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पाकुड़ में किसानों की आय होगी दोगुनी! जीरो टिल पद्धति से कृषि विभाग करा रहा है गेंहू की खेती

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Published : Jan 4, 2020, 1:17 PM IST

पाकुड़ में उन्नत कृषि विकास कार्यक्रम के तहत कृषि विभाग किसानों के खेतों में जीरो टिल पद्धति से गेहूं की खेती करा रहा है. इस पद्धति में जुताई और बुआई का काम एक साथ होने से कम समय और कम खर्च में गेहूं की खेती होगी, जिससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा.

Wheat cultivation in Pakur using zero till method
जीरो टिल पद्धति

पाकुड़: उन्नत कृषि विकास कार्यक्रम के तहत कृषि विभाग जिले के सैकड़ों किसानों के खेतों में जीरो टिल पद्धति से गेहूं की खेती करवा रहा है. जिससे सिर्फ धान की फसल पर निर्भर रहने वाले किसानों की आय अब दोगुनी होगी.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-ईटीवी भारत की खबर का हुआ असर, डीएओ ने किसानों से की अपील

जीरो टिलेज मशीन से जुताई और बुआई का काम

जीरो टिलेज मशीन से बीज और खाद एक साथ खेतों में डाले जा रहे हैं. जुताई और बुआई का काम एक साथ होने के कारण किसानों को कम समय और कम खर्च में गेहूं की खेती करने की जानकारी देने के साथ-साथ उनके खेतों में जीरो टिलेज मशीन से जुताई और बुआई का काम भी कराया जा रहा है.

संस्था सर्व सेवा समिति के क्षेत्रीय कोऑर्डिनेटर मुस्लेउद्दीन अंसारी ने पाकुड़ सदर प्रखंड के शहरकोल गांव में जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से किसानों के खेतों में गेहूं की खेती शुरू कराई. मौके पर किसानों को जीरो टिलेज से खेती किए जाने पर उनसे होने वाले लाभ के साथ-साथ गेहूं खेती के तरीकों को भी बताया गया.

250 किसानों के खेतों में हो रही खेती

कोऑर्डिनेटर अंसारी ने बताया कि जिले के 250 किसानों के खेतों में जीरो टिलेज से गेहूं की खेती कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रति किसानों की एक-एक एकड़ भूमि में गेहूं की खेती शुरू की गई है. वहीं, किसान दिनेश मुर्मू ने बताया कि पहले हल से खेती करने का काम किया जाता था. जिसमें बीज और खाद बर्बाद तो होते ही थे साथ में पानी की भी बर्बादी होती थी और समय अधिक लगता था. उन्होंने बताया कि इसमें खर्च भी अधिक होता है और उत्पादन भी, लेकिन विभाग के लोगों के प्रशिक्षण देने के बाद श्रीविधि और जीरो टिलेज से बीज बोए जाने से समय के साथ खर्च भी बचता है.

श्रीविधि पद्धति से खेती होने से किसानों की न केवल आय दोगुनी हो रही है बल्कि खेती के दौरान होने वाले खर्च और जुताई में लगने वाले समय की भी बचत हो रही है.

पाकुड़: उन्नत कृषि विकास कार्यक्रम के तहत कृषि विभाग जिले के सैकड़ों किसानों के खेतों में जीरो टिल पद्धति से गेहूं की खेती करवा रहा है. जिससे सिर्फ धान की फसल पर निर्भर रहने वाले किसानों की आय अब दोगुनी होगी.

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जीरो टिलेज मशीन से जुताई और बुआई का काम

जीरो टिलेज मशीन से बीज और खाद एक साथ खेतों में डाले जा रहे हैं. जुताई और बुआई का काम एक साथ होने के कारण किसानों को कम समय और कम खर्च में गेहूं की खेती करने की जानकारी देने के साथ-साथ उनके खेतों में जीरो टिलेज मशीन से जुताई और बुआई का काम भी कराया जा रहा है.

