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बदल रहा बाघों का व्यवहार! मानव जीवन के अनुरूप खुद को ढाल रहे बाघ, 10 स्क्वायर किलोमीटर है बाघ की टेरिटरी - बाघ और मानव जीवन के संघर्ष के आंकड़े

Behavior of tigers changing in Palamu.पलामू टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच के कॉरिडोर में बाघों के व्यवहार में परिवर्तन दिखा है. बाघ आबादी वाले इलाके में अपना ठिकाना बना रहे हैं. एक्सपर्ट बताते हैं कि बाघों में यह बदलाव मानव जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

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Behavior Of Tigers Changing In Palamu
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 22, 2023, 12:50 PM IST

पलामू: बाघों का व्यवहार बदल रहा है. बाघ तेजी से मानव जीवन के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं. बाघ मानव बस्ती के अगल-बगल अपना ठिकाना बना रहे हैं और रह रहे हैं. बाघों में यह बदलाव तेजी से हुआ है. इस बदलाव का असर क्या होने वाला है, यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में हाल के दिनों में लगातार बाघ की गतिविधि देखी जा रही है. बाघ के व्यवहार को मॉनिटरिंग की जा रही है. बाघों के व्यवहार में यह बदलाव पलामू टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच हुआ है.

पीटीआर में मौजूद बाघ नहीं हैं हिंसकः बताते चलें कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मौजूद बाघ कभी हिंसक नहीं रहे हैं. हालांकि पीटीआर से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच कॉरिडोर में बाघ और मानव जीवन के संघर्ष के आंकड़े हैं. इस कॉरिडोर में 25 वर्षों में 150 से अधिक की जान भी गई है. एक रिसर्च में यह पता चला है कि बाघों की टेरिटरी घट रही है. जिस कारण बाघ अपने व्यवहार को तेजी से बदल रहे हैं. उनकी गतिविधि लगातार मानव जीव बस्ती के अगल-बगल रिकॉर्ड की जा रही है. हालांकि गतिविधि के अनुरूप मानव और बाघ के संघर्ष के आंकड़े बेहद ही कम हैं.

10 स्क्वायर किलोमीटर के दायरे में रहता है एक बाघ: एक बाघ की 10 स्कवायर किलोमीटर की टेरिटरी है. इसी इलाके में बाघ शिकार करता है और रहता है. पीटीआर के उपनिदेशक प्रदेश कांतजेना बताते हैं कि बाघों का इलाका छोटा हुआ है. बाघ भी अपने व्यवहार को बदल रहे हैं और मानव बस्ती के अगल-बगल ठिकाना बनाए हुए हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले वक्त में यह खतरनाक भी हो सकता है, क्योंकि बाघ यह एक हिंसक जीव है. बाघों की टेरिटरी को लेकर आम लोगों के सहयोग की जरूरत होगी. वह बताते हैं कि यह बेहद जरूरी है कि बाघ लंबी दूरी तय करे. बाघ जितनी लंबी दूरी को तय करेगा, उतना ही मजबूत उसकी ब्रीडिंग होगी. उपनिदेशक बताते हैं कि यह प्रयास करने की जरूरत है कि बाघों को बेहतर वातावरण मिल सके. बेहतर वातावरण और खतरा महसूस होने से संघर्ष हो सकता है.

पलामू टाइगर रिजर्व के बाघों के हिंसक नहीं होने का रहा है इतिहासः पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस इलाके में बाघों की मौजूदगी का इतिहास 200 वर्ष से भी पुराना है. इस इलाके के बाघ कभी आदमखोर या हिंसक नहीं हुए हैं. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और पीटीआर के अधिकारियों के अनुसार इलाके में एक से अधिक बाघ मौजूद हैं.

