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आर्थिक तंगी के दौर में बेरोजगार युवक-युवतियां, शासन-प्रशासन से दुकानें खुलवाने की लगाई गुहार - पाकुड़ में लॉकडाउन का असर

कोरोना काल में हुए लॉकडाउन से हर व्यवसाय चौपट हो चुका है और लोग आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं. इसको लेकर बेरोजगार युवक-युवतियों ने प्रशासन से शर्तों के साथ दुकानें खुलवाने की गुहार लगाई हैं.

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आर्थिक तंगी के दौर में बेरोजगार युवक-युवतियां
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Published : Aug 26, 2020, 6:03 AM IST

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और इसकी रोकथाम को लेकर जारी लाॅकडाउन में आम सहित खास लोग बीते कई महीनों से परेशान हैं. लाॅकडाउन की वजह से आज भी कई ऐसे कारोबार हैं जो बंद हो गये हैं और इनसे जुड़े कर्मी बेरोजगार होने की वजह से इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं.

देखें पूरी खबर

आर्थिक तंगी में युवक-युवतियां

कई कारोबार बंद हो जाने की वजह से इनसे जुड़े कर्मियों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. पापी पेट मान नहीं रहा और इनके परिवार के सामने अब विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है. अगर सरकार ने कुछ शर्तो पर इन कारोबारियों को अपनी दुकानें और प्रतिष्ठान खोलने की इजाजत नहीं दी, तो दुकानदारों को जो नुकसान उठाने पड़ेंगे वह तो अलग है, लेकिन सबसे ज्यादा खामियाजा इन प्रतिष्ठानों और दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा. क्योंकि शासन और प्रशासन ने अब तक इनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है, जैसा प्रवासी मजदूरों के लिए किया गया है. शाॅपिंग माॅल, सैलून, जिम, पार्क, कोचिंग सेंटर में काम करने वाले कामगार इस लॉकडाउन में बेरोजगारी में दिन काट रहे हैं और अब बिना वेतन के वो आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- पहाड़ों के नीचे बसे इस गांव में पहली बार पहुंची जिला प्रशासन की टीम, हालात देख हैरत में अधिकारी

शासन-प्रशासन से लगाई गुहार

लाॅकडाउन के दौरान सरकार की ओर से कुछ शर्तों पर खदानें, दुकानें, कपड़े की दुकानें, रेडीमेड दुकानें खोलने की इजाजत दी है. यहां काम ठीक ठाक चल रहा है. इन कारोबार से जुड़े मजदूर या कारोबारी सभी अपना अपना काम कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, लेकिन शाॅपिंग माॅल, सैलून, जिम, पार्क, कोचिंग सेंटर पूरी तरह से बंद हैं. जिसकी वजह से इनसे जुड़े लोगों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है. शुरूआती दौर में शाॅपिंग माॅल के संचालकों ने अपने अधीन काम करने वाले कर्मियों को दो महीने का वेतन दिया, अब उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर दिये हैं. लिहाजा सबसे ज्यादा परेशानी यहां काम करने वाले कर्मियों को उठाना पड़ रहा है. बेरोजगार घूम रहे युवक-युवतियां अब शासन प्रशासन से लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सशर्त इन व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोलने की मांग कर रहे है ताकि उनका एवं परिवार का भरण पोषण कर सके.

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और इसकी रोकथाम को लेकर जारी लाॅकडाउन में आम सहित खास लोग बीते कई महीनों से परेशान हैं. लाॅकडाउन की वजह से आज भी कई ऐसे कारोबार हैं जो बंद हो गये हैं और इनसे जुड़े कर्मी बेरोजगार होने की वजह से इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं.

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आर्थिक तंगी में युवक-युवतियां

कई कारोबार बंद हो जाने की वजह से इनसे जुड़े कर्मियों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. पापी पेट मान नहीं रहा और इनके परिवार के सामने अब विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है. अगर सरकार ने कुछ शर्तो पर इन कारोबारियों को अपनी दुकानें और प्रतिष्ठान खोलने की इजाजत नहीं दी, तो दुकानदारों को जो नुकसान उठाने पड़ेंगे वह तो अलग है, लेकिन सबसे ज्यादा खामियाजा इन प्रतिष्ठानों और दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा. क्योंकि शासन और प्रशासन ने अब तक इनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है, जैसा प्रवासी मजदूरों के लिए किया गया है. शाॅपिंग माॅल, सैलून, जिम, पार्क, कोचिंग सेंटर में काम करने वाले कामगार इस लॉकडाउन में बेरोजगारी में दिन काट रहे हैं और अब बिना वेतन के वो आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.

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शासन-प्रशासन से लगाई गुहार

लाॅकडाउन के दौरान सरकार की ओर से कुछ शर्तों पर खदानें, दुकानें, कपड़े की दुकानें, रेडीमेड दुकानें खोलने की इजाजत दी है. यहां काम ठीक ठाक चल रहा है. इन कारोबार से जुड़े मजदूर या कारोबारी सभी अपना अपना काम कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, लेकिन शाॅपिंग माॅल, सैलून, जिम, पार्क, कोचिंग सेंटर पूरी तरह से बंद हैं. जिसकी वजह से इनसे जुड़े लोगों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है. शुरूआती दौर में शाॅपिंग माॅल के संचालकों ने अपने अधीन काम करने वाले कर्मियों को दो महीने का वेतन दिया, अब उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर दिये हैं. लिहाजा सबसे ज्यादा परेशानी यहां काम करने वाले कर्मियों को उठाना पड़ रहा है. बेरोजगार घूम रहे युवक-युवतियां अब शासन प्रशासन से लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सशर्त इन व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोलने की मांग कर रहे है ताकि उनका एवं परिवार का भरण पोषण कर सके.

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