संस्था सर्व सेवा समिति के क्षेत्रीय कोऑर्डिनेटर मुस्लेउद्दीन अंसारी ने पाकुड़ सदर प्रखंड के शहरकोल गांव में जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से किसानों के खेतों में गेहूं की खेती शुरू कराई. मौके पर किसानों को जीरो टिलेज से खेती किए जाने पर उनसे होने वाले लाभ के साथ-साथ गेहूं खेती के तरीकों को भी बताया गया.

250 किसानों के खेतों में हो रही खेती

कोऑर्डिनेटर अंसारी ने बताया कि जिले के 250 किसानों के खेतों में जीरो टिलेज से गेहूं की खेती कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रति किसानों की एक-एक एकड़ भूमि में गेहूं की खेती शुरू की गई है. वहीं, किसान दिनेश मुर्मू ने बताया कि पहले हल से खेती करने का काम किया जाता था. जिसमें बीज और खाद बर्बाद तो होते ही थे साथ में पानी की भी बर्बादी होती थी और समय अधिक लगता था. उन्होंने बताया कि इसमें खर्च भी अधिक होता है और उत्पादन भी, लेकिन विभाग के लोगों के प्रशिक्षण देने के बाद श्रीविधि और जीरो टिलेज से बीज बोए जाने से समय के साथ खर्च भी बचता है.

श्रीविधि पद्धति से खेती होने से किसानों की न केवल आय दोगुनी हो रही है बल्कि खेती के दौरान होने वाले खर्च और जुताई में लगने वाले समय की भी बचत हो रही है.

Intro:बाइट : दिनेश मुर्मू, किसान
बाइट : मुस्लेउद्दीन अंसारी, जिला समन्वयक, संस्था सर्व सेवा समिति

पाकुड़ : एक फसल धान पर निर्भर रहने वाले किसानों की आय दोगुनी होगी। ऐसा इसलिए की उन्नत कृषि विकास कार्यक्रम के तहत कृषि विभाग जिले के सैकड़ों किसानों के खेतों में जीरो टिल पद्धति से गेहूं की खेती करवा रहा है।


Body:जीरो टिलेज मशीन से बीज और खाद एक साथ खेतों में डाले जा रहे हैं। जोताई और बुआई का काम एक साथ होने के कारण किसानों को कम समय और कम खर्च में गेहूं की खेती करने की जानकारी देने के साथ-साथ उनके खेतों में जीरो टिलेज मशीन से जोताई और बोआई का काम भी कराया जा रहा है। संस्था सर्व सेवा समिति के क्षेत्रीय कोऑर्डिनेटर मुस्लिम दिन अंसारी ने पाकुड़ सदर प्रखण्ड के शहरकोल गांव में जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल द्वारा किसानों के खेतों में गेहूं की खेती शुरू कराया। मौके पर किसान को जीरो टिलेज से खेती किए जाने पर उन्हें होने वाले लाभ के साथ-साथ त्रिवेदी गेहूं खेती के तरीकों को भी बताया।
श्री अंसारी ने बताया कि जिले के 250 किसानों के खेतों में जीरो टिलेज से गेहूं की खेती कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रति किसानों के एक एक एकड़ भूमि में गेहूं की खेती शुरू की गई है। वही किसान दिनेश मुर्मू ने बताया कि पहले हल से खेती करने का काम किया जाता था इसमें बीज और खाद बर्बाद तो होते ही थे साथ में पानी की भी बर्बादी और समय अधिक लगते थे जिसके कारण खर्च भी होता था और उत्पादन भी कम होता था, लेकिन विभाग के लोगों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया की श्रीविधि एवं जीरो टिलेज से बीज बोया जाए तो समय के साथ खर्च भी बचते हैं।


Conclusion:यहां उल्लेखनीय है कि सुनहरा कल नीति आयोग के आकांक्षी जिले में पाकुड़ शामिल है श्रीविधि पद्धति से खेती होने से किसानों की न केवल आय दोगुनी होगी बल्कि खेती के दौरान होने वाले ज्यादा खर्च और जुताई में लगने वाले समय की भी बचत हो रही है।
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