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दहेज के लिए 10 वर्षो में 466 हत्या, अब SP और Dysp स्तर के अधिकारी दहेज से जुड़े मुकदमों की करेंगे मॉनिटरिंग

466 murders for dowry in 10 years in Palamu. पलामू जोन में 10 साल में दहेज की बलि-बेदी पर 466 बेटिंयां भेज चढ़ गई हैं. समाज में दहेज आज भी मानवीय सभ्यता के लिए कलंक है. हालांकि पूरे जोन में 700 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. पढ़ें रिपोर्ट.

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पलामू जोन में पिछले एक दशक में दहेज के लिए 466 लड़कियों की हत्या
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 20, 2023, 6:52 PM IST

पलामू: एक दशक में दहेज के लिए 466 की हत्या की गई, जबकि 700 से अधिक एफआईआर दर्ज किए गए हैं. हालांकि इसमें दर्जनों ऐसे मुकदमे हैं जिसमें फर्जी आरोप लगाए गए. दहेज हत्या और दहेज के लिए प्रताड़ना से जुड़े यह आंकड़े पलामू के इलाके की है. पलामू के इलाके में पलामू, गढ़वा और लातेहार तीनों जिला शामिल हैं. दरअसल यह इलाका नक्सल हिंसा और जमीन विवाद के लिए चर्चित रहा है.

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पलामू जोन में पिछले एक दशक में दहेज के लिए 466 लड़कियों की हत्याः पलामू में 211, लातेहार में 60 जबकि गढ़वा में 195 हत्याएं हुई हैं. यह आंकड़े 2013 से अगस्त 2023 तक के है जबकि एक दशक के दौरान दहेज के लिए प्रताड़ित करने के मामले में 700 से भी अधिक एफआईआर दर्ज किए गए हैं. दहेज के मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय ने मॉनिटरिंग शुरू किया है. एसपी और डीएसपी रैंक के अधिकारी दहेज से जुड़े मामले के अनुसंधान की मॉनेटरिंग करेंगे और इसकी समीक्षा करेंगे. दरअसल दहेज से जुड़े मामलों को लेकर कई तथ्य निकल पर सामने आए हैं, जिसके बाद पुलिस ने नए सिरे से इनकी समीक्षा शुरू की है.

दहेज से जुड़े मामलों को लेकर जारी किया गया है एसओपी: पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि दहेज से जुड़े हुए मामलों के अनुसंधान के लिए एसओपी जारी किया गया है, दहेज से जुड़े मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी गाइडलाइन है. आईजी ने बताया कि पुलिस अधिकारी पैनिक या रैश होकर मुकदमों का अनुसंधान नहीं करेंगे, अनुसंधान पदाधिकारी मुकदमों का संवेदनशील होकर जांच करेंगे. आईजी ने बताया कि एसपी और डीएसपी दहेज से जुड़े मामलों का मॉनिटरिंग करेंगे.

कई मुकदमे मिले हैं फर्जी, अनुसंधान के दौरान 41 ए नोटिस का होगा इस्तेमाल: पलामू जोन में प्रतिवर्ष दहेज के लिए 40 से अधिक हत्या का आरोप लगते हैं. इसके अलावा पुलिस के पास सैकड़ों शिकायत भी पहुंचती हैं. दर्जनों मुकदमों के जांच के दौरान पाया गया है कि दहेज का आरोप फर्जी है और हत्या भी हो रही है. जिसके बाद इस तरह के मामले में संवेदनशीलता बरतने की जरूरत है. दरअसल दहेज से जुड़े मामले के अनुसंधान के दौरान पुलिस 41 ए नोटिस का मॉनिटरिंग करेगी, यह देखा जाएगा कि आरोपी पक्ष को यह नोटिस कितनी बार जारी किया गया है. दरअसल 41ए के नोटिस के तहत सात साल से कम सजा वाले मुकदमों में गिरफ्तारी से पहले नोटिस भेजना है. नोटिस के बाद आरोपी को पुलिस का समक्ष हाजिर होना पड़ता है.

पलामू: एक दशक में दहेज के लिए 466 की हत्या की गई, जबकि 700 से अधिक एफआईआर दर्ज किए गए हैं. हालांकि इसमें दर्जनों ऐसे मुकदमे हैं जिसमें फर्जी आरोप लगाए गए. दहेज हत्या और दहेज के लिए प्रताड़ना से जुड़े यह आंकड़े पलामू के इलाके की है. पलामू के इलाके में पलामू, गढ़वा और लातेहार तीनों जिला शामिल हैं. दरअसल यह इलाका नक्सल हिंसा और जमीन विवाद के लिए चर्चित रहा है.

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पलामू जोन में पिछले एक दशक में दहेज के लिए 466 लड़कियों की हत्याः पलामू में 211, लातेहार में 60 जबकि गढ़वा में 195 हत्याएं हुई हैं. यह आंकड़े 2013 से अगस्त 2023 तक के है जबकि एक दशक के दौरान दहेज के लिए प्रताड़ित करने के मामले में 700 से भी अधिक एफआईआर दर्ज किए गए हैं. दहेज के मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय ने मॉनिटरिंग शुरू किया है. एसपी और डीएसपी रैंक के अधिकारी दहेज से जुड़े मामले के अनुसंधान की मॉनेटरिंग करेंगे और इसकी समीक्षा करेंगे. दरअसल दहेज से जुड़े मामलों को लेकर कई तथ्य निकल पर सामने आए हैं, जिसके बाद पुलिस ने नए सिरे से इनकी समीक्षा शुरू की है.

दहेज से जुड़े मामलों को लेकर जारी किया गया है एसओपी: पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि दहेज से जुड़े हुए मामलों के अनुसंधान के लिए एसओपी जारी किया गया है, दहेज से जुड़े मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी गाइडलाइन है. आईजी ने बताया कि पुलिस अधिकारी पैनिक या रैश होकर मुकदमों का अनुसंधान नहीं करेंगे, अनुसंधान पदाधिकारी मुकदमों का संवेदनशील होकर जांच करेंगे. आईजी ने बताया कि एसपी और डीएसपी दहेज से जुड़े मामलों का मॉनिटरिंग करेंगे.

कई मुकदमे मिले हैं फर्जी, अनुसंधान के दौरान 41 ए नोटिस का होगा इस्तेमाल: पलामू जोन में प्रतिवर्ष दहेज के लिए 40 से अधिक हत्या का आरोप लगते हैं. इसके अलावा पुलिस के पास सैकड़ों शिकायत भी पहुंचती हैं. दर्जनों मुकदमों के जांच के दौरान पाया गया है कि दहेज का आरोप फर्जी है और हत्या भी हो रही है. जिसके बाद इस तरह के मामले में संवेदनशीलता बरतने की जरूरत है. दरअसल दहेज से जुड़े मामले के अनुसंधान के दौरान पुलिस 41 ए नोटिस का मॉनिटरिंग करेगी, यह देखा जाएगा कि आरोपी पक्ष को यह नोटिस कितनी बार जारी किया गया है. दरअसल 41ए के नोटिस के तहत सात साल से कम सजा वाले मुकदमों में गिरफ्तारी से पहले नोटिस भेजना है. नोटिस के बाद आरोपी को पुलिस का समक्ष हाजिर होना पड़ता है.

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