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जयपुर से 9 बाल श्रमिकों को लाया गया पलामू, 2-4 हजार रुपए में चूड़ी फैक्ट्री में करते थे काम

जयपुर से 9 बाल श्रमिकों को पलामू लाया गया है. करीब आठ महीने पहले सभी को राजस्थान पुलिस ने मुक्त करवाया था, उसके बाद से सभी राजस्थान में बाल सुधार गृह में थे. चूड़ी फैक्ट्री में सभी बच्चे काम करते थे.

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पलामू समाहरणालय
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Published : Sep 2, 2020, 3:34 PM IST

पलामू: राजस्थान के जयपुर से मुक्त करवाए गए 9 बाल श्रमिकों को पलामू लाया गया है. सभी बाल श्रमिक मनातू थाना क्षेत्र के बंसी और उसके आस पास के गांव के रहने वाले हैं. सभी की उम्र 10 से 13 वर्ष के बीच है. बाल मजदूर करीब दो वर्ष पहले राजस्थान के जयपुर गए थे और सभी चूड़ी फैक्ट्री में काम करते थे.

राजस्थान पुलिस ने मुक्त करवाया था

करीब आठ महीने पहले सभी को राजस्थान पुलिस ने मुक्त करवाया था, उसके बाद से सभी राजस्थान में बाल सुधार गृह में थे. पलामू के बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार और सीडब्ल्यूसी की एक टीम जयपुर गई थी और सभी बच्चों को पलामू लाई.

ये भी पढ़ें- कोरोना इफेक्ट: CID और ACB मुख्यालय में ठप पड़ा कामकाज, हर दिन आ रहे मामले सामने


चूड़ी में नग लगाने का करते थे काम
जयपुर में सभी 9 बच्चे चूड़ी फैक्ट्री में काम करते थे और चूड़ी में नग लगाते थे. बच्चों ने सीडब्ल्यूसी को बताया कि उन्हें फैक्ट्री में काम करने के एवज में महीने में दो से चार हजार रुपए मिलते थे और खाना दिया जाता था. फैक्ट्री की तरफ से ही उन्हें रहने के लिए एक छोटा कमरा दिया गया था. सभी दलाल के माध्यम से जयपुर गए थे.

पलामू: राजस्थान के जयपुर से मुक्त करवाए गए 9 बाल श्रमिकों को पलामू लाया गया है. सभी बाल श्रमिक मनातू थाना क्षेत्र के बंसी और उसके आस पास के गांव के रहने वाले हैं. सभी की उम्र 10 से 13 वर्ष के बीच है. बाल मजदूर करीब दो वर्ष पहले राजस्थान के जयपुर गए थे और सभी चूड़ी फैक्ट्री में काम करते थे.

राजस्थान पुलिस ने मुक्त करवाया था

करीब आठ महीने पहले सभी को राजस्थान पुलिस ने मुक्त करवाया था, उसके बाद से सभी राजस्थान में बाल सुधार गृह में थे. पलामू के बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार और सीडब्ल्यूसी की एक टीम जयपुर गई थी और सभी बच्चों को पलामू लाई.

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चूड़ी में नग लगाने का करते थे काम
जयपुर में सभी 9 बच्चे चूड़ी फैक्ट्री में काम करते थे और चूड़ी में नग लगाते थे. बच्चों ने सीडब्ल्यूसी को बताया कि उन्हें फैक्ट्री में काम करने के एवज में महीने में दो से चार हजार रुपए मिलते थे और खाना दिया जाता था. फैक्ट्री की तरफ से ही उन्हें रहने के लिए एक छोटा कमरा दिया गया था. सभी दलाल के माध्यम से जयपुर गए थे.

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