पिछले छह महीने में बाघों की गतिविधि को लगातार रिकॉर्ड किया जा रहा है. बाघों की यह गतिविधि मानव बस्ती के अगल-बगल है, लेकिन मानव के साथ संघर्ष की घटना नहीं हुई है. हालांकि बाघ ने मवेशियों का शिकार जरूर किया है. इस संबंध में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि पलामू के बाघ कभी हिंसक नहीं रहे हैं. कालांतर में बाघों का शिकार जरूर हुआ है.

पलामू: बाघों का व्यवहार बदल रहा है. बाघ तेजी से मानव जीवन के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं. बाघ मानव बस्ती के अगल-बगल अपना ठिकाना बना रहे हैं और रह रहे हैं. बाघों में यह बदलाव तेजी से हुआ है. इस बदलाव का असर क्या होने वाला है, यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में हाल के दिनों में लगातार बाघ की गतिविधि देखी जा रही है. बाघ के व्यवहार को मॉनिटरिंग की जा रही है. बाघों के व्यवहार में यह बदलाव पलामू टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच हुआ है.

पीटीआर में मौजूद बाघ नहीं हैं हिंसकः बताते चलें कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मौजूद बाघ कभी हिंसक नहीं रहे हैं. हालांकि पीटीआर से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच कॉरिडोर में बाघ और मानव जीवन के संघर्ष के आंकड़े हैं. इस कॉरिडोर में 25 वर्षों में 150 से अधिक की जान भी गई है. एक रिसर्च में यह पता चला है कि बाघों की टेरिटरी घट रही है. जिस कारण बाघ अपने व्यवहार को तेजी से बदल रहे हैं. उनकी गतिविधि लगातार मानव जीव बस्ती के अगल-बगल रिकॉर्ड की जा रही है. हालांकि गतिविधि के अनुरूप मानव और बाघ के संघर्ष के आंकड़े बेहद ही कम हैं.

10 स्क्वायर किलोमीटर के दायरे में रहता है एक बाघ: एक बाघ की 10 स्कवायर किलोमीटर की टेरिटरी है. इसी इलाके में बाघ शिकार करता है और रहता है. पीटीआर के उपनिदेशक प्रदेश कांतजेना बताते हैं कि बाघों का इलाका छोटा हुआ है. बाघ भी अपने व्यवहार को बदल रहे हैं और मानव बस्ती के अगल-बगल ठिकाना बनाए हुए हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले वक्त में यह खतरनाक भी हो सकता है, क्योंकि बाघ यह एक हिंसक जीव है. बाघों की टेरिटरी को लेकर आम लोगों के सहयोग की जरूरत होगी. वह बताते हैं कि यह बेहद जरूरी है कि बाघ लंबी दूरी तय करे. बाघ जितनी लंबी दूरी को तय करेगा, उतना ही मजबूत उसकी ब्रीडिंग होगी. उपनिदेशक बताते हैं कि यह प्रयास करने की जरूरत है कि बाघों को बेहतर वातावरण मिल सके. बेहतर वातावरण और खतरा महसूस होने से संघर्ष हो सकता है.

पलामू टाइगर रिजर्व के बाघों के हिंसक नहीं होने का रहा है इतिहासः पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस इलाके में बाघों की मौजूदगी का इतिहास 200 वर्ष से भी पुराना है. इस इलाके के बाघ कभी आदमखोर या हिंसक नहीं हुए हैं. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और पीटीआर के अधिकारियों के अनुसार इलाके में एक से अधिक बाघ मौजूद हैं.

पिछले छह महीने में बाघों की गतिविधि को लगातार रिकॉर्ड किया जा रहा है. बाघों की यह गतिविधि मानव बस्ती के अगल-बगल है, लेकिन मानव के साथ संघर्ष की घटना नहीं हुई है. हालांकि बाघ ने मवेशियों का शिकार जरूर किया है. इस संबंध में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि पलामू के बाघ कभी हिंसक नहीं रहे हैं. कालांतर में बाघों का शिकार जरूर हुआ है.

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