पलामू: विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से भी अधिक समय है, लेकिन उससे पहले ही सीट के बंटवारे को लेकर पलामू में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच तकरार बढ़ गई है. कई मौकों पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते दिख रहे हैं. दरअसल, इसकी शुरुआत पलामू की प्रभारी मंत्री जोबा मांझी के दौरे के बाद से शुरू हुई है.
मंत्री जोबा मांझी के दौरे के बाद शुरू हुआ था कांग्रेस और जेएमएम में कलहः कांग्रेस के जिला अध्यक्ष ने मंत्री के कार्यक्रम में पार्टी नेताओं को नहीं बुलाने का आरोप लगाया था और झारखंड मुक्ति मोर्चा पर गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने का आरोप लगाया था. इसको लेकर बीते रविवार को पलामू में झारखंड मुक्ति मोर्चा जिला कमेटी की बैठक हुई थी. इस बैठक में डालनगंज विधानसभा सीट से पार्टी के जिला अध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिन्हा उर्फ गुड्डू सिन्हा को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया था. प्रत्याशी तय करने की घोषणा के बाद से कांग्रेस की जिलाध्यक्ष जैश रंजन पाठक उर्फ बिट्टू पाठक ने एक प्रेस बयान जारी कर इस पर आपत्ति जतायी थी.
कांग्रेस ने जेएमएम को गठबंधन धर्म का पालन करने की दी नसीहतः जिसमें कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जैश रंजन पाठक ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद सरकार सत्ता में है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर अपना अलग राग अलाप रहा है. पार्टी द्वारा प्रत्याशी की घोषणा करना गठबंधन धर्म का उल्लंघन है. पलामू के पांचों विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की दावेदारी गलत है. झारखंड मुक्ति मोर्चा को इस तरह का बयान देने से बचना चाहिए. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2014 में विधानसभा चुनाव लड़ कर अपना जनाधार देख लिया है.
जेएमएम ने कांग्रेस के बयान को बचकाना बतायाः वहीं कांग्रेस जिला अध्यक्ष जैश रंजन पाठक के बयान पर पलटवार करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से युवा नेता सन्नी शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस जिला अध्यक्ष का बयान बचकाना है. जो भी तय हुआ है वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के निजी बैठक में हुआ है. निजी बैठक को लेकर इस तरह का बयान देना दुखद है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के बढ़ते कद से नेता जी घबरा गए हैं. पलामू में विधानसभा की पांच सीटों में से एक भी सीट गठबंधन के पास नहीं जाना नेताजी की विफलता को दिखाता है.