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PTR 50 Years: पलामू टाइगर रिजर्व के 50 वर्ष हुए पूरे, सेंसस के अनुसार बाघों की संख्या राहत भरी

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Published : Apr 9, 2023, 6:31 PM IST

पलामू टाइगर रिजर्व के 9 अप्रैल को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. 2022 के सेंसस के अनुसार पीटीआर में बाघों की संख्या तीन बताई गई है. जबकि एक बाघ 2023 में पीटीआर में आया है, मतलब फिलहाल पीटीआर में बाघों की संख्या चार है.

Palamu Tiger Reserve
पलामू टाइगर रिजर्व
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पलामू: नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के नौ टाइगर रिजर्व में पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) भी शामिल है. रविवार (9 अप्रैल) को इसके 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की मौजूदगी को लेकर आंकड़ा जारी किया है. 2022 की गिनती के अनुसार पीटीआर में बाघों की संख्या तीन बताई जा रही है. इसके अलावा पीटीआर में एक बाघ और है जिसका रिकार्ड सेंसस में शामिल नहीं है.

ये भी पढ़ें: पलामू टाइगर रिजर्व में मौजूद हैं तीन बाघ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जारी करेंगे रिपोर्ट

पहली बार 1932 में शुरू हुई थी गिनती: पलामू टाइगर रिजर्व बाघों के संरक्षण के लिए जाना जाता रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व से जुड़ी हुई सबसे बड़ी बात है कि इस इलाके से 1966-67 में बाघों के पद चिन्ह (पग मार्क) के माध्यम से गिनती शुरू की गई थी. हालांकि अंग्रेजों के शासनकाल में इस इलाके में पहली बार 1932 में बाघों की गिनती हुई थी. पलामू टाइगर रिजर्व में फिलहाल चार बाघ मौजूद हैं.

पलामू टाइगर रिजर्व कर रही जागरूक: पलामू टाइगर रिजर्व के 50 वर्ष पूरा होने के अवसर पर प्रबंधन बाघ के प्रति लोगों में जागरूकता अभियान चला रही है. इस अभियान में ग्रामीण और स्कूली बच्चों को जोड़ा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाकों में ग्रामीणों को बाघ के महत्व के बारे में बताया जा रहा है और कई तरह की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं. इस अभियान में वन्य कर्मियों के साथ-साथ अन्य लोगों को भी जोड़ा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसकी सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है.

क्या कहते है विभाग के अधिकारी: पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेश जेना ने बताया कि ने बताया कि पीटीआर का 50 वर्ष हो गए हैं. 1966-67 में पहली बार इलाके से पग मार्क के माध्यम से बाघों की गिनती शुरू हुई थी. यह वह दौर था जब वन्य जीवन के प्रति जागरूकता शुरू हुई थी और वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती के लिए पहल किया जा रहा था. उन्होंने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की मौजूदगी है. इलाके में कैटल (मवेशी) भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं.

प्रजेश जेना ने बताया कि बाघ एक संवेदनशील जीव है इलाके में मानव या अन्य के मौजूदगी के कारण उसे परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि बाघों के संरक्षण के लिए कई स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं और वन्य कर्मियों को कई स्तर पर निर्देश जारी किए गए हैं. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तब बताया गया था यहां 50 बाघ हैं. 2005 में बाघों की गिनती में 38 बाघ थे. 2007 की गिनती में 17. 2009 की गिनती में आठ. 2013-14 की गिनती में पांच. जबकि जबकि 2018 की गिनती में इनकी संख्या शून्य बताई गई थी. 2022 की गिनती में इनकी संख्या तीन बताई गई है.

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पलामू: नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के नौ टाइगर रिजर्व में पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) भी शामिल है. रविवार (9 अप्रैल) को इसके 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की मौजूदगी को लेकर आंकड़ा जारी किया है. 2022 की गिनती के अनुसार पीटीआर में बाघों की संख्या तीन बताई जा रही है. इसके अलावा पीटीआर में एक बाघ और है जिसका रिकार्ड सेंसस में शामिल नहीं है.

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पहली बार 1932 में शुरू हुई थी गिनती: पलामू टाइगर रिजर्व बाघों के संरक्षण के लिए जाना जाता रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व से जुड़ी हुई सबसे बड़ी बात है कि इस इलाके से 1966-67 में बाघों के पद चिन्ह (पग मार्क) के माध्यम से गिनती शुरू की गई थी. हालांकि अंग्रेजों के शासनकाल में इस इलाके में पहली बार 1932 में बाघों की गिनती हुई थी. पलामू टाइगर रिजर्व में फिलहाल चार बाघ मौजूद हैं.

पलामू टाइगर रिजर्व कर रही जागरूक: पलामू टाइगर रिजर्व के 50 वर्ष पूरा होने के अवसर पर प्रबंधन बाघ के प्रति लोगों में जागरूकता अभियान चला रही है. इस अभियान में ग्रामीण और स्कूली बच्चों को जोड़ा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाकों में ग्रामीणों को बाघ के महत्व के बारे में बताया जा रहा है और कई तरह की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं. इस अभियान में वन्य कर्मियों के साथ-साथ अन्य लोगों को भी जोड़ा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसकी सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है.

क्या कहते है विभाग के अधिकारी: पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेश जेना ने बताया कि ने बताया कि पीटीआर का 50 वर्ष हो गए हैं. 1966-67 में पहली बार इलाके से पग मार्क के माध्यम से बाघों की गिनती शुरू हुई थी. यह वह दौर था जब वन्य जीवन के प्रति जागरूकता शुरू हुई थी और वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती के लिए पहल किया जा रहा था. उन्होंने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की मौजूदगी है. इलाके में कैटल (मवेशी) भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं.

प्रजेश जेना ने बताया कि बाघ एक संवेदनशील जीव है इलाके में मानव या अन्य के मौजूदगी के कारण उसे परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि बाघों के संरक्षण के लिए कई स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं और वन्य कर्मियों को कई स्तर पर निर्देश जारी किए गए हैं. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तब बताया गया था यहां 50 बाघ हैं. 2005 में बाघों की गिनती में 38 बाघ थे. 2007 की गिनती में 17. 2009 की गिनती में आठ. 2013-14 की गिनती में पांच. जबकि जबकि 2018 की गिनती में इनकी संख्या शून्य बताई गई थी. 2022 की गिनती में इनकी संख्या तीन बताई गई है.

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