है जिस कारण लोग बैंड बाजा की बुकिंग नहीं कर रहे. डीजे या म्यूजिक सिस्टम से लोग काम चला ले रहे हैं. एक एक बैंड बाजा वाले शादियों से पूरे साल अपने परिवार का पेट पालते थे.

पलामू के मेदिनीनागर के माली मोहल्ला के मोहम्मद कासिम और उसका भाई बैंड पार्टी का संचालन करते है. दोनों के परिवार में एक दर्जन से अधिक सदस्य हैं. वे बताते है कि वे भुखमरी की कगार पर हैं. मजबूरी में वे दूसरा छोटा मोटा धंधा करने के लिए कर्ज लेना चाहते हैं तो कोई देना भी नही चाहता. बचे खुचे पैसे थे वे भी खत्म हो गए.

यह भी पढ़ेंः झारखंडः प्रवासी मजदूरों को खेती के जरिए मिलेगा रोजगार, कृषि मंत्री ने उपायुक्तों को दिए ये निर्देश

वे बताते है कि एक शादी की कमाई से साल भर परिवार को कोई परेशानी नहीं होती थी. वे बताते है कि कई लोग मजबूरी में सब्जी बेच रहे तो किसी ने झोला बेचना शुरू कर दिया है. बैंड संचालक बताते हैं कि उनके लिए भी सरकार को कुछ सोचना चाहिए या कुछ छूट मिलनी चाहिए.

पलामू में 60 से अधिक बैंड पार्टी

पलामू जैसे इलाके में 40 से अधिक बैंड का संचालन होता है. एक शादी में बैंड की 12 से 15 हजार में बुकिंग होती है. एक-एक रात में बैंड वाले दो से तीन बुकिंग लेते है. मेदिनीनगर में कई मशहूर बैंड हैं जो बंद हैं. उनके कार्यालय बंद है. मेदिनीनगर में 12, हुसैनाबाद में 13, छत्तरपुर के इलाके में 10 से 12 बैंड है. इन सभी से 500 से अधिक परिवार जुड़े हुए हैं जो सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.

पलामूः कोरोनो संकट धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इस संकट ने कई की रोजी-रोटी को प्रभावित कर दिया है. कई परिवार ऐसे हैं जो भुखमरी की कगार पर पंहुच गए है. लॉकडाउन के बाद अनलॉक वन में कई छूट मिली हैं. शादियों के लिए कई गाइडलाइन जारी की गई है. लग्न भी हैं और प्रशासनिक मंजूरी के बाद शादियां भी हो रही हैं.

बैंड बजाने वाले भुखमरी की कगार पर

शादी में बैंड बजने के बाद माहौल बदल जाता है और लोग झूमने लगते हैं, लेकिन शादियों में खुशियां बाटने वाले आज गम में हैं. कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन ने बैंड बाजा वालों को भुखमरी की कगार पर ला दिया है. वे इतने मजबूर हो गए हैं कि झोला और सब्जी बेचना शुरू कर दिया है.

नहीं हो रही बुकिंग

लग्न की कमाई से पूरे वर्ष परिवार का पेट भरता था. कोरोनो संकट को लेकर शादियों में 50 से अधिक लोगों के भाग लेने की इजाजत नही है जिस कारण लोग बैंड बाजा की बुकिंग नहीं कर रहे. डीजे या म्यूजिक सिस्टम से लोग काम चला ले रहे हैं. एक एक बैंड बाजा वाले शादियों से पूरे साल अपने परिवार का पेट पालते थे.

पलामू के मेदिनीनागर के माली मोहल्ला के मोहम्मद कासिम और उसका भाई बैंड पार्टी का संचालन करते है. दोनों के परिवार में एक दर्जन से अधिक सदस्य हैं. वे बताते है कि वे भुखमरी की कगार पर हैं. मजबूरी में वे दूसरा छोटा मोटा धंधा करने के लिए कर्ज लेना चाहते हैं तो कोई देना भी नही चाहता. बचे खुचे पैसे थे वे भी खत्म हो गए.

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वे बताते है कि एक शादी की कमाई से साल भर परिवार को कोई परेशानी नहीं होती थी. वे बताते है कि कई लोग मजबूरी में सब्जी बेच रहे तो किसी ने झोला बेचना शुरू कर दिया है. बैंड संचालक बताते हैं कि उनके लिए भी सरकार को कुछ सोचना चाहिए या कुछ छूट मिलनी चाहिए.

पलामू में 60 से अधिक बैंड पार्टी

पलामू जैसे इलाके में 40 से अधिक बैंड का संचालन होता है. एक शादी में बैंड की 12 से 15 हजार में बुकिंग होती है. एक-एक रात में बैंड वाले दो से तीन बुकिंग लेते है. मेदिनीनगर में कई मशहूर बैंड हैं जो बंद हैं. उनके कार्यालय बंद है. मेदिनीनगर में 12, हुसैनाबाद में 13, छत्तरपुर के इलाके में 10 से 12 बैंड है. इन सभी से 500 से अधिक परिवार जुड़े हुए हैं जो सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.

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