पलामू: ठेकेदार या कंपनी सरकारी पैसे को बेखौफ हो कर कैसे लूटती है, यह देखना है तो पलामू के इलाके के पुलों की हालत को देख लिजिए. हर बरसात में पलामू से खबर निकल कर जरूर सामने आती है कि पुल बह गए या टूट गए. पिछले एक दशक की बात करें तो पलामू में एक दर्जन के करीब पुल बह गए है या टूट गए हैं. अधिकतर मामलों की जांच और कार्रवाई की फाइलें धूल फांक रही हैं. पेश है पलामू के एक ऐसे पुल की कहानी जो इस्तेमाल होने से पहले ही टूट गया.
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20 करोड़ की लागत से बना था सिंगरा चेड़ाबार पुल
प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर 2016 -17 में कोयल नदी पर सिंगरा चेडाबार पुल बनकर तैयार हुआ था. करीब 20 करोड़ की लागत से बना यह पुल, उस दौरान पलामू का सबसे लंबा पुल था. आज तक इस पुल का एप्रोच रोड तो बना नहीं है लेकिन पुल जरूर टूट गया है. पुल के दो स्लैब पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं और किसी बड़ी दुर्घटना को आमंत्रित कर रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि एप्रोच रोड बना नहीं और पुल टूट गया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर इसका निर्माण हुआ होगा. ग्रामीण पुल की हालत को लेकर आक्रोशित हैं.
विधायक ने विभाग को बताया जिम्मेवार
सिंगरा चेड़ाबार पुल के विषय पर स्थानीय विधायक आलोक चौरसिया कहते हैं कि यह विभाग की लापरवाही है. उनके कार्यकाल से पहले यह पुल बन कर तैयार हो गया था. मामले में उन्होंने कई स्तर पर आवाज उठाई. लेकिन कुछ नहीं हुआ. सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को जनता के पैसे की चिंता नहीं है. पुल के एप्रोच रोड बनाने के लिए भी उन्होंने पहल की है.
कई गांव की दूरी को कम करेगा सिंगरा चेड़ाबार पुल
कोयल नदी पर बना सिंगरा चेड़ाबार पुल चैनपुर के इलाके के दो दर्जन से अधिक गांव की प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से दूरी को कम कर देगा. यह पुल मेदिनीनगर बाईपास का भी हिस्सा है. ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग में 2012-13 में पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था, जो 2016-17 में कंप्लीट हो गया. आनन-फानन में पुल का उद्घाटन भी कर दिया था लेकिन आज तक एप्रोच रोड नहीं बना है.
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने वाले बड़े पुल पिछले एक दशक की बात करें तो कोयल नदी पर बना केचकी पुल, उंटारी रोड पुल, अमानत नदी पर पांकी के इलाके में बने तीन पुल, तहले नदी पर बना पुल, पाटन के इलाके में एक पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं. मामले में अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है.