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Suicide Case Study: जरा सोचिए, अपनी और बच्चों की जान से खिलवाड़ ही क्यों बन रहा आखिरी रास्ता! - ईटीवी भारत न्यूज

भावनाएं इंसान को जीना सिखाती हैं, उन्हें जिंदगी से जोड़े रखने में मददगार साबित होती हैं. लेकिन भावनात्मक रिश्तों में जब दरार आती है या उसे चोट पहुंचाई जाती है तो इंसान बिखर सा जाता है. जिल्लत, रिश्ते में दगाबाजी, अपनों से मिली प्रताड़ना, ऐसे कई कारण हैं, जिससे आदमी हो या औरत बुरी तरह टूट जाते हैं. इसके बाद जब कोई और रास्ता नजर नहीं आता है तो उनके कदम खुद को खत्म करने के लिए बढ़ जाते हैं. अनैतिक संबंध, प्रताड़ना और गुस्सा में महिलाओं के सामूहिक आत्महत्या की केस स्टडी पर पढ़िए पलामू से ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

Case study on women mass suicide in Palamu
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Published : Apr 2, 2023, 1:18 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पलामूः जब कोई अपना ना हो, आसपास किसी का साथ ना हो, सामाजिक तोहमत और अपनों से सताया जाता तो कुछ ऐसा महसूस होता है कि मानो दम खुद-ब-खुद घुट रहा हो, जिस्म में भारी होती सांसें आ-जा रही हों, घड़ी की एक एक सुई मन को अंदर तक भेद रही हो. इसके बाद जब कोई ना रास्ता नजर आए तो ऐसे में भावनाओं के भंवर में इंसानी कदम खुद ही मौत की तरफ चल पड़ते हैं. आत्महत्या के बढ़ते मामलों का इशारा भी कुछ इसी तरफ है कि अनैतिक संबंध, प्रताड़ना और गुस्से में आज महिलाएं खौफनाक कदम उठाने से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. पढ़िए, पलामू की आत्महत्या की घटनाओं की केस स्टडी.

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नाजायज रिश्ते, अपनों से मिली प्रताड़ना, सामाजिक जिल्लत और गुस्से में आज महिलाएं खौफनाक कदम उठा रही हैं. इन वजहों से महिलाएं खुद के साथ पूरे परिवार की जान से खिलवाड़ करने से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. सामूहिक आत्महत्या के बढ़ते मामले इसी बात की तस्दीक कर रहे हैं. महिलाएं अपने बच्चों के साथ जीवन को समाप्त कर रही हैं. पलामू जैसे इलाके में पिछले एक वर्ष के दौरान 70 से अधिक लोगों ने मौत को गले लगाया है, जिसमें 38 महिलाएं शामिल थीं.

पिछले छह महीने के अंदर तीन महिलाओं ने खौफनाक कदम उठाते हुए अपने बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली थी. 29 मार्च को पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में हरिहरगंज की रहने वाली एक महिला ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी. इस घटना के बाद से एक बार फिर सामूहिक आत्महत्या चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इसको लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर महिलाएं ऐसा कदम उठाने को क्यों मजबूर हो रही हैं.

सामूहिक आत्महत्या की बड़ी घटनाएंः 29 मार्च को पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के टाउन थाना क्षेत्र के बीसफूटा के पास एक महिला ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ ट्रेन से कटकर जान दे दी. वो महिला हरिहरगंज थाना क्षेत्र के खड़कपुर की निवासी थी. पूरे मामले में मेदिनीनगर टाउन थाना में पति समेत अन्य परिजनों खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. मृतक मनीता देवी के पिता ने उसके पति पर प्रताड़ित करने और दूसरी महिला के साथ संबंध होने का आरोप लगा है.

साल 2023 की शुरुआत में जनवरी के तीसरे सप्ताह में पलामू के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के बसौरा एक महिला ने अपने दो बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली. इस मामले में ससुराल वालों पर महिला को प्रताड़ित करने का आरोप लगा था.

तीन महीने पहले पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के रंगेया में एक महिला ने दो बच्चों के साथ अपनी जान दे दी थी. महिला के पति ने दूसरी शादी कर ली थी, जिस कारण महिला ने आत्महत्या कर ली और अपने दोनों बच्चों को भी अपने साथ मौत के आगोश में ले गयी.

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कानूनी मदद की उम्मीद में महिलाएंः आत्महत्या के आंकड़े काफी डरवाने हैं. कोविड19 काल के बाद आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. महिला मामलों के कानूनी जानकार और सामाजिक कार्यकर्ता इंदु भगत ने बताया कि महिलाएं ही महिलाओं को प्रताड़ित करती हैं, जिसंमे कई अपने रिश्ते भी होते हैं. उन्होंने बताया कि महिलाएं कई तरह से प्रताड़ित होती हैं, पति के दूसरों के साथ संबंध होने पर वो अंदर ही अंदर घुट रही हैं जबकि पारिवारिक दबाव में वो प्रताड़ित हो रही है. सामाजिक कार्यकर्ता बताती हैं कि आत्महत्या का मामला काफी दुखद है, क्योंकि प्रताड़ित महिलाएं उम्मीद के साथ थानों में जाती हैं और मदद की गुहार लगाती हैं. लेकिन उन्हें फौरी राहत नहीं मिलती है. इंदु भगत कहती हैं कि इस तरह के मामलों में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को संजीदगी दिखाने की जरूरत है.

