पलामूः देश में आत्मनिर्भर भारत का नारा गूंज रहा है. लोग कोशिश भी कर रहे हैं. ऐसी ही कोशिश में सफल हुए हैं पलामू जिला के एक पंचायत के मुखिया. जिनकी सोच और एक छोटी पहल से गांव की तस्वीर बदल गई. पलामू के अति नक्सल प्रभावित इलाका नौडीहा बाजार का तरीडीह पंचायत, जहां लोग खेती पर निर्भर है. उनके आत्मनिर्भर बनने में बटाने नदी में बने एक छोटे डैम ने अहम भूमिका निभाई है.
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मुखिया की पहल ने गांव की बदल दी तस्वीर, खेती से जुड़े सैकड़ों लोग
तरीडीह पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है, इलाके में दो हजार एकड़ से भी अधिक खेती योग्य जमीन है. तरीडीह पंचायत और उसके अगल बगल के गांव बटाने नदी के किनारे है. बावजूद अधिकांश जमीन सिंचाई के लिए बरसात के पानी पर निर्भर है. पंचायत के मुखिया गौतम सिंह ने सिंचाई के लिए सांसद, विधायक सभी से गुहार लगाई, मगर समस्या का समाधान नहीं हुआ. बाद में मुखिया गौतम सिंह ने निजी राशि खर्च कर बटाने नदी पर बना पुराने पुल में छह फीट की कंक्रीट दीवार खड़ी करवा दी, कुछ दूरी पर मिट्टी और बालू के बोरे से बांध तैयार किया. बांध बन जाने के बाद नदी के चार किलोमीटर के दायरे में पानी ठहरने लगा.
मुखिया गौतम सिंह बताते हैं कि उन्होंने सभी जनप्रतिनिधि से गुहार लगाई, मगर किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से निजी राशि खर्च कर बांध तैयार करवाया है. बांध तैयार होने से गांव के खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है.
इलाके में खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे ग्रामीण, बढ़ गया जलस्तर
बटाने नदी पर बनी छोटी सी बांध ने इलाके के लोगों को आत्मनिर्भर दिया है. तरीडीह, बलरा, झरहा, रोसीदा, चोरडंडा, चुनादेवाल समेत एक दर्जन गांव के करीब 250 से अधिक लोग सब्जी की खेती करने लगे हैं. किसान प्रसिद्ध मेहता बताते हैं कि पहले खेतों को पानी नहीं मिल पाता था, अब बांध बन जाने से खेतों को पानी मिल रहा है. किसान प्रमिला देवी बताती हैं कि पहले वो खेती नहीं करते थे, अब खेती कर रहे हैं, सब्जी की खेती गांव में बड़े पैमाने पर हो रही है और सिंचाई के लिए पानी भी मिल रहा है. किसान कमलेश मेहता बताते हैं कि बांध बन जाने से गांव का जलस्तर भी पड़ गया है अब बोरिंग में भी पानी मिलने लगा है.
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पशुओं को दफनाने वाले को एक हजार रुपया देते हैं मुखिया
मुखिया ने गांव में बांध बनाने के बाद गांव में एक और नायाब पहल की है. मुखिया ने गांव में मृत पशुओं को दफनाने वाले को एक हजार रुपए की राशि देने की घोषणा की है. यह राशि मुखिया अपने निजी मद से दे रहे हैं. गणतंत्र दिवस के दिन 14 ऐसे लोगों को मुखिया ने यह राशि दी है जिन्होंने पशुओं को दफनाया. मुखिया का कहना है कि खुले में छोड़ देने के बाद प्रदूषण फैलता है, प्रदूषण को रोकने के लिए इस तरह कदम उठाने जरूरी है.