पलामू: कभी प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों का पनाहगार रहा बूढ़ा पहाड़ अब वन्यजीवों के संरक्षण का बड़ा केंद्र बनने वाला है. बूढ़ापहाड़ के इलाके को वन्यजीवों के लिए सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाने और इलाके में ग्रास लैंड बनाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया था. इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है.
यह भी पढ़ें: बूढ़ा पहाड़ के ग्रामीणों की बदल रही है जिंदगी, गांव में पहुंचने लगी विकास की किरण
बूढ़ापहाड़ के 20 एकड़ से भी अधिक इलाके में चीतल, हिरण के लिए सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाया जाएगा और इलाके के एक बड़े भाग को ग्रास लैंड के रूप में विकसित किया जाएगा. पलामू टाइगर रिजर्व बेतला नेशनल पार्क से हिरण और चीतल को निकाल कर बूढ़ा पहाड़ के इलाके में रखेगा और उनके लिए एक ग्रास लैंड विकसित किया जाएगा.
प्रबंधन बूढ़ापहाड़ और उसके आसपास के इलाके में हिरण और अन्य वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने की योजना पर कार्य कर रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. जल्द ही इस पर कार्य शुरू किया जाएगा. बूढ़ापहाड़ के इलाके के लिए कई योजना तैयार की गई है. इलाके के वाटरफॉल और नदियों के जल स्रोतों के संरक्षण के लिए भी योजना तैयार की जा रही है. कई जगह को पर्यटन स्थलों के रूप में चिन्हित किया जा रहा है और सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है.
बूढ़ापहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट से इलाके का बदल रहा माहौल: बूढ़ापहाड़ माओवादियों का एक बड़ा ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था. इस इलाके में सितंबर 2022 में माओवादियों के खिलाफ अभियान ऑक्टोपस शुरू किया गया था. इस अभियान के बाद माओवादी इलाके को छोड़कर भाग गए हैं. अब पूरे इलाके में सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है. 2023 के शुरुआती महीनों में राज्य के सीएम हेमंत सोरेन ने बूढ़ापहाड़ के टॉप इलाकों का दौरा किया था. साथ ही उन्होंने बूढ़ापहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की भी घोषणा की थी. सीएम के दौरे के बाद इलाके में कई सुविधाएं बहाल हुई हैं. बूढ़ापहाड़ और उसके आसपास के गांव में बिजली पहुंची है. वहीं बूढ़ापहाड़ के टॉप पर जाने का रास्ता भी तैयार हुआ है. कई इलाकों में सीआरपीएफ जवानों ने खुद से पूरी भी तैयारी की है.
कई दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव मिले: बता दें कि बूढ़ापहाड़ का अधिकांश हिस्सा पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. नक्सलियों के कारण इस इलाके में पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी नहीं जा पाते थे, इस इलाके में कभी किसी भी वन्यजीव की गिनती नहीं हुई थी. सुरक्षाबलों की मौजूदगी में इलाके में खोजबीन शुरू हुआ तो कई दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव भी मिले हैं. बूढ़ापहाड़ करीब 52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ पीटीआर के कोर एरिया का हिस्सा है.