पाकुड़: एक ओर शत प्रतिशत मतदाताओं का मतदान सुनिश्चित कराने के लिए जिला प्रशासन का प्रयास चल रहा है. तो दूसरी ओर आदिवासी और पहाड़िया मजदूर परिवार के साथ पलायन हो रहा है. जो राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
क्षेत्र की तरक्की और सर्वांगीण विकास का दावा चुनावी जंग जीतने वाले प्रत्याशी अपने प्रचार अभियान में जरूर कर रहे हैं, लेकिन इस जिले के मजदूर रोजगार और सिंचाई के अभाव में निकटवर्ती पश्चिम बंगाल में पलायन कर रहे हैं. ये मजदूर झारखंड मुक्ति मोर्चा के परंपरागत वोटर रहे हैं. इन मजदूरों में शासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश है.
लिहाजा लोकतंत्र के महापर्व चुनाव के वक्त हजारों की संख्या में सड़क और रेल मार्ग से जिले के हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, महेशपुर एवं पाकुड़िया प्रखंड के मजदूर पश्चिम बंगाल जा रहे हैं. अगर प्रशासन ने समय रहते पलायन किए गए मजदूरों की घर वापसी नहीं कराई, तो आगामी 19 मई को होने वाले मतदान में जिले के मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता.
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि मामले पर प्रशासन की नजर है. उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के अधिकारियों के अलावा मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में ले जाने वाले एजेंटों को मतदान के पहले जिले के मजदूर वापस अपने अपने गांव में लौटे इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं.