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पाकुड़ में रोजगार की तलाश में लोग कर रहे हैं पलायन, प्रशासन और प्रत्याशियों की बढ़ी चिंता

क्षेत्र की तरक्की और सर्वांगीण विकास का दावा चुनावी जंग जीतने वाले प्रत्याशी अपने प्रचार अभियान में जरूर कर रहे हैं, लेकिन इस जिले के मजदूर रोजगार और सिंचाई के अभाव में निकटवर्ती पश्चिम बंगाल में पलायन कर रहे हैं. ये मजदूर झारखंड मुक्ति मोर्चा के परंपरागत वोटर रहे हैं. इन मजदूरों में शासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश है.

पलायन करते मजदूर
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Published : Apr 30, 2019, 1:49 PM IST

पाकुड़: एक ओर शत प्रतिशत मतदाताओं का मतदान सुनिश्चित कराने के लिए जिला प्रशासन का प्रयास चल रहा है. तो दूसरी ओर आदिवासी और पहाड़िया मजदूर परिवार के साथ पलायन हो रहा है. जो राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

क्षेत्र की तरक्की और सर्वांगीण विकास का दावा चुनावी जंग जीतने वाले प्रत्याशी अपने प्रचार अभियान में जरूर कर रहे हैं, लेकिन इस जिले के मजदूर रोजगार और सिंचाई के अभाव में निकटवर्ती पश्चिम बंगाल में पलायन कर रहे हैं. ये मजदूर झारखंड मुक्ति मोर्चा के परंपरागत वोटर रहे हैं. इन मजदूरों में शासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश है.

लिहाजा लोकतंत्र के महापर्व चुनाव के वक्त हजारों की संख्या में सड़क और रेल मार्ग से जिले के हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, महेशपुर एवं पाकुड़िया प्रखंड के मजदूर पश्चिम बंगाल जा रहे हैं. अगर प्रशासन ने समय रहते पलायन किए गए मजदूरों की घर वापसी नहीं कराई, तो आगामी 19 मई को होने वाले मतदान में जिले के मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता.

जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि मामले पर प्रशासन की नजर है. उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के अधिकारियों के अलावा मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में ले जाने वाले एजेंटों को मतदान के पहले जिले के मजदूर वापस अपने अपने गांव में लौटे इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं.

पाकुड़: एक ओर शत प्रतिशत मतदाताओं का मतदान सुनिश्चित कराने के लिए जिला प्रशासन का प्रयास चल रहा है. तो दूसरी ओर आदिवासी और पहाड़िया मजदूर परिवार के साथ पलायन हो रहा है. जो राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

क्षेत्र की तरक्की और सर्वांगीण विकास का दावा चुनावी जंग जीतने वाले प्रत्याशी अपने प्रचार अभियान में जरूर कर रहे हैं, लेकिन इस जिले के मजदूर रोजगार और सिंचाई के अभाव में निकटवर्ती पश्चिम बंगाल में पलायन कर रहे हैं. ये मजदूर झारखंड मुक्ति मोर्चा के परंपरागत वोटर रहे हैं. इन मजदूरों में शासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश है.

लिहाजा लोकतंत्र के महापर्व चुनाव के वक्त हजारों की संख्या में सड़क और रेल मार्ग से जिले के हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, महेशपुर एवं पाकुड़िया प्रखंड के मजदूर पश्चिम बंगाल जा रहे हैं. अगर प्रशासन ने समय रहते पलायन किए गए मजदूरों की घर वापसी नहीं कराई, तो आगामी 19 मई को होने वाले मतदान में जिले के मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता.

जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि मामले पर प्रशासन की नजर है. उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के अधिकारियों के अलावा मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में ले जाने वाले एजेंटों को मतदान के पहले जिले के मजदूर वापस अपने अपने गांव में लौटे इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं.

Intro:बाइट : कुलदीप चौधरी, डीसी पाकुड़
पाकुड़ : अनुसूचित जाति जनजाति सुरक्षित राजमहल संसदीय क्षेत्र के पाकुड़ जिले में महागठबंधन हो या भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की नींद उड़ाने का काम इन दिनों मजदूरों का हो रहा पलायन कर रहा है।


Body:एक और शत प्रतिशत मतदाताओं का मतदान सुनिश्चित कराने के लिए जिला प्रशासन का प्रयास दनादन चल रहा है तो दूसरी और खासकर आदिवासी एवं पहाड़िया मजदूरों का परिवार के साथ हो रहा पलायन यहां राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। क्षेत्र की तरक्की एवं सर्वांगीण विकास का दावा चुनावी जंग जीतने वाले प्रत्याशी अपने प्रचार प्रसार एवं संपर्क अभियान में जरूर कर रहे हैं परंतु इस जिले के मजदूरों को रोजगार एवं सिंचाई के अभाव के कारण निकटवर्ती पश्चिम बंगाल रोजगार के लिए लगातार हो रहे पलायन क्षेत्र की उपेक्षा को बताने के लिए काफी है।
जिले के जिन गांव एवं विधानसभा क्षेत्र के मजदूर जो मतदाता हैं यह झारखंड मुक्ति मोर्चा के परंपरागत वोटर अब तक रहे हैं। इन मजदूरों में शासन प्रशासन व्यवस्था हो या स्थानीय जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा नीति को लेकर आक्रोश साफ झलक रहा है। पेट की भूख मिटाने के लिए परिवार का लालन पालन बेहतर तरीके से करने की आस में मजदूर इसलिए पलायन कर रहे हैं कि अब तक उन्हें कृषि के लिए बेहतर सिंचाई की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई जबकिं मनरेगा भी इन्हें 100 दिनों के रोजगार की गारंटी नहीं दे पाया।
लिहाजा आज भी लोकतंत्र के महापर्व चुनाव के वक्त हजारों की संख्या में सड़क एवं रेल मार्ग से जिले के हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमरापारा, महेशपुर एवं पाकुड़िया प्रखंड के मजदूर पश्चिम बंगाल जाने को विवश है। यदि प्रशासन ने समय रहते पलायन किए गए मजदूरों की घर वापसी नहीं करा पाया तो आगामी 19 मई को होने वाले मतदान में जिले के मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता।


Conclusion:लोकतंत्र के महापर्व के वक्त मजदूरों के हो रहे पलायन को लेकर जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि प्रशासन की नजर है। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के अधिकारियों के अलावे मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में ले जाने वाले एजेंटों को मतदान के पहले जिले के मजदूर वापस अपने अपने गांव में लौटे इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।।
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