बच्चों के भविष्य की चिंता में महिलाएं उनके साथ दे देती हैं जानः मास सुसाइड के मामले को लेकर पलामू के मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में तैनात मनोचिकित्सक डॉ सुनील कुमार बताते है कि प्रताड़ना और अन्य समस्या से जूझ रही महिलाएं, उन्हें काउंसिलिंग की जरूरत है. उन्होंने बताया कि प्रताड़ना के बाद महिलाओं को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता बहुत ज्यादा सताने लगती है कि उनके जाने के बाद उनके बच्चों को कौन देखेगा. इसलिए नतीजा ये होता है कि महिलाएं अपने बच्चों के साथ आत्महत्या कर लेती हैं. उन्होंने बताया कि कोविड19 के बाद आत्महत्या के आंकड़े बढ़े हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पलामूः जब कोई अपना ना हो, आसपास किसी का साथ ना हो, सामाजिक तोहमत और अपनों से सताया जाता तो कुछ ऐसा महसूस होता है कि मानो दम खुद-ब-खुद घुट रहा हो, जिस्म में भारी होती सांसें आ-जा रही हों, घड़ी की एक एक सुई मन को अंदर तक भेद रही हो. इसके बाद जब कोई ना रास्ता नजर आए तो ऐसे में भावनाओं के भंवर में इंसानी कदम खुद ही मौत की तरफ चल पड़ते हैं. आत्महत्या के बढ़ते मामलों का इशारा भी कुछ इसी तरफ है कि अनैतिक संबंध, प्रताड़ना और गुस्से में आज महिलाएं खौफनाक कदम उठाने से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. पढ़िए, पलामू की आत्महत्या की घटनाओं की केस स्टडी.

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नाजायज रिश्ते, अपनों से मिली प्रताड़ना, सामाजिक जिल्लत और गुस्से में आज महिलाएं खौफनाक कदम उठा रही हैं. इन वजहों से महिलाएं खुद के साथ पूरे परिवार की जान से खिलवाड़ करने से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. सामूहिक आत्महत्या के बढ़ते मामले इसी बात की तस्दीक कर रहे हैं. महिलाएं अपने बच्चों के साथ जीवन को समाप्त कर रही हैं. पलामू जैसे इलाके में पिछले एक वर्ष के दौरान 70 से अधिक लोगों ने मौत को गले लगाया है, जिसमें 38 महिलाएं शामिल थीं.

पिछले छह महीने के अंदर तीन महिलाओं ने खौफनाक कदम उठाते हुए अपने बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली थी. 29 मार्च को पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में हरिहरगंज की रहने वाली एक महिला ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी. इस घटना के बाद से एक बार फिर सामूहिक आत्महत्या चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इसको लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर महिलाएं ऐसा कदम उठाने को क्यों मजबूर हो रही हैं.

सामूहिक आत्महत्या की बड़ी घटनाएंः 29 मार्च को पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के टाउन थाना क्षेत्र के बीसफूटा के पास एक महिला ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ ट्रेन से कटकर जान दे दी. वो महिला हरिहरगंज थाना क्षेत्र के खड़कपुर की निवासी थी. पूरे मामले में मेदिनीनगर टाउन थाना में पति समेत अन्य परिजनों खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. मृतक मनीता देवी के पिता ने उसके पति पर प्रताड़ित करने और दूसरी महिला के साथ संबंध होने का आरोप लगा है.

साल 2023 की शुरुआत में जनवरी के तीसरे सप्ताह में पलामू के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के बसौरा एक महिला ने अपने दो बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली. इस मामले में ससुराल वालों पर महिला को प्रताड़ित करने का आरोप लगा था.

तीन महीने पहले पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के रंगेया में एक महिला ने दो बच्चों के साथ अपनी जान दे दी थी. महिला के पति ने दूसरी शादी कर ली थी, जिस कारण महिला ने आत्महत्या कर ली और अपने दोनों बच्चों को भी अपने साथ मौत के आगोश में ले गयी.

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कानूनी मदद की उम्मीद में महिलाएंः आत्महत्या के आंकड़े काफी डरवाने हैं. कोविड19 काल के बाद आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. महिला मामलों के कानूनी जानकार और सामाजिक कार्यकर्ता इंदु भगत ने बताया कि महिलाएं ही महिलाओं को प्रताड़ित करती हैं, जिसंमे कई अपने रिश्ते भी होते हैं. उन्होंने बताया कि महिलाएं कई तरह से प्रताड़ित होती हैं, पति के दूसरों के साथ संबंध होने पर वो अंदर ही अंदर घुट रही हैं जबकि पारिवारिक दबाव में वो प्रताड़ित हो रही है. सामाजिक कार्यकर्ता बताती हैं कि आत्महत्या का मामला काफी दुखद है, क्योंकि प्रताड़ित महिलाएं उम्मीद के साथ थानों में जाती हैं और मदद की गुहार लगाती हैं. लेकिन उन्हें फौरी राहत नहीं मिलती है. इंदु भगत कहती हैं कि इस तरह के मामलों में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को संजीदगी दिखाने की जरूरत है.

बच्चों के भविष्य की चिंता में महिलाएं उनके साथ दे देती हैं जानः मास सुसाइड के मामले को लेकर पलामू के मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में तैनात मनोचिकित्सक डॉ सुनील कुमार बताते है कि प्रताड़ना और अन्य समस्या से जूझ रही महिलाएं, उन्हें काउंसिलिंग की जरूरत है. उन्होंने बताया कि प्रताड़ना के बाद महिलाओं को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता बहुत ज्यादा सताने लगती है कि उनके जाने के बाद उनके बच्चों को कौन देखेगा. इसलिए नतीजा ये होता है कि महिलाएं अपने बच्चों के साथ आत्महत्या कर लेती हैं. उन्होंने बताया कि कोविड19 के बाद आत्महत्या के आंकड़े बढ़े हैं.

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